मूंग की फसल का एफिड के प्रकोप से ऐसे करें बचाव

How to control Aphid in Green gram
  • एफिड छोटे व नरम शरीर वाले कीट होते है जो पीले, भूरे, हरे या काले रंग के हो सकते हैं।
  • ये आमतौर पर मूंग के पौधे की छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर रहते हैं और रस चूसते है। इसके साथ ही ये एक चिपचिपा मधु रस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।
  • इसके गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती हैं या पीली पड़ सकती हैं।
  • एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25% WG@100 ग्राम/एकड़ या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@100 मिली/एकड या फ्लूनेकामाइड 50% WG @ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक रूप से बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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ऐसे करें एफिड एवं जैसिड का प्रबंधन

Management of aphids and jassids
  • एफिड और जेसीड फसलों का रस चूसने वाले कीट है। यह आकार में बहुत छोटे होते हैं। इनका आकार एक दाल की नोक के समान होता है। आमतौर पर यह पीले-हरे या सफ़ेद रंग के होते हैं जिनके सामने के पंखों पर काले धब्बे होते हैं। फसल पर थोड़ी सी हलचल होने पर जेसिड उड़ जाते हैं। फसलों में यह किट पत्तियों और पत्तियों के कलियों के नीचे से रस चूसते हैं। 
  • एफिड एवं जैसिड के नियंत्रण के लिए इमिडाक्लोप्रिड 60% FS या थायमेथोक्साम 30% FS 10 मिली/किग्रा बीज के साथ देना चाहिए। यह बीजोपचार फसल को एक महीने तक चूसने वाले कीट से मुक्त रखता है।
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL @100 मिली/एकड़ या एसिटामिप्रिड 20% WP@ 100 ग्राम/एकड़ या एसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8 % SP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक उपचार:

  • बवारिया बसियाना को 1 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए।
  • मेट्राजियम का 1 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से खेतों में छिड़काव करें।
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मिर्च की फसल में एफिड (माहु) कीट की पहचान और बचाव

How to identify and protect Aphid insect in Chili crop
  • एफिड छोटे, नरम शरीर के कीट है जो पीले, भूरे या काले रंग के हो सकते हैं। 
  • ये आमतौर पर छोटी पत्तियों और टहनियों के कोनों पर समूह बनाकर पौधे से रस चूसते है तथा चिपचिपा मधुरस (हनीड्यू) छोड़ते हैं जिससे फफूंदजनित रोगों की संभावनाएं बढ़ जाती है। 
  • गंभीर संक्रमण के कारण पत्तियां और टहनियां कुम्हला सकती है या पीली पड़ सकती हैं। 
  • एफिड कीट से बचाव हेतु थायोमेथोक्सोम 25 डब्लू जी 100 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली प्रति एकड़ 200 लीटर पानी के साथ छिड़काव करें।
  • जैविक माध्यम से बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम प्रति एकड़ उपयोग करें या उपरोक्त कीटनाशक के साथ मिला कर भी प्रयोग कर सकते हैं।
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मूंग की फसल में एफिड कीट का प्रबंधन

  • एसिटामाप्रिड 20% एसपी @ 40-80 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करने पर भी इस कीट का प्रभावी नियंत्रण किया जा सकता। 
  • कॉन्फीडोर (इमिडाक्लोप्रिड) @ 100 एमएल/एकड़ का छिड़काव करें या
  • बिलीफ (थाइमिथोक्सम 12.6% + लेम्ब्डासाइहलोथ्रिन 9.5% ZC) @ 100  ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें या
  • एफिड कीट (माहू) के संक्रमण को कम करने के लिए पौधे के संक्रमित भागों को हटा दें।
  • फ़सलों को अधिक पानी या अधिक खाद न दें।
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मूंग की फसल में एफिड कीट (माहू) की पहचान 

