- आलू की फसल में होने वाला यह रोग फफूंद जनित होता है।
- इस रोग का प्रभाव आलू के कंद पर बहुत अधिक मात्रा में देखे जाते हैं।
- आलू के कंदो पर गहरे भूरे रंग के स्कैब उभरते हैं जो हाथ से छूने पर दरदरे महसूस होते हैं।
- इस रोग से ग्रसित आलू के कंद खाने योग्य नहीं रहते हैं।
- इस रोग के निवारण के लिए थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- इस रोग के प्रभावी के नियंत्रण के लिए बुआई से पहले बीज उपचार करना बहुत आवश्यक होता है।
मध्यप्रदेश के ग्रामीण प्रवासी मजदूरों को इस योजना से मिलेगा ब्याज मुक्त ऋण
साल 2020 में पूरी दुनिया में फैले कोरोना महामारी से छोटे छोटे बिजनेस करने वाले लोगों काफी नुकसान का सामना करना पड़ा। इसी नुकसान की भरपाई के लिए मध्य प्रदेश सरकार ने ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर्स के लिए एक योजना की शुरुआत की है। इस योजना का नाम मुख्यमंत्री ग्रामीण स्ट्रीट वेंडर ऋण योजना है।
इस योजना के माध्यम से महामारी के दौरान शहरों से गांव पहुंचे प्रवासी मजदूरों और लघु व्यापारियों को बिना ब्याज के ऋण दिया जाएगा जिससे वे छोटा-मोटा रोजगार पुनः शुरू कर सकेंगे।
इस योजना का लाभ वेंडर्स सर्टिफिकेट लेने के बाद मिलेगा और इस सर्टिफिकेट के लिए आवेदन करना होगा। इस आवेदन का सत्यापन ग्रामीण विकास विभाग, मध्य प्रदेश द्वारा किया जाएगा। आवेदन हेतु जरुरी दस्तावेजों में आधार कार्ड, समग्र आईडी और आधार से लिंक मोबाइल नंबर की जरुरत होती है। इस योजना में ऑनलाइन पंजीयन हेतु http://kamgarsetu.mp.gov.in/ पर जाएं।
स्रोत: कृषि जागरण
Shareसर्दियों में हो गया है मानसून जैसा माहौल, अभी और होगी बारिश
सर्दियों के मौसम में बरसात जैसा माहौल हो गया है और देश के कई राज्यों में बरसात हो रही है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareगोभी की फसल में हरी इल्ली के प्रकोप से होगा नुकसान, जानें निवारण विधि
- हरी इल्ली गोभी की फसल में होने वाला एक मुख्य कीट है जो फसल को काफी नुकसान पहुंचा सकता है।
- इसका लार्वा 25-30 मिमी लंबा, पांच आड़ी-पीली लाइनों के साथ पीले हरे रंग का होता है।
- इसकी बाहरी त्वचा पर छह जोड़ी काले और पीले धब्बे होते हैं।
- इस कीट की इल्लियाँ पत्तों में गोलाकार छेद कर फसल को हानि पहुंचाते हैं।
- कभी कभी यह इल्ली पत्तों को किनारे से भी खाना शुरू कर देते हैं या फिर पत्तों के बीच में से भी नुकसान पहुंचाता है।
- इस इल्ली के नियंत्रण के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 5% SG@ 100 ग्राम/एकड़ या क्लोरानट्रानिलीप्रोल 18.5% SC@ 60 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
इंदौर के भीकनगांव मंडी में क्या चल रहा है भाव?
