- जैविक उत्प्रेरक दरअसल ऐसे उत्पाद होते हैं जो फसलों में होने वाली वृद्धि एवं विकास की क्रिया को उत्तेजित करने का कार्य करते हैं।
- फसलों में फूल अवस्था या फल अवस्था के समय यदि किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न होता है तो इन उत्प्रेरको के उपयोग से इसका निवारण करने में सहायता मिलती है।
- यह फसलों में चयापचय की क्रिया को बढ़ने में मददगार साबित होते है।
- बहु वर्षीय फसलों एवं पौधों में कोशिका विभाजन एवं ऊतकों को भोजन बनाने की प्रक्रिया में सहायता करते हैं।
कड़कनाथ कुक्कुट-पालन योजना हेतु मध्यप्रदेश के चार जिलों को मिलेंगे 3 करोड़ रुपये
केन्द्र सरकार की तरफ से कड़कनाथ कुक्कुट-पालन योजना के अंतर्गत मध्यप्रदेश के चार जिलों के लिए 3 करोड़ रुपये की बड़ी रकम स्वीकृत की है। इन चार जिलों में झाबुआ, अलीराजपुर, बड़वानी और धार शामिल हैं।
3 करोड़ रुपये की यह बड़ी राशि इन जिलों की 20 समितियों के 300 सदस्यों को दी जाएगी। इस योजना के हर हितग्राही को 28 दिन के नि:शुल्क वैक्सीनेटेड 100 चूजे, दवा, दाना, दाना-पानी बर्तन और प्रशिक्षण दिया जायेगा। पालन-पोषण के लिये हितग्राहियों के निवास पर शासन द्वारा शेड भी निर्मित किया जायेगा।
स्रोत: कृषक जागरण
Shareइंदौर मंडी में क्या चल रहा है प्याज लहसुन और आलू का भाव?
प्याज का भाव | |
किस्म का नाम | भाव |
सुपर | 1400-1600 रूपये प्रति क्विंटल |
एवरेज | 1200-1400 रूपये प्रति क्विंटल |
गोलटा | 600-900 रूपये प्रति क्विंटल |
गोलटी | 300-600 रूपये प्रति क्विंटल |
छाटन | 300-600 रूपये प्रति क्विंटल |
लहसुन का भाव | |
किस्म का नाम | भाव |
सुपर | 5500-6500 रूपये प्रति क्विंटल |
एवरेज | 4500-5500 रूपये प्रति क्विंटल |
मीडियम | 3100-4500 रूपये प्रति क्विंटल |
हल्की | 2000-2500 रूपये प्रति क्विंटल |
आलू का भाव | |
आवक: 8000 कट्टे | |
किस्म का नाम | भाव |
सुपर पक्का | 1400-1500 रूपये प्रति क्विंटल |
ऐवरेज | 1200-1400 रूपये प्रति क्विंटल |
गुल्ला | 900-1400 रूपये प्रति क्विंटल |
छररी | 300-500 रूपये प्रति क्विंटल |
छाटन | 400-700 रूपये प्रति क्विंटल |
लीफ माइनर कीट की ऐसे करें पहचान एवं नियंत्रण
- लीफ माइनर (पत्ती सुरंगक) कीट बहुत ही छोटे होते हैं। ये पत्तियों के अंदर जाकर सुरंग बनाते हैं। इससे पत्तियों पर सफेद लकीरें दिखती हैं।
- लीफ माइनर का वयस्क कीट हलके पीले रंग का एवं शिशु कीट बहुत छोटा एवं पैर विहीन पीले रंग का होता है।
- कीट का प्रकोप पत्तियों पर शुरू होता है। यह कीट पत्तियों में सर्पिलाकार सुरंग बनाता है।
- यह पौधों की प्रकाश संश्लेषण क्रिया में बाधा पैदा करता है जिससे अततः पत्तियां गिर जाती है।
- इस कीट के नियंत्रण के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC@ 150 मिली/एकड़ या क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 8.8% + थायोमेथोक्जाम 17.5 SC @ 200 मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 300 मिली/एकड़ का उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ दर से छिड़काव करें।
प्याज़ की फसल में कंद फटने की समस्या का कारण एवं निदान
- कंद फटने के प्रथम लक्षण पौधे के आधार पर दिखाई देते हैं।
- प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है।
- खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पूरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते हैं।
- एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है।
- धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते हैं।
इंदौर के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहा है भाव?
