सोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन

Crop Management in Soybean in the flowering stage
  • सोयाबीन की फसल में फूल आने की अवस्था में फसल प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
  • सोयबीन की फसल में यदि बहुत अधिक बारिश हो तब भी और कम बारिश हो तब भी फूल आने की अवस्था में कीट जनित एवं कवक जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • अधिक बारिश के कारण फूल गिरने लगते एवं कम बारिश के कारण पौधा तनाव में आ जाता है, और इसी कारण फूलों का निर्माण नहीं हो पाता है।
  • रोग प्रबंधन के लिए टेबुकोनाजोल 10% + सल्फर 65% WG@ 500 ग्राम/एकड़ या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • कीट प्रबंधन के लिए एसिटामिप्रीड 20% SP @ 100 ग्राम/एकड़ के साथ क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़ या लैम्डा साइहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरानिट्रानिलीप्रोल 9.3% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • वर्द्धि एवं विकास: पोषक तत्वों की पूर्ति उचित मात्रा में हो एवं सही समय पर हो तो फूल अच्छे बनते है एवं अच्छे फूल बनने के कारण फल अच्छे बनते है इसलिए फूल आने की अवस्था में 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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