कपास की फसल के प्रारंभिक चरण में कीट और रोग प्रबंधन

Pest and Disease management in early stage of cotton crop
  • कपास की फसल के शुरूआती अवस्था में अनेक प्रकार के कीट एवं कवकों का प्रकोप बहुत अधिक होता है और इनके बचाव के उपाय यदि सही समय पर किये जाएँ तो इनका नियंत्रण बहुत अच्छी तरह से हो सकता है।
  • कवक जनित रोगों के प्रभावी नियंत्रण के लिए कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP @300 ग्राम/एकड़ या थियोफैनेट मिथाइल 70% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कीटाजिन @200 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @1 किलो/एकड़ (mix with FYM) का उपयोग करें।
  • कीटों के प्रभावी नियंत्रण के लिए ऐसीफेट 75% SP @300 ग्राम/एकड़ + मोनोक्रोटोफॉस @ 400 मिली/एकड़ या इमिडाक्लोरोप्रिड 17.8% SL @ 100 मिली/एकड़ या एसिटामेंप्रिड 20% SP या बेवेरिया बेसियाना 500 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें।
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गेहूं उपार्जन में पंजाब को पीछे छोड़ते हुए मध्य प्रदेश बना देश का नंबर एक राज्य

गेहूं के उत्पादन में मध्यप्रदेश के किसानों ने बड़ी कामयाबी हासिल की है। कोरोना वैश्विक महामारी और देशव्यापी लॉकडाउन के बावजूद मध्यप्रदेश ने गेहूं उपार्जन की प्रक्रिया में नया रिकॉर्ड बनाया है। इस बात की घोषणा किसान कल्याण तथा कृषि विकास मंत्री कमल पटेल ने स्वयं की। इस बात की घोषणा करते हुए उन्होंने प्रदेश के अन्नदाता किसानों को बधाई भी दी है।

इस विषय पर कृषि मंत्री ने कहा कि “किसानों के कठोर परिश्रम से आज हमारा प्रदेश देश में गेहूँ के उपार्जन में पहले नम्बर पर आ गया है। किसानों ने इस वर्ष विपुल मात्रा में गेहूँ का उत्पादन किया है।” बता दें की मध्यप्रदेश सरकार ने गेहूँ का 128 लाख मीट्रिक टन से अधिक का रिकार्ड तोड़ उपार्जन कर देश में पहला स्थान पाया है। इससे पहले गेहूँ उपार्जन के मामले में प्रथम स्थान पर पंजाब आया करता था।

इस गौरवशाली सफलता पर कृषि मंत्री ने प्रदेश के सभी किसान और गेहूँ उपार्जन करने वाले अधिकारी-कर्मचारियों की टीम को बधाई दी है। मंत्री श्री पटेल ने कहा कि “किसानों के परिश्रम से मध्यप्रदेश सरकार को लगातार 7 बार कृषि कर्मण अवार्ड मिल चुका है।” इसके साथ ही उन्होंने विश्वास जताया है कि भविष्य में भी प्रदेश के किसान इसी प्रकार से प्रदेश को गौरवान्वित करेंगे।

स्रोत: मध्यप्रदेश कृषि विभाग

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बीज उपचार का कृषि में महत्व

Importance of seed treatment in agriculture
  • बीज जनित रोगों का नियंत्रण: छोटे दाने की फसलों, सब्जियों व कपास के बीज के अधिकांश बीज जनित रोगों के लिए बीज उपचार बहुत प्रभावकारी होता है।
  • मृदा जनित रोगों का नियंत्रण: मृदा जनित कवक, जीवाणु व सूत्रकृमि से बीज व तरुण पौधों को बचाने के लिए बीजों को कवकनाशी रसायन से उपचारित किया जाता है, जिससे बीज जमीन में सुरक्षित रहते हैं, क्योंकि बीज उपचार रसायन बीज के चारो ओर रक्षक लेप के रूप में चढ़ जाता है।
  • अंकुरण में सुधार: बीजों को उचित कवकनाशी से उपचारित करने से उनकी सतह कवकों के आक्रमण से सुरक्षित रहती हैं, जिससे उनकी अंकुरण क्षमता बढ़ जाती है और भण्डारण के दौरान भी उपचारित सतह के कारण उनकी अंकुरण क्षमता बनी रहती है!
  • कीटों से सुरक्षा: भंडार में रखने से पूर्व बीज को किसी उपयुक्त कीटनाशक से उपचारित कर देने से वह भंडारण के दौरान एवं बुआई के बाद भी बीजों को सुरक्षित रखता है। कीटनाशक का चयन संबंधित फसल बीज के प्रकार और भंडारण अवधि के आधार पर किया जाता है !
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खाली खेत में ऐसे करें डिकम्पोज़र का उपयोग, जानें इसके फायदे