  • एफिड कीट (माहू) के आक्रमण से पत्तिया पीली हो कर सिकुड़ जाती हैं एवं कुछ समय बाद सूख जाती हैं जिससे पौधे का विकास रुक जाता है।
  • संक्रमण की शुरूआती अवस्था में पत्तियों पर फफूंद का विकास दिखाई देता है।
  • माहू द्वारा चिपचिपा स्राव किया जाता है जिसकी वजह से पौधे में कई फफूंद जनित रोग पैदा होते हैं।
  • सूखी और गर्म जलवायु माहू कीट की वृद्धि के लिए अनुकूल होती है।
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आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन

आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग का प्रबंधन वायरस मुक्त बीज का प्रयोग करके किया जा सकता है|
  • माहू मुक्त क्षेत्रो में बीज तैयार करे |
  • रोग वाहक माहू की जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त सम्पर्क/दैहिक कीटनाशको का प्रयोग करे|
  • माहू के प्रभावी नियंत्रण के लिए, एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 10 ग्रा / 15 लीटर पानी या इमिडेकलोप्रिड 17.8% एसएल @ 10 एमएल / 15 लीटर पानी का छिड़काव करे |

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मटर में माहु का नियंत्रण

मटर में माहु का नियंत्रण:-

  • हरे रंग के छोटे कीट होते है । वयस्क, बड़े नाशपाती के आकार वाले हरे, पीले या गुलाबी रंग के होते है।

हानि :-  

  • पत्तियों, फूलों व फल्लियों से रस चूसते है ।  
  • प्रभावित पत्तियां मुड़ जाती है व टहनियां छोटी रह जाती है ।
  • यह कीट मीठे पदार्थ का रिसाव करते है जो सूटी मोल्ड को विकसित करते है ।

 

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Aphid of Cucumber

  • शिशु व वयस्क कोमल नाशपाती  के आकार के काले रंग के होते है । 
  • शिशु एवं वयस्को का समूह पत्तियों की निचली सतह पर चिपके हुये होते है, जो इनके ऊतको से रस चूसते है । 
  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुडकर मुड जाते है। अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती है व धारे-धीरे पौधा सूख जाता है। 
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर या पौधे के भागों के ऊपर मधुरस का स्त्राव किया जाता है, जिन पर सूटी फंगस का विकास हो जाता है,जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है। 
  • सूटी फंगस द्धारा ग्रसित फल अनाकर्षक होते है, जिनका मूल्य कम हो जाता है । 
  • प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिली / एकड़ या
  • एसिटामिप्राइड 20% एसपी 40-80 ग्राम / एकड़ या
  • ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी @ 300 ग्राम / एकड़

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Control of Aphid in Bottle gourd

  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
  • एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम / एकड़ या
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली / एकड़ या 
  • एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम ग्राम / एकड़ की दर से छिड़काव करे|

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Aphids Attack in Chilli Crop

मिर्च में माहु का प्रकोप:-

  • शिशु एवं वयस्क कोमल, नाशपाती के आकार के काले रंग के होते हैं।
  • कोमल डालियों, पत्तो एवं पत्तो के निचले भाग में यह कीट रहते है।
  • यह कीट रस चूसकर,  वृद्धि कर रहे भागों पर नुकसान पहुँचाते है।
  • यह कीट मीठा पदार्थ का रिसाव करते हैं जो चिटीयों को आकर्षित करते है व काली फफूंद को विकसित करते है।

नियंत्रण :- निम्न कीटनाशकों का 15 से 20 के अन्तराल से कीटो के समाप्त होने तक छिड़काव करें ।  

  1. प्रोफेनोफॉस 50% @ 50 मिली प्रति पम्प
  2. ऐसीटामाप्रीड 20% @ 10 ग्राम प्रति पम्प
  3. इमीडाक्लोरप्रिड 17.8% @ 7 मिली प्रति पम्प
  4. फिप्रोनिल 5% @ 50 मिली प्रति पम्प

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