Alternaria Leaf Spot in Cauliflower and Cabbage

गोभी में अल्टरनेरिया पत्ति धब्बा रोग:-

लक्षण:-

  • पत्तियों पर छोटे छोटे गहरे पीले रंग की चित्तीयाँ दिखाई देती है|
  • जल्द ही ये चित्तियाँ आपस में मिलकर गोलाकार घाव बनाती है|
  • इन धब्बों के केन्द्रीय स्थान नीलापन लिए हुए कवक की वृद्धि पाई जाती है|
  • अधिक संक्रमण होने पर सभी पत्तियाँ गिर जाती है|
  • बैगनी गहरे,  काले-भूरे धब्बे, संक्रमित फुल व तनों पर दिखाई देते है|

नियंत्रण:-

  • प्रमाणित बीजों का उपयोग करें|
  • गर्म पानी (50OC) में बीज को आधे घंटे तक उपचारित करें|
  • रोग के लक्षण दिखाई देने पर मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी या कॉपर आक्सी क्लोराईड 3 ग्राम प्रति लीटर पानी का घोल बना कर 10-15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करें|

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Downy Mildew in Cucurbitaceae

कद्दुवर्गीय फसलों में मृदुरोमिल आसिता:-

  • पत्तियों की निचली सतह पर जल रहित धब्बे बन जाते है|
  • जब पत्तियों के उपरी सतह पर कोणीय धब्बे बनते है प्राय: उसी के अनुरूप ही निचली सतह पर जल रहित धब्बे बनते है|
  • धब्बे सबसे पहले पुरानी पत्तियों पर बनते है जो धीरे धीरे नई पत्तियों पर बनते है|
  • ग्रसित लताओं पर फल नहीं लगते है |

नियंत्रण:-

  • प्रभावित पत्तियों को तोड़कर नष्ट कर दें|
  • रोग प्रतिरोधी किस्मों को लगाये |
  • मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति ली. की दर से घोल बनाकर पत्तियों की निचली सतह पर छिड़काव करें |
  • फसल चक्र को अपनाकर एवं खेत की सफाई कर रोग की आक्रमकता को कम कर सकते है|

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Maximum Control of Root rot in Gram(Chickpea)

किसान का नाम:- हरिओम बहादुर सिंह

गाँव:- लिम्बोदापार

तहसील और जिला:- देपालपुर और इंदौर

किसान भाई हरिओम जी के चने में जड़ सडन एवं सफेद फफूंद की समस्या थी इन्होने प्रोपीकोनाज़ोल 25% EC का स्प्रे किया जिससे चने में रोग का प्रभाव कम हुआ एवं नया फुटाव भी आ रहा है |

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Red Pumpkin Beetle in Cucurbitaceae

कद्दुवर्गीय फसल का लाल कीट:-

पहचान:-

  • अंडे गोलाकार, पीले- गुलाबी रंग के जो कुछ दिनों बाद नारंगी रंग के हो जाते है |
  • अंडे से निकला हुआ नया लार्वा सफ़ेद गंदे रंग का होता है, किन्तु व्यस्क लार्वा 22 सेमी. लंबा एवं पीले क्रीम रंग के होते है|
  • प्यूपा हल्के पीले रंग के होते है, जो भूमि के अन्दर 15 से 25 की गहराई पर होते है|
  • वयस्क बीटल 6-8 मिमी. लम्बे, पंख चमकदार पीले लाल रंग के होते है, जो शरीर को समान रूप से ढ़ककर रखते है|

नुकसान:-

  • अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उन्है खाता है|
  • उसके बाद ग्रसित जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्वफल व लताएँ सुख जाती है|
  • इसमें ग्रसित फल उपयोग करने हेतु अनुपयुक्त होते है|
  • बीटल पत्तियों को खाकर छेद कर देते है |
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |

नियंत्रण:-

  • गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
  • बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
  • बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
  • साईपरमेथ्रिन (25 र्इ.सी.) 1 मि.ली. प्रति लीटर पानी + डायमिथोएट 30% ईसी. 2  मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। या कार्बारिल 50% WP 3 ग्राम प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 15 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।

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Cauliflower Diamondback Moth (DBM)

पहचान

  • अंडे सफ़ेद-पीले व हल्के हरे रंग लिये होते है|
  • इल्लियाँ 7-12 मिमी. लम्बी, हल्के पीले- हरे रंग की व पुरे शरीर पर बारीक रोयें होते है|
  • वयस्क 8-10 मिमी. लम्बे मटमैले भूरे रंग के व हल्के गेहुएं रंग के पतले पंख जिनका भीतरी किनारा पीले रंग का होता है|
  • वयस्क मादा पत्तियों पर समूह में अंडे देती है|
  • इनके पखों के ऊपर सफेद धारी होती है जिन्हें मोड़ने पर हीरे जैसी आकृति दिखती है|

