ग्रामोफ़ोन का मिला साथ तो कपास किसान का मुनाफ़ा 6 लाख से बढ़कर हुआ 12 लाख

भारत सरकार किसानों की आय दोगुनी करने के लक्ष्य पर कई बड़े बड़े निर्णय ले रही है। कुछ ऐसा ही काम साल 2016 से किसानों का सच्चा साथी ग्रामोफ़ोन भी अपने स्तर पर कर रहा है। पिछले 3 से 4 साल के दौरान ग्रामोफ़ोन से जुड़े कई किसानों की आय दोगुनी हुई है। इन्हीं में से एक हैं बड़वानी जिले के अंतर्गत आने वाले राजपुर तहसील के साली गांव के रहने वाले कपास किसान मुकेश मुकाती जी। मुकेश कई साल से कपास की खेती करते आ रहे थे और उन्हें थोड़ा मुनाफ़ा भी हो जाता था। पर वे इससे पूरी तरह संतुष्ट नहीं थे और इसी बीच वे ग्रामोफ़ोन के संपर्क में आये।

ग्रामोफ़ोन के संपर्क में आने के बाद मुकेश जी ने कपास की खेती के लिए विशेषज्ञों की सलाह लेनी शुरू की और फसल चक्र के दौरान विषेशज्ञों द्वारा बताई गई हर बात का ख्याल रखा। इसका नतीजा यह हुआ की मुकेश जी की कृषि लागत काफी कम हो गई और मुनाफ़ा दोगुना हो गया।

पहले मुकेश अपने 14 एकड़ ज़मीन पर कपास की खेती से 6 लाख तक की कमाई करते थे। पर ग्रामोफ़ोन की सलाह पर जब उन्होंने खेती की तो उनकी कमाई दोगुनी होकर 12 लाख हो गई। यही नहीं खेती की लागत जो पहले 3 लाख तक जाती थी वो अब घटकर 2 लाख 15 हजार रह गई।

अगर आप भी मुकेश की तरह अपनी कृषि में इसी प्रकार का बड़ा अंतर लाना चाहते हैं तो आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।

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ग्रामोफ़ोन की सलाह ने किसान को कपास की खेती से दिलवाया डबल प्रॉफिट

भारत की भूमि काफी उपजाऊ है और शायद इसीलिए भारत हमेशा से कृषि प्रधान देश रहा है। किसान भाइयों को उचित मार्गदर्शन मिले तो इसी उपजाऊ भूमि से 100% तक लाभ उठाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही लाभ ग्रामोफ़ोन के द्वारा मिले मार्गदर्शन से बड़वानी के किसान भाई श्री शिव कुमार चौहान ने उठाया।

ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों की सलाह पर शिव कुमार ने कपास की उन्नत खेती की और फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त किया। इस उत्पादन से उन्हें कुल 22 लाख रूपये की कमाई हुई। यहाँ आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की इससे पहले कपास की खेती से इनकी कमाई 11 लाख तक ही रहती थी। पर ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ाव और कृषि विशेषज्ञों के मार्गदर्शन ने कमाई को एक ही साल में दोगुना कर दिया।

ग़ौरतलब है की कपास की खेती के दौरान शिव कुमार ने कई बार ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और साथ ही बीज, उर्वरक और दवाइयाँ भी मंगाई। आखिर में जब उन्होंने उत्पादन देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका उत्पादन तो दोगुना हुआ ही साथ ही साथ उनकी उपज की क्वालिटी भी पहले से काफी बेहतर थी।

आज शिव कुमार ग्रामोफ़ोन को धन्यवाद करते हुए सभी किसानों को ग्रामोफ़ोन से जुड़ने की सलाह देते हैं ताकि उनकी ही तरह अन्य किसान भी लाभ उठा पाएं और अपनी कृषि को उन्नत कर पाएं।

आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ कर अपनी फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल कर सकते हैं या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन कर सकते हैं।

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मिला ग्रामोफ़ोन का साथ तो बड़वानी के कपास किसान कालू जी ने पाया दोगुना मुनाफ़ा

कभी कभी जिंदगी में किसी का साथ मिल जाने से जिंदगी जीने का लुत्फ़ दोगुना हो जाता है। कुछ ऐसा ही लुत्फ़ बड़वानी जिले के टिकरी तहसील में स्थित गांव हवोला के रहने वाले किसान श्री कालू जी हम्मड़ को किसानों के सच्चे साथी ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने से मिला। दरअसल कालू जी कपास की खेती करते थे और ठीक ठाक कमाई भी करते थे। इसी दौरान वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये और एक साल ग्रामोफ़ोन की सलाह पर कपास की खेती की।

कपास की खेती के दौरान कालू जी ने कई बार ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से सलाह ली और साथ ही बीज, उर्वरक और दवाइयाँ भी मंगाई। आखिर में जब उन्होंने उत्पादन देखा तो वे आश्चर्यचकित रह गए। उनका उत्पादन दोगुना हो चुका था और उपज की क्वालिटी भी बेहतर थी।

जहाँ पहले उन्हें 2 लाख का मुनाफ़ा होता था वहीं ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने के बाद यह मुनाफ़ा दोगुना से भी ज्यादा बढ़कर साढ़े चार लाख हो गया। यही नहीं, कालू जी की लागत भी पहले से बहुत कम रही। जहाँ पहले कपास की खेती में लागत 40 हजार आती थी वहीं ग्रामोफ़ोन के संपर्क में आने के बाद लागत भी घटकर महज 25 हजार हो गई।

आज कालू जी ग्रामोफ़ोन को धन्यवाद करते हुए सभी किसानों को ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए कहते हैं ताकि वे किसान भी उनकी ही तरह लाभ उठा पाएं।

कालू जी की ही तरह अगर अन्य किसान भाई भी कृषि सम्बन्धी किसी भी समस्या से परेशान हैं या अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं तो इस बाबत ग्रामोफ़ोन के टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल कर कृषि विशेषज्ञों से सलाह ले सकते हैं।

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