LIC की यह पॉलिसी आपके बच्चों का भविष्य करेगी बेहतर, पढ़ें पूरी जानकारी

New Children's Money Back Plan

जीवन बीमा निगम (LIC) आपके बच्चों के लिए एक ख़ास पॉलिसी लेकर आई है। इसका नाम ‘न्‍यू चि‍ल्‍ड्रन्‍स मनी बैक प्‍लान’ है। इससे आप अपने बच्चे के भविष्य को सुरक्षित बना सकते हैं। इस पॉलिसी में अगर आप अच्छा निवेश कर देंगे तो जब तक आपका बच्चा अपनी पढ़ाई पूरी करेगा तब तक वो लखपति बन जाएगा।

एलआईसी के इस पॉलिसी से 0 से 12 वर्ष के बच्चे जुड़ सकते हैं। इस पॉलिसी में कम से कम 10 हजार रूपये की रकम जरूर निवेश करनी होती है। इसमें अधिकतम राशि की कोई सीमा नहीं है।

इस पॉलिसी की कुल अवधि 25 वर्ष है और बच्चे के 18 वर्ष, 20 वर्ष और 22 वर्ष पूरा हो जाने पर बेसिक सम इंश्योर्ड के आधार पर 20-20% की राशि का भुगतान भी किया जाता है। इसके अलावा 25 वर्ष पूरा होने पर 40% पॉलिसी होल्डर को मिल जाता है।

इसके साथ ही पॉलिसी अवधि पूरी होने से पहले अगर पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाए तो तो बीमा राशि के साथ साथ निहित साधारण प्रत्यावर्ती बोनस व अंतिम अतिरिक्त बोनस भी दिया जाता है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मध्य प्रदेश में भीषण गर्मी का प्रकोप रहेगा जारी, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Forecast

पिछले कुछ दिनों से तापमान में काफी बढ़ोतरी देखने को मिली है। विदर्भ और दक्षिणी मध्य प्रदेश के ज्यादातर क्षेत्रों में तापमान 38 से 39 डिग्री तक पहुँच गई है। यह तापमान सामान्य से 3 से 4 ज्यादा है। आने वाले कुछ दिनों तक भीषण गर्मी से कोई राहत की संभावना नहीं है। मौसम भी पूरी तरह से शुष्क रहेगा।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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मायकोराइज़ा की मदद से तरबूज के पौधे को मिलती है बेहतर बढ़वार, जानें अन्य फायदे

Importance of mycorrhiza in watermelon
  • तरबूज के पौधों की जड़ों से माइकोराइज़ा कवक के सूक्ष्म कण जुड़कर जड़ों के वृद्धि एवं विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को प्रदान करता है।
  • विशेष रूप से फास्फोरस, पोटाश आदि जैसे तत्व तरबूज की फसल के विकास को बढ़ाते हैं।
  • माइकोराइज़ा कवक तरबूज के पौधे को मिट्टी से अधिक से अधिक पोषक तत्वों एवं पानी को खींचने में मदद करता है।
  • माइकोराइज़ा कवक विभिन्न प्रकार के पर्यावरणीय तनावों को सहने के लिए पौधे की सहनशीलता को बढ़ाता है।
  • इसके अलावा, माइकोराइज़ा कवक मिट्टी में सभी प्रकार के आवश्यक पोषक तत्वों को इक्क्ठा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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1 मार्च को क्या रहे इंदौर मंडी के भाव

Mandi Bhaw

 

फसल न्यूनतम भाव अधिकतम भाव
डॉलर चना 3175 6825
गेहु 1100 2125
चना मौसमी 1305 5440
सोयाबीन 2960 5190
मक्का 1170 1330
बटला 2650 3995
तुअर 3700 6500
धनिया 5000 5910
मिर्ची 2850 20000
सरसों 5005 5005
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तरबूज की फसल में ऐसे करें खरपतवार प्रबंधन

Weed Management in watermelon
  • तरबूज एक उथली जड़ वाली फसल है, इस कारण इसमें अंतरशस्य क्रियाएँ बहुत आराम से की जाती है।
  • प्रायः निड़ाई एवं गुड़ाई कतारों के मध्य ही की जाती है। खेत में खरपतवारों को बहुत अधिक बड़ा नहीं होने चाहिए चाहिए। खेत में बड़े खरपतवार उग आने पर उन्हे हाथों से उखाड़ कर अलग कर देना चाहिये।
  • रासायनिक खरपतवार नाशक जैसे पेडामेथलिन 30% CS @ 700 मिली/एकड़ का अंकुरण पूर्व 1 से 3 दिनों की अवस्था में छिड़काव करें।
  • सकरी पत्ती के खरपतवार के नियंत्रण हेतु खरपतवार 2-4 पत्ती की अवस्था पर क्विजलॉफॉप इथाइल 5% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोपाक्विज़ाफोप 10% EC@ 400 मिली प्रति एकड़ 10 से 25 दिनों की फसल अवस्था में छिड़काव करें।
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किसान क्रेडिट कार्ड से अब मिलेगा ज्यादा ऋण, पढ़ें पूरी जानकारी