| डिवीजन | मंडी | फसल | न्यूनतम दर (₹/क्विंटल) |
अधिकतम दर (₹/क्विंटल) |
मॉडल दर (₹/क्विंटल) |
| इन्दौर | भीकनगांव | कपास | 4000 | 5650 | 4930 |
| इन्दौर | भीकनगांव | गेहूँ | 1661 | 1794 | 1691 |
| इन्दौर | भीकनगांव | अरहर | 4500 | 5551 | 5311 |
| इन्दौर | भीकनगांव | मक्का | 971 | 1309 | 1268 |
| इन्दौर | भीकनगांव | सोयाबीन | 4141 | 5341 | 4467 |
नहीं आये पीएम किसान के पैसे तो निराश न हों, इस तारीख तक आ जाएंगे
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आने वाली सातवीं क़िस्त का इंतजार कई किसानों के लिए पिछले दिनों 25 दिसंबर 2020 को पूरा हो गया। हालांकि अभी भी बहुत सारे ऐसे किसान हैं जिनके बैंक खाते में अभी तक यह रकम नहीं पहुंची है। ऐसे किसानों को निराश होने की जरूरत नहीं है क्योंकि आगामी 31 मार्च 2021 तक किसानों के खाते में क़िस्त भेजे जाने के प्रक्रिया जारी रहेगी।
कई बार किस्त नहीं आने की वजह आपके द्वारा दर्ज की गई जानकारियों में ग़लतियाँ भी हो सकती हैं। इससे बचने के लिए आप PM Kisan पोर्टल पर जाकर अपना स्टेटस चेक कर सकते हैं।
इसके लिए आप https://pmkisan.gov.in पर जाएँ और ‘Farmers Corner’ पर क्लिक करने के बाद ‘Beneficiary Status’ ऑप्शन पर क्लिक करें। ऐसा करने से नया पेज खुलेगा जहाँ आपको आधार नंबर, बैंक खाता संख्या या मोबाइल नंबर में से किसी एक विकल्प को चुनना होगा। इस चुनाव के बाद आपको ‘Get Data’ पर क्लिक करना है। इससे आपको सभी ट्रांजेक्शन की जानकारी मिल जाएगी। यहीं पर अब पानी जानकारियों की सत्यता भी चेक कर सकते हैं। अगर आपकी सभी जानकारियाँ सही हैं तो आपको फ़िक्र करने की जरुरत नहीं है। आपकी क़िस्त 31 मार्च 2021 तक आपके खाते में पहुँच जायेगी।
स्रोत: इंडिया डॉट कॉम
Shareआने वाले 48 घंटे में मध्यप्रदेश समेत इन क्षेत्रों में होगी भारी बारिश
आने वाले 48 घंटे में पश्चिम भारत के कई क्षेत्रों में माध्यम से भारी बारिश के होने की संभावना है।
वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareजैविक उत्पादों का करें उपयोग, फसल एवं मिट्टी को मिलेंगे कई लाभ
- जैविक उत्पाद के उपयोग से फसल अपने अवशेषों को नहीं छोड़ते है एवं इनसे वातावरण प्रदूषण भी नहीं होता है।
- जैविक उत्पाद मिट्टी में सूक्ष्म पोषक तत्वों की क्रियाशीलता को बढ़ाते हैं।
- यह मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ाते है एवं मिट्टी की जल धारण क्षमता भी बढ़ाते हैं।
- जैविक उत्पाद रासायनिक उत्पादों की तुलना में कम कीमत एवं कम मात्रा में उपयोग होते हैं।
- यह उत्पाद फसलों की जड़ों का मिट्टी में प्रसार करने में बहुत मददगार होते हैं।
प्याज़ एवं लहसुन की फसल को सफेद गलन रोग से ऐसे बचाएं
सफेद गलन (व्हाइट रॉट): प्याज व लहसुन में सफेद गलन रोग स्लेरोशियम सेपी वीरम या स्क्लेरोशियम रोल्फ साई नामक फफूंद द्वारा होता है।
इस रोग के लक्षण जमीन के समीप प्याज/लहसुन का ऊपरी भाग गल जाता है तथा संक्रमित भाग पर सफेद फफूंद और जमीन के ऊपर हल्के भूरे रंग के सरसों के दाने की तरह सख्त संरचना बन जाती है, जिन्हें स्केलेरोशिया कहते हैं। संक्रमित पौधे मुरझा जाते हैं तथा बाद में सूख जाते हैं।
रासायनिक उपचार: इस रोग के निवारण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ या 250 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W @ 300 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार: जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से पौधों के पास जमीन से दें।
Share50-60 दिनों की हो गई हो प्याज़ की फसल तो जरूर अपनाएं ये फसल सुरक्षा उपाय
- प्याज़ की 50-60 दिनों की फसल में कीटों के प्रकोप एवं कवक रोगों से बचाव के साथ साथ पोषक तत्वों की पूर्ति की भी जरूरत पड़ती है।
- कीटों से सुरक्षा के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- रोगों से सुरक्षा के लिए क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में 50-60 दिनों में पोषण प्रबंधन करने के लिए कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश@ 25 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
- प्याज़ की फसल में पोषक तत्व प्रबधन छिड़काव के रूप में करने के लिए सूक्ष्म पोषक तत्व @ 250 मिली/एकड़ के रूप में करें।