Use of Decomposers in open field
  • जब खेत में से फसल की कटाई हो चुकी हो तब डिकम्पोज़र का उपयोग करना चाहिए। इसके छिड़काव के बाद खेत में थोड़ी नमी की मात्रा बनाये रखें। छिड़काव के 10 -15 दिनों के बाद बुआई की जा सकती है।
  • 1 लीटर प्रति एकड़ की दर से खाली खेत में इसका छिड़काव करें। 
  • डीकंपोजर का उपयोग खाली खेत में छिड़काव के रूप में करने से यह फ़सलों में लगने वाली विभिन्न प्रकार की बैक्टीरिया, फंगल और वायरल बीमारियों को प्रभावी ढंग से नियंत्रित करता है।
  • मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने के लिए कार्बनिक पदार्थ महत्वपूर्ण हैं और डिकम्पोज़र विभिन्न प्रकार के पोषक तत्व पौधों को प्रदान करता है इसके अलावा यह माइक्रोबियल आबादी के लिए उपयुक्त वातावरण मिट्टी को प्रदान करता है और मिट्टी की प्राकृतिक संरचना में बदलाव किये बिना मिट्टी के भौतिक-रासायनिक गुणों में सुधार करता है। जो की फसल उत्पादन में बहुत अधिक योगदान देता है।
  • खरपतवार कम करके मिट्टी से कीटनाशकों के अवशेषों को घटाता है। 
  • बड़ी मात्रा में कम समय में कचरे को खाद में परिवर्तित करके श्रम और ऊर्जा दोनों की बचत करता है।
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कृषि उड़ान योजना से किसानों की आय को मिलेगी दोगुनी रफ़्तार, जानें क्या होगा फायदा?

Farmers' income will be doubled by Krishi Udaan scheme

कृषि उड़ान योजना की घोषणा वर्ष 2020-21 के केंद्रीय बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की थी। इस योजना के माध्यम से किसानों को कृषि उत्पादों के परिवहन में सहायता दी जाएगी। इस योजना के माध्यम से जल्दी खराब होने वाले उत्पाद जैसे दूध, मछली, मांस आदि को सही समय पर हवाई माध्यम से बाजार पहुंचाया जाएगा। इससे किसानों को उनके उत्पादों के अधिक दाम मिल सकेंगे। इस योजना के लिए किसान भाई ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं।

ऑनलाइन आवेदन की प्रक्रिया
इस योजना में जुड़ने के लिए किसानों को रजिस्ट्रेशन करवाना होगा। रजिस्ट्रेशन के लिए सबसे पहले बाग़वानी या खाद्य प्रसंस्करण विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं। यहाँ मौजूद कृषि उड़ान योजना के लिंक पर क्लिक करें। योजना के संबंध में दिए गये दिशा-निर्देशों को पढ़ें और आगे बढ़ें। फिर ऑनलाइन पंजीकरण फॉर्म खुलेगा। यहाँ दस्तावेज़ों की जानकारी भरें और आखिर में सब्मिट कर दें।

स्रोत: कृषि जागरण

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कपास की फसल में ऐसे करें खरपतवार नियंत्रण

Weed Management in Cotton Crop
  • कपास में पहली बारिश के बाद खरपतवार निकलने लगते हैं।
  • इसके नियंत्रण के लिए हाथ से निदाई करें।
  • क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ सकरी पत्ती के लिए।
  • पाइरिथायोबैक सोडियम 10% EC + क्विज़ालोफ़ॉप इथाइल 5% EC @ पहली बारिश के 3-5 दिन
  • बाद 400 मिली/एकड़।
  • जब फसल छोटी हो तो इस समस्या से बचने के लिए मिट्टी की सतह पर स्प्रे करें।
  • इसका उपयोग पंप के ऊपर हुक लगाकर करें।
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बीज उपचार की प्रक्रिया

Method of seed treatment

बीज उपचार निम्न में से किसी एक प्रकार से किया जा सकता है।

बीज ड्रेसिंग: यह बीज उपचार का सबसे आम तरीका है। बीज या तो एक सूखे मिश्रण या लुग्दी अथवा तरल घोल से गीले रूप में उपचारित किया जाता है। कम लागत के मिट्टी के बर्तन बीज के कीटनाशक के साथ मिश्रण बनाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है या बीजों को एक पॉलिथीन शीट पर फैलाकर आवश्यक मात्रा में उसपर रसायन छिड़क कर हाथो से/ या शीट को कोनो से पड़कर हिलाकर मिलाया जाता है। हाथो में दस्ताने पहनकर सावधानी पूर्वक मिलाये।

बीज कोटिंग (लेप): बीज पर अच्छे तरीके से चपकाने के लिए मिश्रण के साथ एक विशेष बाइंडर का प्रयोग किया जाता है।

