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यह एक कवक जनित रोग है और इस रोग के लक्षण फूलों और फलों पर दिखाई देते हैं।
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इसके शुरूआती लक्षण पानी से लथपथ घाव के रूप में पत्तियों पर विकसित होते हैं।
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सबसे पहले यह एक शाखा पर दिखाई देता है और फिर कुछ समय बाद यह कवक रोग बहुत तेज़ी से पूरे पौधे पर फैल जाता है।
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इस रोग के निवारण के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या मेटिराम 55% + पायराक्लोस्ट्रोबिन 5% WG@ 600 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 50% + ट्रायफ्लोक्सीस्त्रोबिन 25% WG @ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी@ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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