डिवीजन | मंडी | फसल | न्यूनतम दर (₹/क्विंटल) |
अधिकतम दर (₹/क्विंटल) |
मॉडल दर (₹/क्विंटल) |
इन्दौर | बड़वाह | कपास | 4600 | 5300 | 5005 |
इन्दौर | बड़वाह | गेहूँ | 1526 | 1700 | 1559 |
इन्दौर | बड़वाह | तुअर/अरहर | 4551 | 4551 | 4551 |
इन्दौर | बड़वाह | मक्का/भुट्टा | 1200 | 1265 | 1235 |
इन्दौर | बड़वाह | सोयाबीन | 4075 | 4150 | 4150 |
इन्दौर | धार | गेहूँ | 1605 | 2127 | 1688 |
इन्दौर | धार | चना देशी | 3590 | 4575 | 4306 |
इन्दौर | धार | डॉलर चना | 3800 | 6085 | 5238 |
इन्दौर | धार | मक्का | 1000 | 1314 | 1255 |
इन्दौर | धार | मटर | 3590 | 3590 | 3590 |
इन्दौर | धार | मसूर | 4200 | 4498 | 4349 |
इन्दौर | धार | सोयाबीन | 2675 | 4702 | 4002 |
इन्दौर | सेंधवा | टमाटर | 900 | 1500 | 1200 |
इन्दौर | सेंधवा | पत्ता गोभी | 700 | 1000 | 850 |
इन्दौर | सेंधवा | फूलगोभी | 900 | 1100 | 1000 |
इन्दौर | सेंधवा | बैंगन | 800 | 1200 | 1000 |
इन्दौर | सेंधवा | भिण्डी | 900 | 1300 | 1100 |
इन्दौर | सेंधवा | लौकी | 700 | 1200 | 950 |
कैसा रहने वाला है मध्य प्रदेश का अगले 24 घंटे का मौसम?
देश भर में अब तक की बारिश के बारे में बात करें तो इस साल बारिश के सीजन में सामान्य 4% अधिक वर्षा हुई है। हालांकि मध्य प्रदेश के पूर्वी और पश्चिमी भागों में सामान्य से कम वर्षा इस सीजन में दर्ज की गई है।
मध्य भारत के अगले 24 घंटे के मौसम पूर्वानुमान की बात करें तो मौसम सामान्य रहेगा और सामान्य हवाएं चलेंगी।
वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareबीज उपचार में ट्रायकोडर्मा का करें उपयोग, मिलेंगे कई फायदे
- ट्राइकोडर्मा एक फफूंद है, जो सामान्यत: मृदा में पायी जाती है।
- इसका उपयोग सभी प्रकार की फसलों व सब्जियों जैसे कपास, तंबाकू, सोयाबीन, गन्ना, शकरकंद, बैंगन, चना, अरहर, मूंगफली, मटर, टमाटर, मिर्च, गोभी, आलू, प्याज, लहसुन, बैंगन, अदरक और हल्दी आदि फसलों में बीज़ उपचार के रूप में किया जाता है।
- सब्ज़ी वर्गीय फसल में बीज़ उपचार करने से फसलों में लगने वाले फफूंद जनित रोग तना गलन, उकठा आदि रोगों से सुरक्षा मिल जाती है। इसका उपयोग फलदार वृक्षों पर भी लाभदायक है।
- यह पौधे की बढ़वार में भी सहायक है इससे उत्पादन में वृद्धि होती है।
किसानों की कृषि परिवहन लागत में किसान रेल से आ रही है कमी
किसानों द्वारा अपनी उपज के परिवहन हेतु भारतीय रेलवे की तरफ से इसी साल 20 अगस्त से ‘किसान ट्रेन’ की शुरुआत की गई थी। इस ट्रेन से किसानों के फल, फूल, सब्जी, दूध और दही जैसे समान देश के एक हिस्से से दूसरे हिस्सों में जल्द पहुँचाए जाते हैं।
छोटे और सीमांत किसानों को उनके कृषि उत्पादों से बेहतर लाभ प्राप्त करने में यह रेल मददगार साबित हो रही है। इस रेल के माध्यम से परिवहन लागत में काफी कमी आ जाती है साथ ही अपव्यय, सुरक्षित और त्वरित वितरण में भी मदद मिलती है। इससे किसानों की आजीविका बदल रही है और वे समृद्ध हो रहे हैं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareआलू की फसल में हो रहा है थ्रिप्स का प्रकोप, जानें बचाव की विधि
- थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते है, यह पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
- यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं और इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
- इसके कारण प्रभावित आलू के पौधे की पत्तियां सूखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं या फिर विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर कर्ल (मुड़ जाना) हो जाती हैं।
- थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल-बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
- प्रबंधन: थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 75 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।