खीरे में पर्ण सुरंगक (लीफ माइनर) कीट के रोकथाम के उपाय

👉🏻किसान भाइयों लीफ माइनर कीट के शिशु कीट बहुत छोटे, पैर विहीन, पीले रंग के व प्रौढ़ कीट हल्के पीले रंग के होते है। 

👉🏻इसकी क्षति के लक्षण सबसे पहले पत्तियों पर दिखाई देते है। 

👉🏻इस कीट का इल्ली पत्तियों के अंदर प्रवेश कर हरित पदार्थ को खाकर सुरंग बनाते हैं। जिसके कारण पत्तियों पर सफेद लकीरें दिखाई देती है। 

👉🏻प्रभावित पौधे पर फल कम लगते है और पत्तियां समय से पहले गिर जाती है। पौधों की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते है। 

👉🏻इस कीट के आक्रमण के कारण पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया भी प्रभावित होती है।  

👉🏻इस कीट के नियंत्रण के लिए अबासीन (एबामेक्टिन 1.9 % ईसी) @ 150 मिली या ट्रेसर (स्पिनोसेड 45% एससी) @ 60 मिली या बेनेविया (सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% ओडी) @ 250 मिली प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

👉🏻जैविक उपचार के लिए बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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खीरे की फसल में लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) का करें नियंत्रण

Control of Leaf Miner in Cucumber Crop
  • इसका वयस्क रूप एक हल्के पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।
  • इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।
  • लीफ माइनर से प्रभावित पौधों में फलन की समस्या आती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।
  • इसके नियंत्रण हेतु एबामेक्टिन 1.8% EC @ 160 मिली या साइपरमैथ्रिन 4% EC + प्रोफेनोफॉस 40% EC 400 मिली के साथ जैविक बिवेरिया बेसियाना 5% WP 500 ग्राम प्रति एकड़ 200 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें।
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खीरे की खेती के दौरान किये जाने वाले महत्वपूर्ण कार्य:

  • खीरा एक उथली जड़ वाली फसल है इस कारण इसमें अधिक गहरी अन्तर शस्य क्रियाएँ आवश्यक नही होती है।
  • छँटाई करने हेतु सभी द्वितीयक शाखाओं को पाँच गाँठों के साथ काट देने से इसकी फलों की गुणवत्ता में सुधार होता हैं एवं उपज बढ़ती है।
  • पौधे को सहारा देकर उगाया जाता है, जिससे फलों में सड़न की समस्या कम हो जाती है।
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रोपाई के समय रखें इन बातों का ध्यान, खीरे की फसल से मिलेगा ज़बरदस्त उत्पादन

  • इसके बीजों की बुआई मेढ़ो पर की जाती है और पौधों के बीच की दूरी 1 से 1.5 मीटर के लगभग रखी जाती है।
  • जब खीरे को मण्डप आकार वाले ढाँचे का सहारा देकर उगाया जाता है तब इसे 3*1 मीटर की दूरी पर उगाया जाता है।
  • बीजों की बुआई 0.5 से 75 मीटर की दूरी पर की जाती है तो प्रत्येक गड्ढे में 4-6 बीज को बोया जाता है।
  • गड्ढे के सभी बीजों के उग जाने के बाद उसमे से दो पौधे को ही वृद्धि के लिए रखा जाता है।
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