कीचड़ में पाए जाने वाले केकड़े की मांग विदेशों में बहुत ज्यादा बढ़ गई है। भारतीय किसान भी केकड़ा पालन से अच्छी कमाई कर सकते हैं। केकड़ों की बड़ी प्रजातियां “हरे मड क्रैब” और छोटी प्रजातियां “रेड क्लॉ” के नाम से जानी जाती है। इन दोनों ही प्रजातियों की मांग घरेलू व विदेशी बाजार में बहुत अधिक है।
केकड़ा पालन दो विधि से कर सकते हैं। एक है ग्रो-आउट (उगाई) विधि और दूसरी है फैटनिंग विधि। ग्रो-आउट विधि के अंतर्गत छोटे केकड़ों को तालाब में 5-6 महीने तक छोड़ दिया जाता है जिससे वेअपेक्षित आकार बढ़ा सकें। वहीं फैटनिंग विधि में छोटे केकड़ों का पालन किया जाता है। इसमें 200 ग्राम के केकड़े का 1 महीने में 25-50 ग्राम वजन बढ़ता है। वज़न बढ़ने की ये प्रक्रिया 9-10 महीने तक जारी रहती है।
अच्छे से पालन करने के बाद केकड़ों का वज़न 1 से 2 किलो तक पहुँच जाता है। इसकी मांग विदेशी व देशी दोनों ही बाजारों में है तो इससे अच्छा मुनाफ़ा मिलने की संभावना अधिक होती है।
स्रोत: विकासपेडिया
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