बीज पैलेटिंग: यह सर्वाधिक परिष्कृत बीज उपचार प्रौद्योगिकी है, जिससे बीज की पैलेटिबिलिटी तथा हैंडलिंग बेहतर करने के लिए बीज का शारीरिक आकार बदला जाता है। पैलेटिंग के लिए विशेष अनुप्रयोग मशीनरी तथा तकनीकों की आवश्यकता होती है और यह सबसे महँगा अनुप्रयोग है।

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कीट प्रबंधन और वनस्पति विकास के लिए करें मिर्च की नर्सरी में दूसरा स्प्रे

Second spraying in Chili Nursery
  • मिर्च की नर्सरी बुआई के 20-25 दिनों के बाद एवं रोपाई निकलने के 5 दिन पूर्व दूसरा छिड़काव किया जाता है।
  • यह छिड़काव मकड़ी, थ्रिप्स एवं रस चूसक कीटों के प्रबंधन के लिए, एवं रोपाई के बाद बेहतर वनस्पति विकास के लिए एवं किसी भी प्रकार की कवक जनित बीमारियों के रोकथाम लिए किया जाना जरूरी होता है।
  • कीट प्रबंधन लिए थियामेथोक्सम 12.6% + लैंबडा साइहलोथ्रिन 9.5% ZC 10 मिली/पंप, यदि पत्तियों पर किसी भी प्रकार की फफूंद वृद्धि दिखाई दे तो इस स्प्रे में मेटलैक्सिल 4% + मैनकोज़ब 64% WP 60 ग्राम/WP पंप और बेहतर वनस्पति विकास के लिए इस स्प्रे में ह्यूमिक एसिड 10 ग्राम/पंप का छिड़काव करें।
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सोया समृद्धि किट में उपस्थित जैविक उत्पाद और इसके उपयोग का तरीका

Organic products present in the Soya Samriddhi Kit and method of use
  • सोयाबीन की उपज बढ़ाने में सोया समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
  • सोया समृद्धि किट में ट्राइकोडर्मा विरिडी, पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, राइज़ोबियम बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा जैसे जैविक उत्पाद है।
  • इस किट में उपस्थित ट्राइकोडर्मा विरिडी मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। यह 4 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 2 किलो प्रति एकड़ मिट्टी उपचार में काम आता है।
  • इस किट का दूसरा उत्पाद दो अलग अलग सूक्ष्म जीवाणुओं का मिश्रण है जो सोयाबीन की फसल में पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है एवं उत्पादन वृद्धि में भी सहायक है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है। 
  • इस किट का तीसरा उत्पाद में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते है जो सोयाबीन की फसल में जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर हो कर फसल को उपलब्ध होती है। यह 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 1 किलो की मात्रा प्रति एकड़ काम में ली जाती है। 
  • किट का अंतिम उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है। 
  • सोया समृद्धि किट की 7 किलो (जिसमें उपरोक्त सभी जैविक उत्पाद सम्मलित है)  को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला देना चाहिए ताकि फसल को इसका पूरा लाभ मिल सके।

 

 

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ग्रामोफ़ोन से मिट्टी परीक्षण कराना खरगोन के किसान के लिए साबित हुआ वरदान

खेती के लिए जो सबसे अहम जरुरत होती है वो होती है मिट्टी की, इसीलिए मिट्टी का स्वस्थ होना किसी भी फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी तथ्य को समझा खरगोन जिले के भीकनगांव तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम पीपरी के रहने वाले किसान श्री शेखर पेमाजी चौधरी ने। शेखर पिछले कुछ सालों से करेले की खेती कर रहे थे जिसमें कभी नुकसान तो कभी थोड़ा फायदा भी होता था पर इस बार उन्होंने ग्रामोफ़ोन की सलाह अनुरूप करेला उगाया जिसमे उन्हें हर बार से कहीं अच्छा मुनाफ़ा मिला।

इस बार शेखर ने करेले की खेती से पहले ग्रामोफ़ोन के कृषि विशेषज्ञों से अपने खेतों का मिट्टी परीक्षण करवाया और विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार मिट्टी उपचार भी करवाया। ऐसा करने से मिट्टी में पोषक तत्वों की पूर्ति हो गई और वो फसल के लिए तैयार हो गया। इसके बाद शेखर ने करेले की खेती की और जब उत्पादन की बारी आई तो यह पहले से काफी अधिक रहा।

तो कुछ इस तरह मिट्टी परीक्षण ने शेखर को दिलाया करेले की फसल से अच्छा उत्पादन। अगर आप भी अपने खेतों के मिट्टी का परीक्षण करवाना चाहते हैं तो इसके लिए आप हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर संपर्क कर सकते हैं। आपको मिट्टी परीक्षण से जुड़ी हर जानकारी यहाँ दी जायेगी। इसके अलावा आप ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर भी लॉगिन कर सकते हैं।

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