Time of Transplanting of Chilli

मिर्च की रोपाई का समय:-

  • मिर्च की रोपाई जुलाई- सितम्बर तक की जाती है|
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है|
  • अगस्त में रोपाई करने पर पौधों की बढ़वार एवं उपज ज्यादा होती है|

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Weed Management in Soybean

सोयाबीन में खरपतवार नियंत्रण

1.यांत्रिक विधिया ( श्रमिकों से निंदाई एवं डोरा ):-सोयाबीन में 20-25 दिन तथा 40 -45 दिनों में दो बार निंदाई करना आवश्यक हें | सुविधानुसार फसल में डोरा कुलपा बोवनी से 30 दिन, पहले तक करना चाहिए उपयोग के समय यह सावधानी रखनी चाहिए की पौधो की जड़ो को नुकसान नही हो |

2.खरपतवार नाशक रसायनो का उपयोग :- खरपतवार नाशक दवा की अनुशंसित मात्रा को 700 -800 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडकाव करें| यन्त्र में फ्लेट पेन या फ्लड जेट नोजल लगाकर प्रयोग करें | नमीयुक्त भूमि पर ही छिडकाव करना चाहिए सोयाबीन की फसल हेतु अनुशंसित खरपताबर नाशक रसायनो में से किसी एक का ही प्रयोग करे एवं प्रत्येक वर्ष रसायन बदल कर प्रयोग करें |

सोयाबीन की फसल में अनुशंसित खरपतवार

प्रयोग का समय रासायनिक नाम मात्रा/ हे
बोवनी के पूर्व 1 फ्लुक्लोरालीन 2.2 लीटर
2 ट्राईफ्लुरालीन 2.0 लीटर
बोवनी के तुरन्त बाद 1 मेटालोक्लोर 2 लीटर
2 क्लोमाझोन 2 लीटर
3 पेंडीमेथालीन 3.25 लीटर
4 डाक्लोरोसुलन 26 ग्राम
बोवनी के 10-15 दिन बाद 1 क्लोरोम्युरान इथाइल 36 ग्राम
बोवनी के 15-20 दिन बाद 1 इमेझेथापर 1 लीटर
2 क्बिज़ेलोफाप इथाइल 1 लीटर
3 फेनाक्सीफ्रोप इथाइल 0.75 लीटर
4 प्रोपाक्विजाफोप 0.75 लीटर

source:- https://iisrindore.icar.gov.in/

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Soybean Seed Treatment

सोयाबीन का बीज उपचार :- सोयाबीन बीज को बोवनी के पहले कार्बाक्सिन 37.5% + थायरम 37.5 WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या कार्बेन्डाजिम 12 % + मेन्कोजेब 63% WP 250 ग्राम प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें या थायोफिनेट मिथाईल 45%+ पायराक्लोस्ट्रोबीन 5% FS 200 मिली प्रति क्विंटल बीज की दर से उपचारित करें| उसके बाद कीटनाशक ईमिडाक्लोरप्रिड 30.5% SC 100 मिली प्रति क्विंटल या थायमेथोक्साम 30% FS 250 मिली प्रति क्विंटल बीज का उपचार करने से रस चुसक कीट के 30 दिन तक सुरक्षा मिलती है |

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Seed rate, sowing time and sowing method of Soybean

सोयाबीन की बीजदर, बोने का समय एवं बोनी की विधि :-

बीजदर:- विभिन्न जातियों के बीज के आकार के अनुसार सामान्य अंकुरण क्षमता वाले बीज दर निम्नानुसार उपयोग करना चाहिए:- (1) छोटे दाने वाली किस्में 28 किलो प्रति एकड़ (2) मध्यम दाने वाली किस्में 30 से 32 किलो प्रति एकड़ (3) बड़े दाने वाली किस्में – 36 किलो प्रति एकड़ |

