- यह कीट मधुरस स्त्रावित करता है जिसके ऊपर हानिकारक फफूंद विकसित होती है और प्रकाश संश्लेषण क्रिया बाधित करता है।
- इस कीट के निम्फ और वयस्क मादा दोनों ही फसलों को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, फल वृंतों, फूल, फल और मुलायम टहनियों के रस को चूसकर आम के फसल को ये नुकसान पहुंचाते है।
- मादा कीट पेड़ की जड़ों के पास भूमि में अण्डे देती है।
- पेड़ के आसपास खरपतवार और सफाई रखना चाहिए। गर्मियों में बागों की अच्छी जुताई करके छोड़ देना चाहिए ताकि इस कीट की मादा और अंडे पक्षियों और तेज धूप से नष्ट हो जाए।
- थियामेथोक्सोम 12.6% + लेम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 9.5% ZC 80 ग्राम या 35 मिली क्लोरोपायरीफास के साथ 75 ग्राम वर्टिसिलियम या ब्यूवेरिया बेसियाना कीटनाशी को 15 लीटर पानी में मिलाकर आम की टहनियों पर, आम के बौर पर, आम के फलों पर छिड़काव करें।
जाने कपास समृद्धि किट के बेहतरीन उत्पाद
ग्रामोफ़ोन की पेशकश “कपास समृद्धि किट” का इस्तेमाल आपकी कपास की फसल के लिए वरदान साबित होगा। आइये जानते हैं इस किट में मौजूद बेहतरीन उत्पादों के बारे में।
- एस. के. बायोबिज़: यह एन.पी.के. बैक्टीरिया का कंसोर्टिया है जो एजोटोबैक्टर, फॉस्फोरस सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया और पोटेशियम मोबिलाइज़िंग बैक्टीरिया से मिलकर बना है। यह पौधों को नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटेशियम उपलब्ध कराते हैं।
- ग्रामेक्स: इस उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा आदि तत्वों का ख़ज़ाना होता है।
- कॉम्बैट: इस उत्पाद में ट्राइकोडर्मा विरिडी है जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है।
- ताबा-जी: इसमें जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टीरिया होते हैं, जो पौधे को जिंक तत्व उपलब्ध कराता है।
मिर्च की नर्सरी हेतु मिट्टी उपचार कैसे करें?
- 150 किलो अच्छी सड़ी गोबर की खाद में 750 ग्राम डीएपी, 100 ग्राम इंक्रील (समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड और माइकोराइजा) और 250 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी प्रति वर्ग मीटर की दर से भूमि में मिलाएँ।
- इससे मिट्टी की संरचना में सुधार के साथ-साथ पौधे का विकास अच्छा होता है।
- हानिकारक मृदाजनित कवक व रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है तथा जैविक उत्पाद होने के कारण पौध और मिट्टी में रसायनों का दुष्परिणाम भी नहीं होता है।
कैसे करें केला रोपण के लिए तैयारी?
- बेहतर रोपण करने से केले की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त किया जा सकता है।
- केला रोपण हेतु 1.5 मीटर की दूरी पर 50 X 50 सेमी के गड्ढे बना लें।
- 10 किलो सड़ा हुआ गोबर या कम्पोस्ट की खाद, 10 ग्राम कार्बोफ्यूरान, 50 ग्राम फास्फोरस तथा खेत के ऊपर की मिट्टी मिलाकर इन गड्ढों को भरें।
- रोपित केले में 25 ग्राम नाइट्रोजन पौधे से 50 सेमी दूर गोलाई में डालकर मिट्टी में मिलाकर सिंचाई करें।
मध्यप्रदेश में सभी किसानों का होगा फसल बीमा, सरकार जल्द लेगी फैसला
मध्यप्रदेश की सरकार ने किसानों के हितों के लिए पिछले कुछ दिनों से कई कदम उठाये हैं। इसी क्रम में सरकार ने इस बात पर भी चर्चा की है की राज्य के सभी किसानों का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत बीमा कराया जाए। इस पर सरकार जल्द ही निर्णय ले सकती है।
इस विषय पर मध्यप्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल ने मीडिया से बात करते हुए कहा की “प्रदेश के हर किसान का प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत फसल बीमा कराया जाएगा, यह निर्णय राज्य सरकार जल्दी ही करने वाली है।”
ग़ौरतलब है की मध्य प्रदेश में करीब 65 लाख किसान हैं और इनमें 36 लाख किसान अपनी फसल का बीमा करवाते हैं। फसल बीमा का प्रीमियम 12% है जिसमें किसान करीब 2% राशि देता है और शेष राशि राज्य तथा केंद्र सरकार मिल कर देती है। आने वाले समय में इस योजना से ज्यादा से ज्यादा किसानों के जुड़ने से प्रीमियम के और कम होने की संभावना है।
