पहली बार भारत में इस कीट का प्रकोप जुलाई 2018 में कर्णाटक राज्य में देखा गया इसके बाद यह अन्य राज्यों में भी आ गया | मक्के की फसल को नुकसान पहुंचने वाला यह कीट अन्य कीटो की तुलना में अधिक समय तक जीवित रहता हैं | इस कीट के पतंगे हवा के बहाव के साथ एक ही रात में लगभग 100 किलोमीटर तक उड़ सकते हैं इसकी एक मादा अपने जीवन काल में 1 से 2 हजार तक अण्डे देती हैं | नुकसान करने की वजह सिर्फ इनकी आबादी ही नहीं बल्कि नुकसान पहुंचाने या फसलों को खाने का तरीका भी हैं, ये कीट फसलों पर झुण्ड में आक्रमण करते हैं| जिसकी वजह से ये कुछ ही समय में पूरी फसल को नष्ट कर देते हैं यह बहु भक्षी कीट लगभग 80 प्रकार की फसलों को खाता हैं परन्तु इसका प्रिय भोजन मक्का हैं
- ये कीट सामान्यतया पत्तिया खाते है पर अधिक प्रकोप होने पर ये मक्के के फल को भी खाते है |
- क्षतिग्रस्त पौधे की उपरी पत्तिया कटी फटी होती है, तथा डंठल आदि के पास नमी युक्त बुरादा पाया जाता है |
- यह भुट्टे के ऊपरी भाग से खाना शुरू करते हैं
नियंत्रण :-
- प्रकाश प्रपंज लगाए।
- 5 प्रति एकड़ की दर से खेत में फेरोमोन ट्रेप लगाइये।
- बिवेरिया बेसियाना @ 1 किलो/एकड़ स्प्रै करवाइये |
- फ्लूबेंडामीड 480 एससी @ 60 मिली/एकड़।
- स्पिनोसेड 45% एससी @ 80 मिली/एकड़ |
- थायोडिकार्ब 75% डब्ल्यूपी @ 400 ग्राम/एकड़ |
- क्लोरैट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी @ 60 मिली/एकड़ |
इनमे से किसी एक कीट नाशक का प्रति एकड़ की दर से 150 लीटर पानी के साथ घोल बना कर छिड़काव करे।
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