खेती की सही तकनीक से पाएं चने की उन्नत व जबरदस्त पैदावार

दलहनी फसलों में चना एक महत्वपूर्ण फसल है। फसल की उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए, बीज चुनाव से लेकर कटाई तक सभी क्रिया शामिल है। 

बीज उपचार 

  • चना की बुवाई से पहले बीज को स्प्रिंट (कार्बेन्डाजिम 25%+ मैंकोजेब 50% डब्ल्यू एस) @ 3 ग्राम प्रति किग्रा, बीज के हिसाब से उपचार करें। इससे फसल को जड़ सड़न, कॉलर सड़न से बचाया जा सकता है। 

  • उसके बाद बी सीपेल आरपी (राइजोबियम और फॉस्फेट घुलनशील जीवाणु) @ 2.5 ग्राम प्रति किग्रा, बीज के हिसाब से उपचार करें। बी सीपेल आरपी का प्रयोग बुवाई के समय ही करें। इससे बीज उपचार करने से पौधे की जड़ में नोडूल का निर्माण होता है जो वातावरण से नाइट्रोजन स्थरीकरण का कार्य में मदद करता है।

पोषक तत्व प्रबंधन 

डाई अमोनियम फास्फेट @ 40 किलो + पोटैशियम @ 30 किलो + मोबोमिन (मोलिब्डेनम 4%, मैंगनीज 5%, बोरॉन 2%, जिंक 6%, फेरस 5%, कॉपर 2%, सल्फर 5%, पोटेशियम1%) @ 500 ग्राम + चना न्यू समृद्धि किट (प्रो कॉम्बिमैक्स – 1 किलो, कॉम्बैट – 2 किलो, ट्राईकॉट मैक्स – 4 किग्रा, जैव वाटिका राइज़ोबियम – 1 किलो) @ 8 किग्रा, इन सभी को आपस में मिलाकर, एक एकड़ के हिसाब से, समान रूप से भुरकाव करें। 

सिंचाई 

एक सिंचाई बुवाई के 40 से 45 दिनों बाद तथा दूसरी 60 से 65 दिनों बाद करें। गहरी काली मिट्टी वाले क्षेत्र में चने की खुटाई अवश्य करें। 

कीट नियंत्रण 

इल्लियों की रोकथाम हेतु T आकार की 15 खुटी प्रति एकड़ की दर से लगाए एवं इल्लियों की नियंत्रण करने के लिए, इमानोवा (एमेमेक्टिन बेंजोएट 05% एसजी) @ 88 ग्राम प्रति एकड़, 150 से 200 लीटर पानी के हिसाब से छिड़काव करें। 

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