एक ही किस्म के कपास के बीजों की बुआई किसानों के हित में नहीं है- कृषि विभाग

Sowing of same type of cotton seeds is not in the interest of farmers - Department of Agriculture

मध्य प्रदेश के कई क्षेत्रों में कपास की बुआई को लेकर हलचल तेज हो गई है। ऐसे में कपास किसानों की तरफ से ‘बी.टी. कपास’ की एक ही किस्म 659 की मांग बहुत ज्यादा देखने को मिल रही है। एक ही किस्म के बीजों की इस मांग पर कृषि विभाग के उप संचालक श्री आर.एस. गुप्ता ने कहा की यह किसानों के हित में नही है।

श्री आर.एस. गुप्ता ने किसान भाइयों से अपील करते हुए कहा की “मौसम की अनिश्चितता के कारण कभी-कभी एक ही किस्म लगाने से अतिवृष्टि, अवर्षा, कीटव्याधि का प्रकोप बढ़ने आदि कारणों से फसल चौपट हो जाती है एवं किसानों को आर्थिक हानि उठानी पड़ती है। इसलिए बाजार में उपलब्ध बी.टी. कपास के 659 किस्म के अलावा अन्य किस्मों के बी.टी. कपास बीज भी बोए।”

उन्होंने आगे बताया कि साथ ही कपास के अलावा ज्वार, मक्का, मूंग, उड़द, अरहर, धान, सोयाबीन आदि फ़सलों की बोनी कर बहुफसलीय पद्धति को अपनाएँ ताकि जैव विविधता बनी रहे एवं मौसम कीटव्याधि से एक फसल खराब होने पर दूसरी फसल पर लाभ प्राप्त हो सकें एवं पर्यावरण सुधार में मदद हो सके।”

स्रोत: dprmp.org

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कपास की उन्नत बी.टी. किस्मों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

  • कावेरी जादू: यह किस्म सूखे के प्रति और रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लंबा होता है अतः कम दूरी में भी बुआई के लिए उपयुक्त किस्म है।
  • रासी आरसीएच-659: यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है। इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है।
  • रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है, साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है।
  • रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते हैं जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है। यह रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है।
    कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमें डोडे बड़े आकार के लगते है जो अच्छे से खिलते हैं और चमकदार होते हैं।
  • आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है।
  • नुजीवेदु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों की होती है।
  • सुपर कॉटन (प्रभात): यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा रसचूसक कीटों के प्रति सहनशील है।
  • नुजीवेदु गोल्ड़कोट: फसल अवधि 155-160 दिनों की है जिसमें डोडे मध्यम आकार के लगते है।
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बुआई से पहले कैसे करें कपास के बीजों का उपचार

How to do Seed treatment of cotton seeds before sowing
  • सबसे पहले बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP से उपचारित करें उसके बाद 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48% FS से उपचारित कर अगला उपचार 2 ग्राम पीएसबी बैक्टीरिया और 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से प्रति किलो बीज की दर से करें।
  • इन उपचारों से कवकजनित रोगों एवं रसचूसक कीटों से बचाव के साथ साथ उपलब्ध अवस्था में फास्फोरस पौधे को मिलता है जिससे जड़ विकास बेहतर होता है।
  • याद रखें की सबसे पहले फफूंदनाशी, उसके बाद कीटनाशी और अंत में जैविक कल्चर का उपयोग करना चाहिए।
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जाने कपास की उन्नत किस्मों के बारे में

  • कावेरी जादु : यह किस्म सूखे के प्रति और रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है।
  • इस संकर किस्म की फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे गूलर (डोडे) मध्यम एवं पौधा लम्बा होता है अतः कम दुरी में बुवाई लिए भी उपयुक्त किस्म है।
  • रासी आरसीएच-659 : यह 145-160 दिनों की मध्यम अवधि एवं अधिक उत्पादन के लिए अच्छी संकर किस्म है।
  • इस किस्म में डोडे बड़े व अधिक संख्या में लगते है तथा यह किस्म सिंचित क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है।
  • रासी नियो: यह मध्यम सिंचित क्षेत्र एवं हल्की से मध्यम मिट्टी लिए अच्छी किस्म है साथ ही साथ रसचूसक कीट जैसे एफिड, तेला, सफेद मक्खी के प्रति सहनशील होती है।
  • रासी मगना: इस किस्म में गूलर बड़े व अधिक संख्या में लगते है जो मध्यम से भारी मिट्टी में उगाने के लिए अच्छी है। रसचूसक कीटों के प्रति मध्यम सहनशील है।
  • कावेरी मनी मेकर: फसल अवधि 155-167 दिनों की है जिसमे डोडे बड़े आकार के लगते है जो अच्छे से खिलने और चमकदार होते है।
  • आदित्य मोक्ष: यह किस्म सिंचित व बारानी क्षेत्र में भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है जो 150-160 दिनों की फसल अवधि रखती है।
  • नुजीवेदु भक्ति: यह किस्म रसचूसक कीटों प्रति सहनशील होती है और गुलाबी सुंडी, अमेरिकन सुंडी के प्रति प्रतिरोधक क्षमता रखती है। इसकी फसल अवधि लगभग 140 दिनों  की होती है।
  • सुपर कॉटन (प्रभात) : यह किस्म मध्यम सिंचित व काली भारी मिट्टी के लिए उपयुक्त है तथा  रसचूसक कीटों प्रति सहनशील है। 
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कपास की सफेद मक्खी प्रतिरोधी ट्रांसजेनिक किस्म विकसित

  • राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान- लखनऊ के वैज्ञानिकों ने कपास की सफेद मक्खी प्रतिरोधी किस्म विकसित की है|  
  • शोधकर्ताओं ने पौधों की जैव-विविधता से 250 पौधों की पहचान करके ऐसे प्रोटीन अणुओं का पता लगाया जो सफेद मक्खी के लिए विषैले होते है|
  • प्रयोगशाला में सफेद मक्खी को जब कीटनाशक प्रोटीन के सम्पर्क में लाया गया तो उसके जीवन चक्र में विपरीत बदलाव आये|  
  • पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना के अधीन केन्द्र में अप्रैल से अक्टूबर के मध्य इस किस्म का परीक्षण किया जायेगा | 
  • सफेद मक्खी रोधी जिन गुणों को कपास में शामिल किया गया है, यदि प्रक्षेत्र में किये गए परीक्षणों में भी उन्हें प्रभावी पाया जाता है, तो इस किस्म को किसानों को खेती के लिए दिया जा सकता है| 
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Basis for selection of Cotton variety:-

मिट्टी के प्रकार के आधार पर :-

  • हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए :- नीयो  (रासी)।
  • भारी मिट्टी के लिए :-Rch 659 BG II, मैग्ना (रासी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), सुपर कॉट Bt-II (प्रभात)

सिचाई के आधार पर :-

  • वर्षा आधारित:- जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी 2 (आदित्य)।
  • अर्ध सिंचित: – नीयो, मैग्ना (रासी), मनीमेकर (कावेरी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।
  • सिंचित: – Rch 659 BG II (रासी), जादू (कावेरी)।

पौधे के बढने के स्वभाव के  आधार पर: –

  • सीधी बढने वाली किस्मे: – जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), भक्ति (नुजिवीडु)।
  • फैलने वाली किस्मे:-  Rch 659 BG-II (रासी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

फसल समय अवधि के आधार पर : –

  • अगेती किस्में (140-150 दिन)
    • Rch 659 BG-II (रासी)।
    • भक्ति (नुजिवीडु)।
    • सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

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Basis for selection of Cotton vareity

मिट्टी के प्रकार के आधार पर :-

  • हल्की से मध्यम मिट्टी के लिए :- नीयो  (रासी)।
  • भारी मिट्टी के लिए :-Rch 659 BG II, मैग्ना (रासी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), सुपर कॉट Bt-II (प्रभात)

सिचाई के आधार पर :-

  • वर्षा आधारित:- जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी 2 (आदित्य)।
  • अर्ध सिंचित: – नीयो, मैग्ना (रासी), मनीमेकर (कावेरी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।
  • सिंचित: – Rch 659 BG II (रासी), जादू (कावेरी)।

पौधे के बढने के स्वभाव के  आधार पर:

  • सीधी बढने वाली किस्मे: – जादु (कावेरी), मोक्ष बीजी-II (आदित्य), भक्ति (नुजिवीडु)।
  • फैलने वाली किस्मे:-  Rch 659 BG-II (रासी), सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

फसल समय अवधि के आधार पर : –

  • अगेती किस्में (140-150 दिन)
  • Rch 659 BG-II (रासी)।
  • भक्ति (नुजिवीडु)।
  • सुपर कॉट Bt- II (प्रभात)।

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Thing to keep in mind before selecting Suitable cotton variety to your field

अधिक उपज के लिए सही व उचित किस्म का चयन करना जरूरी हैं। किस्म का चुनाव खेती के उद्देश्य पर निर्भर करता हैं। इसलिए हम यहां ख़ास उद्देश्य हेतु लोकप्रिय किस्मों के बारे में बता रहे हैं।

अगेती किस्मे:- ( 140-160 दिन )

  • आरसीएच 659 बीजी-2 ( रासी )
  • मनीमेकर ( कावेरी )
  • भक्ती ( नुजिवीडू)

मिट्टी के किस्म के आधार पर:-

  • आरसीएच 659 बीजी-2 ( रासी ) ( मध्यम से भारी मिट्टी के लिये )
  • नीओ ( रासी ) ( मध्यम से हल्की मिट्टी के लिये )

अच्छे आकार की बोल वाली किस्मे:-

  • आरसीएच 659 बीजी-II
  • मनीमेकर ( कावेरी )
  • एटीएम केसीएच- बीजी-2 ( कावेरी )
  • जेकपॉट ( कावेरी )

अच्छे बोल वजन वाली किस्मे (6-7.5 ग्राम)  :-

  • जेकपॉट ( कावेरी )
  • जादू ( कावेरी )
  • एटीएम केसीएच- बीजी-2 ( कावेरी )

रस चुसक कीटो के प्रति सहिष्णु:-

  • नीओ ( रासी )
  • भक्ति ( नुज़िवीडू )

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