Now more loan will be available from Kisan Credit Card

‘किसान क्रेडिट कार्ड’ के माध्यम से जहाँ पहले किसान 15 लाख रूपए तक की रकम प्राप्त कर सकते थे वहीं अब इस रकम को बढ़ा कर 16.5 लाख रूपए करने का निर्णय लिया गया है। सरकार ने यह निर्णय किसानों की आर्थिक स्थिति बेहतर करने के लिए लिया है। 

बता दें की वर्तमान में लाखों किसान ‘किसान क्रेडिट कार्ड’ का लाभ ले रहे हैं। सरकार आने वाले दिनों में 2.50 करोड़ किसानों तक किसान क्रेडिट कार्ड की सुविधा पहुंचाना चाहती है। ग़ौरतलब है की किसान क्रेडिट कार्ड कृषि, पशुपालन व मछली पालन आदि कार्यों से जुड़ा कोई भी किसान ले सकता है। इसके अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के खेतों में खेती करने वाला किसान भी इसका लाभ ले सकता है। इस योजना का लाभ 18 से 75 वर्ष के किसान ले सकते हैं।

स्रोत: कृषि जागरण

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अगले दो तीन दिनों में मध्य प्रदेश समेत इन राज्यों में गिरेगा तापमान

Weather Forecast

पिछले दिनों के वेस्टर्न डिस्टरवेंस की वजह से उत्तरी राज्यों में तापमान में गिरावट देखने को मिली थी और अब इसी वजह से आने वाले दो तीन दिनों में मध्य भारत के राज्यों में भी तापमान में हल्की गिरावट देखने को मिल सकती है। इसके अलावा देश के ज्यादातर क्षेत्रों में मौसम के शुष्क रहने की संभावना है।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

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लहसुन की फसल में पुनः अंकुरण की समस्या का कारण एवं समाधान

re-germination in garlic crop
  • लहसुन की फसल में पुनः अंकुरण की समस्या का कारण एवं समाधान
  • लहसुन की फसल में आजकल पुनः अंकुरण की समस्या देखने को मिल रही है .
  • यह समस्या अधिक सिंचाई या फिर अनियमित सिंचाई करने के कारण होती है।
  • नाइट्रोज़न युक्त उर्वरकों का अधिक उपयोग करने से भी यह समस्या लहसुन की फसल में दिखाई देती है।
  • इसके निवारण के लिए बोरान 20% @ 200 ग्राम/एकड़ के साथ 00:00:50 @ 1 किलो/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • लहसुन को निकालने के 15 दिनों पहले पेक्लोबूट्राज़ोल 23% WW @ 50 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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फसलों का विकास रोक देता है मिलीबग, जानें नियंत्रण के उपाय

Mealybug control measures
  • मिलीबग एक प्रकार का रस चूसक कीट है जो पत्तियों या टहनियों पर आक्रमण करके उनका रस चूसता है।
  • यह कीट सफ़ेद रुई के तरह का होता है और इस कीट के वयस्क बहुत अधिक संख्या में पौधों से आवश्यक पोषक तत्वों को चूसकर फसल विकास को प्रभावित कर देते हैं।
  • इस कीट के नियंत्रण के लिए थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 200 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मूंग की फसल में राइज़ोबियम कल्चर का महत्व

Importance of Rhizobium culture in Moong crop
  • मूंग की जडों की ग्रंथिकाओं में राइज़ोबियम नामक जीवाणु पाया जाता है जो वायुमंडलीय नत्रजन का स्थिरीकरण कर फसल की उपज बढ़ाता है।
  • राइज़ोबियम कल्चर के इस्तेमाल से दलहनी फ़सलों की जड़ों में तेजी से गांठे बनती है जिससे मूंग, चना, अरहर व उड़द की उपज में 20-30 फीसदी व सोयाबीन की उपज में 50-60 फीसदी तक का इज़ाफा होता है।
  • राइजोबियम कल्चर के प्रयोग से भूमि में लगभग 30-40 किलो नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर तक बढ़ जाती है।
  • राइजोबियम कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से बीज उपचार तथा मिट्टी के उपचार बुआई पूर्व के लिए 1 किलो/एकड़ प्रति 50 किलो गोबर खाद में मिलाकर किया जाता है।
  • दलहनी फ़सलों की जड़ों में मौजूद राइजोबियम जीवाणुओं द्वारा जमा की गई नाइट्रोजन अगली फसल में इस्तेमाल हो जाती है, जिससे अगली फसल में भी नत्रजन कम देने की आवश्यकता होती है।
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