- कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दे ताकि मिट्टी भुरभुरी होने साथ जलधारण क्षमता बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जायेंगे।
- मिट्टी उपचार अवश्य करे अतः 4 किलो जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, 2 किलो ग्रोमेक्स (समुंद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा), 2 किलो ट्राइकोडर्मा विरिडी और 100 ग्राम एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में प्रति एकड़ की दर से अच्छी तरह मिला कर खेत में बिखेर दे।
- ऐसा करने से भूमि की संरचना सुधारने, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
Verticillium wilt of cotton
- प्रारंभिक अवस्था में संक्रमित पौधे गंभीर रूप से प्रभावित होते हैं।
- लक्षण पत्तियों की शिराओ का कांसे के जैसे रंग में परिवर्तित होना हैं
- अंत में पत्तियां सूख कर झुलसे के सामान लगती है।
- इस स्तर पर, विशिष्ट लक्षण देखने को मिलता हैं जिसे “टाइगर स्ट्राइप” या “टाइगर क्लॉ” कहते हैं।
- ग्रसित पत्तिया झड़ जाती हैं तथा रोग के लक्षण तनो एवं जड़ो पर भी दीखते हैं |
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Control of Fusarium wilt in cotton crop
- छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
- गर्मी के दिनों में गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
- रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
- रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
- कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे |
- माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
- फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
- फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|
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