नुकसान

  • छोटी पतली हरी इल्लियाँ अण्डों से निकलने के बाद पत्तियों की बाहरी परत को खाकर छेद कर देती है|
  • अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां पुरी तरह से ढांचानुमा रहा जाती है|

नियंत्रण:- डायमण्ड बैक मोथ की रोकथाम के लिये बोल्ड सरसों को गोभी के प्रत्येक 25 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाना चाहिये। प्रोफेनोफ़ोस (50 र्इ.सी.) का 3 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बना कर छिडकाव करें। स्पाइनोसेड (25 एस. सी.) 0.5 मि.ली. प्रति ली. या ईंडोक्साकार्ब 1.5 मि.ली. प्रति ली पानी की दर से घोल बना दो छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 25 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।

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Shoot and Fruit Borer in Brinjal

पहचान:-

  • मादा मोथ बैगन के पौधों की शाखाओं पर अंडे देती है |
  • मादा हल्के पीले सफ़ेद रंग के अंडे पत्तियों की निचली सतह पर तने, फुल कलिकाओं या फलों के निचले भाग पर देती है|
  • अंडे से निकली हुई ईल्ली 15-18 मिमी. लम्बी हल्के सफ़ेद रंग की होती है| जो व्यस्क हने पर हल्के बैगनी रंग में परिवर्तित हो जाती है|
  • वयस्क मोथ सफ़ेद रंग के होते है इनके पंख भूरे रंग के होते है, जिन पर बैगनी या नीले रंग की आभा दिखाई देती है|
  • अंडे से निकले हुये लार्वा सीधे फलों में छेद करके प्रवेश करते है|
  • लार्वा अवस्था का जीवन चक्र पूरा हो जाने पर ये तने, सुखी शाखाओं या गिरी हुई पत्तियों पर प्यूपा का निर्माण करते है|
  • गर्म वातावरणीय दशा में फल एवं तना छेदक ईल्ली की संख्या में अधिक वृद्धि होती है|

हानि:-

  • इस कीट के द्वारा हानि रोपाई के तुरंत बाद से लेकर अंतिम तुड़ाई तक होता है|
  • वयस्क मादा मक्खी पत्तियों की निचली सतह पर कलियों एवं फलों पर अंडे देती है|
  • प्रारंभिक अवस्था में छोटी गुलाबी ईल्ली रहनी एवं तने में छेद करके प्रवेश करती है जिसके कारण पौधे की शाखाएँ सुख जाती है|
  • बाद में इल्ली फलों में छेद कर प्रवेश करती है और गुदे को खा जाती है |

नियंत्रण:-

  • एक ही खेत में लगातार बैगन की फसल न लेते हुये फसल चक्र अपनाये|
  • छेद हुये फलों को तोड़कर नष्ट कर दें|
  • कीट रोकथाम के लिए साईपरमेथ्रिन 25% EC (0.5 मिली. प्रति ली. पानी ) या क्लोरोपाईरिफोस 20% EC ( 4 मिली. प्रति ली पानी ) में घोल बनाकर रोपाई के 35 दिनों के बाद से 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करे|
  • कीट के प्रभावी रोकथाम के लिए कीटनाशक के छिड़काव के पूर्व छेद किये गये फलों की तुड़ाई कर लें|

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Better flowering and growth in Gram(Chickpea)

किसान का नाम:- ओमप्रकाश पाटीदार

गाँव:- पनवाड़ी

तेहसील एवं जिला:- शाजापुर

किसान भाई ओम प्रकाश जी ने 4 एकड़ में चना लगाया है जिसमे उन्होंने ह्यूमिक एसीड 15 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे किया है जिससे फूलों की संख्या अधिक आई है और पौधे की वृद्धि भी हुई है | यह पूर्णत: पानी में घुलाशील होता है जो की पौधे में विटामिन सामग्री में वृद्धि तथा फास्फोरस की उपलब्धता में वृद्धि होती है | यह कोशिका विभाजन को तेज करके पौधे की वृद्धि को प्रोत्साहित करता है| यह जड़ प्रणाली में विकास की दर को बढ़ाता है शुष्क पदार्थ में वृद्धि होती है | इसके प्रयोग से पोषक तत्वों का बेहतर अवशोषण एवं उपयोग होता है जिससे फलो की गुणवता बेहतर हो जाती है |

