- यह रोग एक जीवाणु एवं कवक जनित रोग है जो फसल को सबसे ज्यादा नुकसान पहुँचाता है।
- जीवाणु जनित विल्ट या कवक जनित विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
- शुरूआती अवस्था में इसके कारण पत्तियाँ लटक जाती हैं, पत्तियां पीली हो जाती हैं, फिर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
- इसके कारण फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
- इस रोग के निवारण के लिए मिट्टी उपचार सबसे कारगर उपाय है।
- जैविक उपचार के रूप मायकोराइजा @ 4 किलो/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी@ 1 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
- इससे बचाव के लिए स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
- रासायनिक उपचार के रूप में कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ याथायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 250 ग्राम/एकड़ के दर से ड्रैंचिंग करें।
- इन सभी उत्पादों को 100 -50 किलो FYM के साथ मिलाकर मिट्टी उपचार भी किया जा सकता है।
मंडी भाव: मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या है कपास, गेहूं, मक्का, सोयाबीन के भाव?
इंदौर डिविज़न के अंतर्गत आने वाले खरगोन जिले के भीकनगांव मंडी में कपास, गेहूं, मक्का, सोयाबीन आदि फसलों का भाव क्रमशः 3600, 1585, 1070, और 3890 रुपये प्रति क्विंटल है।
इसके अलावा इंदौर डिविज़न के ही अंतर्गत आने वाले धार जिले के धार कृषि उपज मंडी में गेहूं 1830 रुपये प्रति क्विंटल, देशी चना 4910 रुपये प्रति क्विंटल, ज्वार 1480 रुपये प्रति क्विंटल, डॉलर चना 6030 रुपये प्रति क्विंटल, मक्का 1050 रुपये प्रति क्विंटल, मटर 3460 रुपये प्रति क्विंटल, मसूर 4800 रुपये प्रति क्विंटल और सोयाबीन
3920 रुपये प्रति क्विंटल है।
स्रोत: किसान समाधान
Shareबैगन की फसल में फल सड़न रोग की रोकथाम
- बैगन की फसल में इस रोग का प्रकोप अत्यधिक नमी की वजह से होती है।
- इसके कारण फलों पर जलीय सूखे हुये धब्बे दिखाई देते है जो बाद में धीरे धीरे दूसरे फलो में फैल जाते हैं।
- प्रभावित फलों की ऊपरी सतह भूरे रंग की हो जाती है जिस पर सफ़ेद रंग के कवक का निर्माण हो जाता है।
- इस रोग से ग्रसित पौधे की पत्तियों एवं अन्य भागों को तोड़कर नष्ट कर दें।
- इस रोग के निवारण के लिए फसल पर मेंकोजेब 75% WP @ 600 ग्राम/एकड़, या कासुगामायसिन 5% + कॉपरआक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़
- हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 300 ग्राम/एकड़ या स्ट्रेप्टोमायसिन सल्फेट 90% + टेट्रासायक्लीन हाइड्रोक्लोराइड 10% W/W@ 30 ग्राम/एकड़ की दर से छिडकाव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।
अब ‘किसान रेल’ से आधे किराए पर ही हो जायेगी फल और सब्जियों की माल ढुलाई
अब किसान रेल से फल और सब्जियां भेजने पर मालभाड़े में 50% तक की सब्सिडी दी जाएगी। इसके अंतर्गत आम, केला, अमरूद, कीवी, लीची, पपीता, मौसंबी, संतरा, कीनू, नींबू, पाइनएपल, अनार, जैकफ्रूट, सेब, बादाम, आवंला और नासपाती जैसे फल और मटर, करेला, बैंगन, गाजर, शिमला मिर्च, फूल गोभी, हरी मिर्च, खीरा, फलियां, लहसुन, प्याज, टमाटर, आलू जैसी सब्जियों की ढुलाई शामिल होगी।
फल और सब्जियों की माल ढुलाई पर सब्सिडी की यह व्यवस्था बुधवार से लागू कर दी गई है। किसान ही नहीं बल्कि कोई भी व्यक्ति इस सब्सिडी का लाभ ले सकता है और किसान रेल के माध्यम से केवल 50% भाड़े पर फल और सब्जियां भेज सकता है। ग़ौरतलब है कि सरकार ने इस वित्त वर्ष के बजट में विशेष पार्सल ट्रेन ‘किसान रेल’ चलाने का एलान किया था।
स्रोत: ज़ी न्यूज़
Shareककड़ी/खीरे में एन्थ्रेक्नोज रोग नियंत्रण कैसे करें?