स्रोत: आईएएनएस
Shareबुआई से पहले बेहतर भूमि प्रबंधन कर कपास की फसल से प्राप्त करें अच्छा उत्पादन
- कपास में कृषि प्रक्रिया गहरी जुताई के साथ आरंभ करने के बाद 3-4 बार हैरो चला दें ताकि मिट्टी भुरभुरी हो और इसकी जल धारण क्षमता भी बढ़ जाये। ऐसा करने से मिट्टी में उपस्थित हानिकारक कीट, उनके अंडे, प्युपा तथा कवकों के बीजाणु भी नष्ट हो जाते हैं।
- ग्रामोफ़ोन की पेशकश कपास समृद्धि किट में मिट्टी उपचार करने के लिए अनेक उत्पाद है जो भूमि प्रबंधन को बेहतर करते है। इस किट में जिंक सोलूबलाइज़िंग बैक्टेरिया, समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड, ह्यूमिक एसिड, माइकोराइजा, ट्राइकोडर्मा विरिडी और एनपीके कन्सोर्टिया बैक्टेरिया शामिल हैं।
- इस कपास समृद्धि किट का वज़न 8.1 किलो है, इसे 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला दें।
- ऐसा करने से भूमि की संरचना व जल धारण क्षमता में सुधार होता है, पौधें का संपूर्ण विकास व संपूर्ण पोषण वृद्धि के साथ-साथ हानिकारक मृदाजनित कवक रोगों से भी सुरक्षा हो जाती है।
ग्रामोफ़ोन बना सलाहकार तो किसान ने उगाई रोगमुक्त और उन्नत मिर्च की फसल
खेती के लिए जो सबसे अहम जरुरत होती है वो होती है मिट्टी की, इसीलिए मिट्टी का स्वस्थ होना किसी भी फसल से ज़बरदस्त उत्पादन प्राप्त करने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसी तथ्य को समझा खरगोन जिले के गोगावां तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम खारदा के रहने वाले किसान श्री जीतेन्द्र यादव जी ने। जीतेन्द्र ने मिर्च की खेती से पहले ग्रामोफ़ोन सॉइल समृद्धि किट का उपयोग अपने खेत में किया था जिसका उन्हें बहुत फायदा भी मिला है।
मध्यप्रदेश के निमाड़ क्षेत्र में आमतौर पर जून जुलाई में मिर्च की फसल लगती पर जीतेन्द्र ने दिसंबर महीने में मिर्च की खेती शुरू की थी जो उस क्षेत्र के हिसाब से ऑफ़ सीजन कहलायेगा। ऐसे में फसल को रोग लगने लो ज्यादा संभावना रहती है पर हुआ बिलकुल इसके विपरीत। बहरहाल फसल की बुआई के करीब 3 महीने बाद जब ग्रामोफ़ोन के संवाददाता उनसे मिलने उनके खेतों में पहुंचे तो जीतेन्द्र का उत्साह देखते ही बन रहा था।
जीतेन्द्र ने बताया की उनकी 50 दिन पुरानी मिर्च की फसल बिलकुल रोग मुक्त और स्वस्थ है। इसके पीछे की वजह को बताते हुए वे बहुत ज्यादा उत्साहित नजर आये। उन्होंने कहा की “मैंने अपने खेत में फसल बुआई से पहले ग्रामोफ़ोन के सॉइल समृद्धि किट का इस्तेमाल किया था जिसका परिणाम है यह रोग मुक्त और स्वस्थ फसल।”
ग़ौरतलब है की ग्रामोफ़ोन के सॉइल समृद्धि किट का इस्तेमाल करने से खेतों की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है और फसल को अन्य किसी बाहरी पोषक तत्व की जरुरत नहीं पड़ती है इसीलिए जीतेन्द्र की फसल भी स्वस्थ रही और इसमें किसी प्रकार के रोग नहीं लगे। जीतेन्द्र ने बताया की उन्हें इस बार अपनी फसल से अच्छे उत्पादन की उम्मीद है।
जीतेन्द्र की ही तरह अगर अन्य किसान भाई भी मिर्च की खेती करने की सोच रहे हैं तो वे ग्रीष्मकालीन मिर्च की फसल की खेती कर सकते हैं। इसके लिए बुआई मार्च और अप्रैल महीने में होती है। मिर्च की खेती या सॉइल समृद्धि किट से जुड़ी किसी भी प्रकार की जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल करें।
Shareबिना फसल बीमा कराये भी फसल को हुए नुकसान की होगी भरपाई, जानें- क्या है तरीका
अगर आपकी फसल को किसी प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान होता है तो इसमें फसल बीमा योजना से लाभ मिल जाता है पर कई बार किसान इस योजना से नहीं जुड़ते है तो उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है। हालांकि ऐसी स्थिति में भी किसानों को उस बैंक से मदद मिल सकता है जिससे उन्होंने कृषि लोन लिया हो।
इस विषय पर भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी वेबसाइट पर जानकारी दी है। इस जानकारी के अनुसार फसल को 33% से अधिक नुकसान होने पर किसान ने जिस बैंक से कर्ज लिया है, वहां से मदद मिल सकती है।
क्या है प्रक्रिया?