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Role of Copper in Plant

पौधों में कॉपर की भूमिका:- स्वस्थ पौधों के विकास के लिए कॉपर अत्यधिक आवश्यक घटक है अन्य बातों के अलावा, यह कई एंजाइम प्रक्रियाओं में एक भूमिका निभाता है और क्लोरोफिल के गठन की कुंजी है।कॉपर के कार्य:- कॉपर पौधों में कुछ एंजाइमों को सक्रिय करता है जो लिग्निन संश्लेषण में शामिल होते हैं और यह कई एंजाइम प्रणालियों में आवश्यक होता है। प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया में यह आवश्यक है, पौधे के श्वसन में आवश्यक है और कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन के पौधे के चयापचय में सहायता करता है। कॉपर  सब्जियों में स्वाद एवं रंग को एवं फूलों में रंगों को तेज करने का भी कार्य करता है| कमी के लक्षण:- कॉपर स्थिर होता है, जिसका अर्थ है कि इसकी कमी के लक्षण नए पत्तियों में होते हैं लक्षण फसल के आधार पर भिन्न होते हैं। आमतौर पर, लक्षण चषकन और पूरी पत्ती या नए पत्तियों की नसों के बीच के एक मामूली पीलापन के रूप में शुरू होते हैं। पत्ती के पीले क्षेत्रों के भीतर, छोटे उत्तक क्षय धब्बे विशेष रूप से पत्ती के किनारों पर हो सकते हैं। लक्षणों आगे बढ़ कर, नई पत्ते आकार में छोटे होते हैं, अपनी चमक खो देते हैं और कुछ मामलों में पत्तियां सुख सकती हैं। पार्श्विक शाखाओं की वृद्धि को बाधित करने के कारण शीर्ष कालिका में उत्तक क्षय होता है और मर जाते हैं। पौधो में आमतोर पर तने की लम्बाई पत्तियों के बीच में कम हो जाती है| फूल का रंग अक्सर सामान्य से हल्का होता है| पोटेशियम, फास्फोरस या अन्य सूक्ष्म पोषक तत्वों की अत्यधिकता अप्रत्यक्ष रूप से कॉपर की कमी का कारण हो सकते हैं। साथ ही यदि जमीन का  पीएच उच्च है, तो यह कॉपर की कमी का कारण बन सकती है क्योंकि यह पौधे को कम उपलब्ध होता है।

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Stem and bulb nematode in Onion and Garlic

प्याज एवं लहसन में तना और कंद सुत्रकृमी:- नेमीटोड रंधो या पौधे के घावों के माध्यम से प्रवेश करती है और पौधों में गांठने या कुवृद्धि पैदा करती है। यह कवक और जीवाणु जैसे माध्यमिक रोगजनकों के प्रवेश द्वार के लिए स्थान देता है। इसके लक्षणों में वृद्धि अवरुद्ध हो जाना, कंदों में रंग हीनता और सूजन पैदा होती है।

प्रबंधन:- ·

  • कंद जो रोग के लक्षण दिखाते हैं वह बीज के लिए नहीं रखना चाहिए।·
  •  खेतों और उपकरणों का उचित स्वच्छता आवश्यक है क्योंकि यह निमेटोड संक्रमित पौधों और अवशेषों में जीवित रहता है और पुन: उत्पन्न कर सकता है।·
  • नेमीटोड के बेहतर नियंत्रण के लिए कार्बोफ्यूरोन 3% दानेदार @ 10 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|·
  • नेमीटोड के कार्बनिक नियंत्रण के लिए नीम खली @ 200 किग्रा / एकड़ जमीन से दे|

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Fertilizer and Manure in Guava trees

अमरुद के पौधों में खाद एवं उर्वरक:-गोबर की सड़ी हुई खाद 50 किलो और नाईट्रोजन, फास्फोरस एवं पोटाश प्रत्येक 1 किलो मात्रा दो बराबर भागो में मार्च एवं अक्टूबर के दोरान देना चाहिए| अधिक उपज के लिए यूरिया 1% + जिंक सल्फेट 0.5% के घोल का छिडकाव मार्च एवं अक्टूबर में साल में दो बार करें| बोरान की कमी ( पत्तियों का छोटा होना, फलो का फटना और फलो का कड़क होना) को दूर करने के लिए बोरेक्स 0.3% का छिडकाव फुल एवं फल लगने की अवस्था पर करे|

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