बुवाई के बाद 41 से 45 दिनों में- सिंचाई की क्रांतिक अवस्था
सिंचाई की क्रांतिक अवस्थाओं में फूल और फली गठन महत्वपूर्ण चरण हैं। इसलिए इस अवस्था में पर्याप्त सिंचाई करें। खेत में पानी जमा न होने दें।
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बुवाई के बाद 41 से 45 दिनों में- सिंचाई की क्रांतिक अवस्था
सिंचाई की क्रांतिक अवस्थाओं में फूल और फली गठन महत्वपूर्ण चरण हैं। इसलिए इस अवस्था में पर्याप्त सिंचाई करें। खेत में पानी जमा न होने दें।
Shareबुवाई के 36 से 40 दिन बाद – फली ‘छेदक और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए
फली छेदक और कवक रोगों के प्रबंधन के लिए अमीनो एसिड (प्रो एमिनोमैक्स) 250 ग्राम + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5% एससी (कोराजन) 60 मिली + हेक्साकोनाज़ोल (नोवाकोन) 400 मिली प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
Shareबुवाई के 26 से 30 दिन बाद- इल्ली और चूसने वाले कीटों के नियंत्रण के लिए एवं फूल आने में सुधार करने के लिए
फली छेदक और चूसने वाले कीटों के प्रबंधन एवं फूल आने में सुधार करने के लिए होमोब्रासिनोलाइड (डबल) 100 मिली + क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.4% एसएल (कोराजन) 60 मिली +बायफेनथ्रिन 10% ईसी (मार्कर) 300 मिली +बवेरिया बेसियाना (बेवकर्ब) 500 ग्राम प्रति एकड़ का छिड़काव करें।
Shareबुवाई के बाद 21 से 25 दिनों में – रस चूसक किट के नियंत्रण के लिए एवं जड़ों के विकास के लिए
जड़ विकास को बढ़ावा देने के लिए और रस चूसक कीट और इल्ली के प्रबंधन के लिए ह्यूमिक, सीवीड, फुल्विक (वीगरमेक्स जेल) 400 ग्राम + थियामेथोक्सम + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन (नोवालक्सम) 80 मिली + एमेमेक्टिन बेंजोएट (इमानोवा) 100 ग्राम + थियोफैनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी (मिल्ड्यूविप) 300 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करे।
Shareबुवाई के 16 से 20 दिन बाद – मिट्टी के माध्यम से पोषक तत्व प्रदान करने के लिए
बेहतर वृद्धि और विकास के लिए सल्फर 5 किलो + जिंक सल्फेट 5 किलो + सूक्ष्म पोषक मिश्रण (एग्रोमिन) 8 किलो प्रति एकड़ मिलाएं और मिट्टी पर प्रसारित करें।
Shareबुवाई के बाद 15 से 20 दिनों में – पत्ती धब्बा रोग और एफिड्स जैसे कीटों के प्रबंधन के लिए
पत्ती धब्बा रोग एवं एफिड (माहु) जैसे कीटों के प्रबंधन के लिए और जड़ की वृद्धि के लिए 19:19:19 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड (मैक्सरूट) 100 ग्राम + कार्बेन्डेज़िम 12% + मैनकोज़ेब 63% डब्ल्यूपी (करमानोवा) 300 ग्राम + एसिटामिप्रिड 20% एसपी (नोवासेटा) 100 ग्राम प्रति एकड़ प्रति एकड़ छिड़काव करे|
Shareबुवाई के बाद 3 से 5 दिनों में- पूर्व उद्भव खरपतवारो के नियंत्रण के लिए
खरपतवार प्रबंधन के लिए अंकुरण से पहले पेण्डामैथलीन 38.7%CS ( स्टोम्प एक्स्ट्रा) 700 मिली को 200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ का छिड़काव करें| अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|
Shareबुवाई के बाद 1 से 2 दिनों में -फसल को प्राथमिक पोषक तत्व प्रदान करने के लिए
बुवाई के तुरंत बाद पहली सिंचाई करें और उर्वरक की आधारभूत मात्रा नीचे के रूप में डालें। इन सभी को मिलाकर मिट्टी में फैला दें- डीएपी 40 किग्रा, एमओपी 20 किग्रा + पीके बैक्टीरिया (प्रो कॉम्बिमैक्स) 1 किग्रा + राइजोबियम (जैवटिका आर) 1 किग्रा + ह्यूमिक एसिड + समुद्री शैवाल + अमीनो + माइक्रोराइजा (मैक्समाइको) 2 किग्रा प्रति एकड़ की दर से इन सभी को मिलाएं और मिट्टी में फैलाएं|
Shareबुवाई के 0 से 3 दिन पहले-बीज़ों को कवक जनित रोगो से बचने के लिए
बीज को फफूंद से बचाने के लिए बीजों को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% ( विटावैक्स पावर) 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% (साफ) 2.5 ग्राम /किलो बीज या थियामेथोक्सम 30% एफएस (रेनो) 4 मिली प्रति किलो बीज या राइजोबियम (जैवाटिका आर) 5 ग्राम प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित करें।
Shareबुवाई के 5 से 7 दिन पहले- पोधो के बिच योग्य दुरी रखने के लिए
1.5 फीट की दूरी कुंड और मेढ़ तैयार करें। दो बीजों के बीच 1 फुट की दूरी रखकर बोयें। अधिक जानकारी के लिए हमारे टोल नंबर 1800-315-7566 पर मिस्ड कॉल करे|
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