बोने का समय:- बुवाई का उचित समय 20 जून से जुलाई का प्रथम सप्ताह होता है, जब लगभग 3-4 इंच वर्षा हो चुकी हो तो बुवाई प्रारम्भ कर देना चाहिये | यदि देर से बुआई करनी पड़ें तो बीज की मात्रा सवाई एवं कतार से कतार की दूरी 30 सेमी. कर देना चाहिए| देर से बुआई की स्थिती में शीघ्र पकने वाली जातियों का प्रयोग करना चाहिए |

बोनी की विधि :- सोयाबीन की बोनी कतारों में करना चाहिए | बीज को 45 से.मी. कतार से कतार की दूरी पर एवं 3-5 सेमी. गहराई पर बोवें| बोवनी के लिए सीडड्रिल कम फ़र्टिलाइज़र का उपयोग करें जिससे खाद एवं बीज अलग अलग दी जा सकें और खाद नीचे और बीज ऊपर गिरे | बीज एवं उर्वरक कभी भी बोवनी में एक साथ उपयोग नहीं करना चाहिए |

source:- https://iisrindore.icar.gov.in/

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Improved Varieties of Soybean and their selection

सोयाबीन की उन्नत किस्में:- किस्मों का चयन कृषि जलवायु क्षेत्र के अनुसार किया जाना चाहिए| हल्की भूमि व वर्षा आधारित क्षेत्रों में जहाँ औसत वर्षा 600 से 750 मि.मी. है वहाँ जल्दी पकने वाली (90-95 दिन) किस्म लगाना चाहिए| मध्यम किस्म की दोमट भूमि व 750 से 1000 मिमी. औसत वर्षा वाले क्षेत्रों में मध्यम अवधि में पकने वाली किस्में जो 100 से 105 दिन में आ जाएँ  लगाना चाहिए | 1250 मिमी. से अधिक वर्षा वाले तथा भारी भूमि में देर से पकने वाली किस्में लगाना चाहिये| इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिये की बीज की अंकुरण क्षमता 70 प्रतिशत से अधिक हो एवं खेत में अच्छी फसल हेतु पौधों की संख्या 40 पौधे प्रति वर्ग मीटर प्राप्त हो सकें, अंत: उपयुक्त किस्म के प्रमाणित बीज का ही चयन करना चाहिये |

मध्य प्रदेश के लिए उपयुक्त सोयाबीन की उन्नत किस्में:-

क्र. किस्म का नाम अवधि दिन में उपज प्रति हेक्टेयर
1. JS-9560 82-88 18-20
2. JS-9305 90-95 20-25
3. NRC-7 90-99 25-35
4. NRC-37 99-105 30-40
5. JS-335 98-102 25-30
6. JS-9752 95-100 20-25
7. JS-2029 93-96 22-24
8. RVS-2001-4 92-95 20-25
9. JS-2069 93-98 22-27
10. JS-2034 86-88 20-25

Source:-https://iisrindore.icar.gov.in/

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Basal Dose of Fertilizer and Manure for Maize

मक्का के लिए खाद एवं उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ आखरी जुताई के समय मिलाये |
  • मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 50 किलो और पोटाश 35 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई के समय देना चाहिए |
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

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Basal dose of fertilizers for Chilli

मिर्च के लिए उर्वरकों की बेसल मात्रा:-

  • उर्वरक मिट्टी परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार देना चाहिए |
  • यदि मिट्टी परिक्षण रिपोर्ट उपलब्ध नहीं होने पर डीएपी 100 किलो, यूरिया 50 किलो और पोटाश 50 किलो प्रति एकड़ के अनुसार बुआई पूर्व देना चाहिए |
  • उर्वरक का बेसल मात्रा मिट्टी, किस्म और अन्य कारकों पर भिन्न हो सकता है।

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Manure and fertilizer dose for Soybean

सोयाबीन के लिए खाद एवं उर्वरक:-

सोयाबीन एक दलहनी एवं तिलहन फसल है | इसमें नाईट्रोजन की आवश्यकता कम होती है | अधिक नाईट्रोजन देने से अफलन की समस्या आ सकती है इसलिए इसमें पौषक तत्व प्रबंधन में विशेष ध्यान देना होता है|

