Importance of PSB in Cowpea

  • बरबटी/लोबिया में पी.एस.बी. के उपयोग से पत्तियों की संख्या और शाखाओं में वृद्धि होती हैं।
  • जड़ों का विकास करने में सहायक होता है जिससे पानी और पोषक तत्व आसानी से पौधों को प्राप्त होते  हैं।
  • पी.एस.बी. रोगों और सूखा के प्रति प्रतिरोध क्षमता को बढ़ाने में मदद करता हैं |
  • इसका उपयोग करने से  25 – 30% फॉस्फेटिक उर्वरक की पूर्ति हो जाती हैं।
  • पी.एस.बी. के उपयोग से बरबटी/लोबिया की उपज में वृद्धि होती  हैं।

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Control of anthracnose in cowpea

  • बरबटी की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
  • छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
  • आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
  • रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक बरबटी न उगाये।
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
  • मैनकोजेब 75% डब्ल्यू पी @ 400-600/एकड़ की दर पानी में घोल बनाकर प्रति सप्ताह छिड़काव करें।

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Spacing in cowpea

  • झाडी़नुमा किस्मों के बीजों को 30 से.मी.X 15 से.मी. की दूरी पर गडढे में 1-2 बीज बोयें।
  • अर्ध चढ़ने वाली किस्मों में 45 सेमी. X 30 सेमी. की दूरी पर रखें।
  • चढ़ने वाली किस्मों में 45-60 सेमी. व्यास, 30-45 सेमी. गहरे आकार के गडढे  2 X 2 मी. की दूरी पर प्रति गडढे में 3 पौधे होना चाहिये।
  • वर्षा ऋतु में बीजों कों 90 से.मी. की चौड़ी और भूमि से ऊँची बेड पर लगाना चाहिए।

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Land preparation in cowpea

  • अच्छी पैदावार के लिये खेत की एक गहरी जुताई कर के 2-3 बार बखर चलाकर मिट्टी को अच्छी भुरभुरी बना ले।
  • खेत को सुविधाजनक आकार के भूखंडों में विभाजित किया गया है।

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Nutrition management in cowpea

  • उर्वरक की उपलब्धता के आधार पर 2.5-3.5 टन/एकड़  गोबर की खाद की मात्रा खेत की तैयारी के समय भूमि में अच्छी तरह मिला दें।
  • खेत की तैयारी के समय 24 किलो ग्राम कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट, 48 किलो ग्राम सिंगल सुपर फाँस्फेट एवं 20 किलो ग्राम म्यूरेट आफ पोटाश प्रति एकड़ की दर से मिलाये।
  • नत्रजन की आधी मात्रा, फाँस्फोरस व पोटाश की सम्पूर्ण  मात्रा को खेत तैयारी के समय देना चाहिये।
  • अगर बीजों को राइजोबियम कल्चर से उपचारित किया गया हो तो कैल्शियम अमोनियम नाइट्रेट 16 किलो ग्राम डाले।
  • जिंक की कमी वाले खेत में 8 किलो ग्राम/एकड़ की दर से जिंक सल्फेट डाले।
  • नत्रजन की शेष मात्रा को बुवाई के 15-20 दिन बाद दें।

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Irrigation management in cowpea

  • बरवटी में पानी का जमाव अधिक नुकसान पहुँचता हैं एवं इसे अन्य सब्जियों की तुलना में कम पानी की आवश्यकता होती है।
  • दाने वाली किस्मों को 2-3 सिंचाई फूल एवं फली बनते समय देनी चाहिए।
  • सब्जी वाली किस्मों को 4-5 दिन के अन्तराल से फूल एवं फली लगते समय सिंचाई करना चाहिए।
  • फूल लगने के पहले सिंचाई रोक देनी चाहिए।

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Staking practice in cowpea

  • चढने वाली किस्मों में बाँस की बल्ली पर जूट या प्लास्टिक रस्सी से सहारा देना चाहिये।
  • जब पौधों में बेल आने लगे तब लकड़ी से सहारा देना चाहिए।
  • अनावश्यक वृद्धि को तोड़कर अलग कर देना चाहिए, जिससे फूल व फल अच्छी तरह से लग सके।

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Weed control of cowpea

  • खरपतवार को नियंत्रित करने और जड़ों में हवा के आवागमन के सुधार हेतु कम से कम दो बार निंदाई करना चाहिए।
  • बुवाई के बाद 25 से 30 दिन तक निदाई-गुड़ाई आवश्यक है।
  • पेंडीमेथलीन 38.7% सीएस 700 मिली  /एकड़ या एलाक्लोर 50% ईसी 1 लिटर/एकड़ दर से छिड़काव, 30 दिनों तक निंदा नियंत्रण करता है।

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Seed rate of cowpea

  • अलग-अलग किस्मों के लिए बीज दर निम्नलिखित है|
  • झाडीनुमा किस्मों के लिए– 10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • अर्ध चढ़ने वाली किस्मों के लिए–10 से 12 कि.ग्रा./एकड़ |
  • चढ़ने वाली किस्मों के लिए -2 से 2.5 कि. ग्रा./ एकड़|
  • दानों व सब्जी दोनो प्रकार की किस्मों के लिए
  • छिड़काव विधि में 30 से 35 कि.ग्रा./ एकड़|
  • एक-एक बोने वाली विधि के लिए 20 से 30 कि.ग्रा./ एकड़।

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Sowing time of cowpea

  • अधिकतर क्षेत्रों में बरवटी की बुवाई गर्मी व वर्षा ऋतु में की जाती है।
  • वर्षा ऋतु के लिए इसकी बोवाई जून की शुरुआत से लेकर जुलाई के अंत तक करते हैं|
  • रबी/गर्मी के मौसम में फरवरी-मार्च में बोना चाहिए।
  • पहाडी़ क्षेत्रों में अप्रैल-मई में बुवाई करना चाहिए।

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