यदि केंद्र एवं राज्य सरकार आपके क्षेत्र को प्राकृतिक आपदा प्रभावित क्षेत्र घोषित कर देती है और आपकी फसल को 33% या उससे ज्यादा का नुकसान होता है तब आपको बैंक जा कर अपने फसल के नुकसान की सूचना देनी होगी और बताना होगा कि आपने जो कर्ज लिया है, उसे चुकाने की आपकी क्षमता प्रभावित हुई है।
कितनी मदद मिलेगी?
यदि आपकी फसल को 33 से 50% का नुकसान हुआ है तो बैंक आपके कृषि लोन की अदायगी के लिए 2 साल का अतिरिक्त समय दे देगी और इन दो सालों में से पहले साल कोई किस्त नहीं देनी होगी। वहीं अगर फसल को 50% से अधिक नुकसान होता है तब लोन चुकाने की अवधि में 5 साल की वृद्धि होगी और पहले साल कोई किस्त नहीं देनी होगी।
स्रोत: जनसत्ता
Shareजानें मिर्च की बेहतरीन किस्मों के बारे में
- हायवेग सानिया: मिर्च की यह किस्म जीवाणु उकठा एवं मोज़ेक वायरस के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है तथा इसकी प्रथम तुड़ाई 50- 55 दिनों में की जाती है। यह किस्म अधिक तीखा होने के साथ साथ चमकीला हरा तथा पीलापन लिए हुए होता है। इसके फल 13-15 सेमी लम्बाई, 1.7 सेमी मोटाई व लगभग 14 ग्राम वजन के होते हैं।
- मायको नवतेज (एम.एच.सी.पी- 319): यह पाउडरी मिल्ड्यू/भभूतिया और सूखे के प्रति सहनशील किस्म है। यह हाइब्रिड किस्म मध्यम से उच्च तीखापन लिए होती है जो लंबी संग्रहण क्षमता रखती है। इसमें मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
- मायको 456: इस किस्म में उच्च तीखापन होता है तथा मिर्च की लम्बाई 8-10 सेमी होती है।
- हायवेग सोनल: मध्यम तीखेपन के साथ मिर्च की लम्बाई 14 सेमी होती है, जो सुखाने के लिए अच्छी किस्म है।
- सिजेंटा एच.पी.एच -12: इसमें बीज की मात्रा और तीखापन अधिक होता है। इसके पौधे और शाखाएं झाड़ीनुमा मजबूत होते हैं।
- ननहेम्स US- 1003: हल्के हरे रंग के फलों के साथ मध्यम लम्बाई का पौधा होता है, जिनके फलों की गुणवत्ता अच्छी होती है।
- ननहेम्स US- 720: गहरे हरे रंग के मिर्च हैं जो मध्यम तीखी होती है।
- ननहेम्स इन्दु: यह किस्म मौजेक वायरस और भभूतिया रोग के प्रति माध्यम प्रतिरोधी है तथा इसमें संग्रहण क्षमता अच्छी होती है।
- स्टारफिल्ड जिनि: यह किस्म वायरस के प्रति सहनशील है।
- वी.एन.आर चरमी (G-303): यह किस्म हल्के हरे रंग की, मध्यम तीखापन वाली और इसमें मिर्च की लम्बाई 14 सेमी जैसे विशेषताएँ होती हैं। इसकी पहली तुड़ाई 55-60 दिनों में की जाती है।
- स्टारफिल्ड रोमी- 21: वायरस के प्रति सहनशील और अधिक उत्पाद देती है। लाल मिर्च के लिए बेहतरीन किस्म है।
जानें मिर्च की नर्सरी में किये जाने वाले मिट्टी उपचार के फायदे
- अनेक प्रमुख कीटों की प्रावस्थायें व मिट्टी जनित रोगों के कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो फ़सलों को विभिन्न प्रकार से क्षति पहुंचाते हैं। प्रमुख रूप से दीमक, सफेद गिडार (व्हाइट ग्रब), कटवर्म, सूत्रकृमि, आदि को मिट्टी उपचार द्वारा नष्ट किया जा सकता है।
- फफूंदी/जीवाणु रोगों के भी मिट्टी जनित कारक मिट्टी में पाये जाते हैं, जो अनुकूल परिस्थितियों में पौधे की विभिन्न प्रावस्थाओं को संक्रमित कर फसल उत्पादन में बाधक बन हानि पहुंचाते हैं।
- मिट्टी उपचार करने से मिर्ची के पौधे का सम्पूर्ण विकास, सम्पूर्ण पोषण वृद्धि तथा भरपूर गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त होता है।
- मिट्टी की संरचना सुधारने के साथ-साथ रसचूसक कीटों और रोगों का भी आक्रमण कम हो जाता है।
- कीट व रोगों के आक्रमण करने के बाद उपचार करने से कृषि रक्षा रसायनों का अधिक उपयोग किया जाता है, फलस्वरूप अधिक व्यय हो जाने के कारण उत्पादन लागत में वृद्धि होती है।