  • खाद एवं उर्वरकों की मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट, स्थान एवं किस्म के अनुसार भिन्न हो सकती है |
  • गोबर की अच्छी सड़ी खाद 10 टन प्रति एकड़ आखरी जुताई के समय मिलाये |
  • सोयाबीन अनुसंधान क्रेंद्र द्वारा अनुशंसित मात्रा 20:60:20:20 किलो प्रति हे.क्रमशः नाईट्रोजन :फास्फोरस :पोटाश : सल्फर है इसके अनुसार लगभग 50 किलो डीएपी प्रति एकड़,10 किलो सिंगल सुपर फास्फेट एवं 30 किलो पोटाश बेसल डोज़ में दे तथा बुआई के 15 दिन बाद 8 किलो प्रति एकड़ सल्फर 90% WDG एवं 4 किलो प्रति एकड़ माईकोराईज़ा (जैव-उर्वरक) देना चाहिए |
  • बुआई के समय राईज़ोबियम कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज एवं पीएसबी कल्चर 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना बहुत लाभदायक होता है |

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Management of Mosaic Virus Disease in Sponge Gourd

गिलकी में मोज़ेक वायरस रोग का प्रबंधन:-

  • यह वायरस जनित रोग एफिड या सफ़ेद मक्खी या लाल कीड़ें द्वारा फैलाई जाती है, जो पौधे का रस चूसकर बीमारी फैलाते है|
  • ग्रसित पौधे की नयी पत्तियों की शिराओ के बीच में पीलापन हो जाता है, एवं पत्तियाँ बाद में ऊपर की तरफ मुड़ जाती है|
  • पुरानी पत्तियों के ऊपर उभरे हुए गहरे रंग के फफोलेनुमा संरचना दिखाई देती है| प्रभावित पत्तियाँ तन्तुनुमा हो जाता है |
  • पौधा आकार में छोटा हो जाता है बीमारी से पौधे की वृद्धि, फल-फुल एवं उपज पर बुरा प्रभाव पड़ता है|
  • ज्यादा प्रभाव वाले पौधे पर फल नहीं लगते है|

रोकथाम:-

  • खेत में उपस्थित अन्य जरिये जैसे खरपतवार को उखाड़कर नष्ट करें|
  • फसल चक्र अपनाये|
  • मोज़ेक के लिए सवेंदनशील मौसम व क्षेत्रों में फसल को ना उगायें|
  • 10-15 दिन के अंतराल पर डायमिथोएट 30% EC 30 मिली. प्रति पम्प स्प्रे करें साथ ही  स्ट्रेप्टोमाईसीन 2 ग्राम प्रति पम्प का स्प्रे करें तथा शुरुआती संक्रमण से फसल को बचाये|

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Management of Leaf reddening in Cotton

कपास में लाल पत्ति का प्रबंधन:-

  • घेटे के विकास के समय खराब वातावरणीय स्थिति से बचने के लिए समय पर बुआई करें |
  • उचित समय पर यूरिया (1%) के एक या दो स्प्रे करें।
  • बुआई के 40-45 दिन में मैग्नीशियम सल्फेट 10-12 किलो प्रति एकड़ के अनुसार दें|
  • जल भराव से बचने के लिए उचित जलनिकासी करें |
  • रस चुसक कीटों के कारन होने वाले लालपन को रोकने के लिए अनुशंसित कीटनाशकों का प्रयोग करें|
  • अधिक घेटे लगने पर प्रबंधन करें|
  • फूल और घेंटों के विकास के दौरान विशेष रूप से संकर किस्म में पर्याप्त पोषक तत्वों की पूर्ति करें |
  • अंतर शस्य क्रियाये, निदाई एवं अन्य कृषि कार्य समय पर करें |
  • जिन किस्मों में यह समस्या आती है उन्हें नहीं लगाना चाहिए|
  • उपलब्ध होने पर पर्याप्त सिंचाई करें |
  • मिट्टी के स्वास्थ्य और पोषण की स्थिति को बनाए रखने के लिए फसल चक्र और अंतरवर्तीय फसलें अपनाए।

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