- इस बीमारी के लक्षण पत्तियों, तने एवं फलों पर दिखाई देते हैं।
- इसके कारण नये फलों के ऊपर अण्डाकार जल रहित धब्बे निर्मित होते है जो आपस में मिलकर बहुत बड़े हो जाते हैं।
- अत्यधिक नमी के कारण इन धब्बों का निर्माण होता है और इन धब्बों से गुलाबी चिपचिपा पदार्थ निकलने लगता है।
- इस बीमारी में प्रभावित भागों पर अंगमारी रोग के समान लक्षण निर्मित हो जाते हैं।
- खेतों को साफ रखे एवं उचित फसल चक्र अपनाकर इस बीमारी को फैलने से रोकें।
- बुआई से पहले बीजों को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP से 2.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें।
- इस रोग के निवारण के लिए मैनकोज़ेब 75% WP@ 500 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या हेक्साकोनाज़ोल 5% SC@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ के रूप में उपयोग करें।
रबी फ़सलों की MSP पर खरीदी में मध्यप्रदेश सबसे आगे
फूड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के द्वारा जारी किये गए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2020-21 में रबी फसलों की खरीद के 43 लाख 35 हजार 477 किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है। सभी किसानों को मिलाकर 389.77 लाख मिट्रिक टन अनाज की खरीद की गई है। इसमें सबसे ज्यादा 15 लाख 93 हजार 793 मध्यप्रदेश के किसानों ने न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है।
रबी फसलों में सबसे प्रमुख गेहूं के उत्पादन में पंजाब इस बार मध्यप्रदेश से पिछड़ गया। यही कारण है कि इस साल न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठा पाने में पंजाब के किसान दूसरे नंबर पर पहुंच गए हैं। एफसीआई के आंकड़ों के मुताबिक पंजाब के 10 लाख 49 हजार 982 किसानों ने रबी की फसल के लिए एमएसपी का लाभ उठाया है। इसके अलावा हरियाणा के 7 लाख 82 हजार 240, उत्तर प्रदेश के 6 लाख 63 हजार 810 और राजस्थान के 2 लाख 18 हजार 638 किसानों ने एफसीआई के जरिए अपनी फसलें बेचकर न्यूनतम समर्थन मूल्य का लाभ उठाया है।
स्रोत: अमर उजाला
Shareलहसुन की फसल में खरपतवार का नियंत्रण
- लहसुन की फसल से अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए खरपतवार प्रबधन समय -समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।
- लहसुन की फसल में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए पेंडिमेथालीन 38.7% CS @ 700 मिली/एकड़ की दर से बुआई के 3 दिनों के बाद उपयोग करना चाहिए।
- ऑक्साडायर्जिल 80% WP @ 50 ग्राम/एकड़ की दर से बुआई के 10-15 दिनों के बाद लहसुन में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए उपयोग करें।
- प्रोपेक़्युज़ाफॉप 5% + ऑक्सीफ़्लोर्फिन 12% EC @ 250-350 मिली/एकड़ फसल में लगाने के 25-30 दिनों के बाद और 40-45 दिन बाद उपयोग करें।
लहसुन की फसल में मकड़ी का नियंत्रण कैसे करें?
- मकड़ी आकार में छोटे एवं लाल रंग के होते हैं जो फसलों के कोमल भागों जैसे पत्तियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।
- जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं। यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं जिसके कारण अंत में पौधा मर जाता है।
- लहसुन की फसल में मकड़ी कीट के नियंत्रण के लिए प्रोपरजाइट 57% EC @ 400 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को आसानी से मिल सकेगा बैंक लोन
पीएम मोदी ने 6 राज्यों के 763 गांवों में स्वामित्व योजना के तहत 1 लाख लोगों को उनके घरों का प्रॉपर्टी कार्ड वितरण किया है। इसके अंतर्गत आने वाले सभी लाभार्थियों को मैसेज द्वारा लिंक भेजा गया जिससे लाभार्थियों ने अपना स्वामित्व कार्ड ऑनलाइन डाउनलोड किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा, ‘स्वामित्व योजना, गांव में रहने वाले हमारे भाई-बहनों को आत्मनिर्भर बनाने में बहुत मदद करने वाली है।’ पीएम मोदी ने आगे कहा की, “पूरी दुनिया के बड़े-बड़े एक्सपर्ट्स इस बात पर जोर देते रहे हैं कि जमीन और घर के मालिकाना हक की, देश के विकास में बड़ी भूमिका होती है। जब संपत्ति का रिकॉर्ड होता है, जब संपत्ति पर अधिकार मिलता है तो नागरिकों में आत्मविश्वास बढ़ता है।”
गौरतलब हो की नए तकनीक के माध्यम से पहली बार इतना बड़ा कदम उठाया जा रहा है। इस योजना का सबसे बड़ा लाभ ग्रामीणों को बैंक लोन लेने में होगा। ऐसा कहा जा रहा है सरकार के इस कदम से ग्रामीणों द्वारा ऋण लेने और अन्य वित्तीय लाभ के लिए संपत्ति को वित्तीय संपत्ति के रूप में उपयोग करने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareगाजर मक्खी के प्रकोप से कैसे बचाएं गाजर की फसल?
- गाजर की मक्खी गाजर की फसल के आसपास और किनारों के चारो तरफ अण्डे देती है।
- लगभग 10 मिमी लम्बाई वाली यह इल्ली गाजर की जड़ों के बाहरी भाग को मुख्यतः अक्टूबर-नवम्बर महीने के दौरान नुकसान पहुँचाती है।
- यह धीरे-धीरे जड़ों में प्रवेश कर जड़ों के आंतरिक भागों को नुकसान पहुंचाने लगती है।
- इसके कारण गाजर के पत्ते सूखने लग जाते हैं। पत्तियां कुछ पीले रंग के साथ लाल रंग की हो जाती है। परिपक्व जड़ों की बाहरी त्वचा के नीचे भूरे रंग की सुरंगें दिखाई देने लगती हैं।
- इस इल्ली के प्रबंधन के लिए कारबोफुरान 3% GR@ 10 किलो/एकड़ या फिप्रोनिल 0.3% GR@ 10 किलो/एकड़ का उपयोग करें।
- इसके जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से मृदा उपचार करें।
- इन सभी उत्पादों का उपयोग मृदा उपचार के रूप में किया जाता है।