कश्मीर से कन्याकुमारी तक बारिश के बने आसार, देखें मौसम पूर्वानुमान

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मानसून की विदाई की सामान्य तिथि 27 सितंबर है परंतु 6 दिन की देरी से इस बार मानसून विदा होगा। बंगाल की खाड़ी में निम्न दबाव का क्षेत्र बना है जो धीरे-धीरे पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए और मजबूत होकर डिप्रेशन बन सकता है। यह इस सीजन का लगातार बनने वाला पांचवा डिप्रेशन होगा। आज गंगिय पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक सहित छत्तीसगढ़ के कई जिले अच्छी बारिश देखेंगे। जब यह डिप्रेशन महाराष्ट्र और दक्षिणी मध्य प्रदेश के आसपास पहुंचेगा, तो उस समय 25 और 26 सितंबर के आसपास पश्चिमी उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, दिल्ली, दक्षिणी हरियाणा और दक्षिण पूर्वी राजस्थान में भी बारिश होगी। बिहार और झारखंड सहित पूर्वोत्तर राज्यों में भी 24 घंटे के बाद बारिश की गतिविधियां शुरू हो जाएगी। लद्दाख और जम्मू कश्मीर में हल्की बारिश की संभावना है। तमिलनाडु और केरल हल्की बारिश देखेंगे। आंध्र प्रदेश में अच्छी बारिश हो सकती है।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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प्याज की बुआई के तीन तरीके, जानें कौन सा तरीका है बेस्ट?

Three methods of sowing onion know which method is best?

वर्तमान में कई किसान प्याज की खेती की प्लानिंग कर रहे हैं। क्या आपको पता है की प्याज की खेती में बुआई का काम तीन तरीके से किया जा सकता है। आइये बारी बारी से जानते हैं इन तीनों विधियों के बारे में मुख्य जानकारी।

  • सीधे बीज डालकर: प्याज बुआई की इस विधि का उपयोग बलुआही मिट्टी (सैंडी साइल) में किया जाता है। इस विधि में मिट्टी को अच्छे ढंग से तैयार कर बीज खेत में छोड़ देते हैं। इस विधि में बीज की मात्रा 4-5 किलो प्रति एकड़ रखी जाती है।

  • गांठों से प्याज लगाना: बुआई की इस विधि में प्याज को पहले से ही अंकुरित कर के तैयार कर लिया जाता है। छोटे प्याज के गांठों को लगाया जाता है। प्याज की 4-5 क्विंटल प्रति एकड़ की दर से गाँठ लगते हैं।

  • बीज से पौध तैयार कर खेत में लगाना: प्याज की खेती की यह सबसे ज्यादा अपनाई जाने वाली प्रचलित विधि है। इसके द्वारा पहले प्याज के बीज को नर्सरी में बोते हैं और फिर इसके पौध को मुख्य खेत में रोपा जाता है।

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लोबिया की फसल में जड़ सड़न व डम्पिंग ऑफ के प्रकोप को ऐसे करें नियंत्रित

Root rot and damping off of cowpea crop
  • रोगों के प्रकोप की वजह से अंकुर छोटे रह जाते हैं और इन अंकुरों में से कुछ हाइपोकोटिल क्षेत्र में सड़ जाते हैं एवं नीचे की ओर फैल जाते हैं।

  • इससे जड़ें भी सड़ने लगती हैं और पौधे सूखने लगते हैं।

  • परिपक्व पौधों के निचले तने पर भूरे-काले धंसे हुए घाव दिखाई देते हैं, और जड़ों में छोटे काले स्क्लेरोटिया जमा हो जाते हैं।

  • इसके कारण कभी-कभी तने का मेखला अनुदैर्ध्य रूप से टूट भी सकता है।

  • इसके प्रकोप से बचने के लिए 2-3 वर्षों के लिए गैर-मेज़बान फसलों के साथ फसल चक्र को अपनाएँ।

  • नियंत्रण के लिए बुआई से पहले करमानोवा (कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 64%) @ 3 ग्राम/किग्रा बीज के साथ बीज उपचार करें।

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बंगाल की खाड़ी से नया निम्न दबाव करवाएगा भारी बारिश, जल्द शुरू होगी मानसून की विदाई

know the weather forecast,

पाकिस्तान के मध्य भागों में एक विपरीत चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र बनने लगा है। इसके प्रभाव से शुष्क हवाएं उत्तर पश्चिम दिशा से चलना शुरू हो जाएंगे तथा पश्चिमी राजस्थान और कच्छ के कुछ इलाकों से मानसून की विदाई शुरू हो जाएगी। परंतु उसके बाद मानसून कुछ देर रुकेगा। बंगाल की खाड़ी में बना चक्रवाती हवाओं का क्षेत्र एक निम्न दबाव बनाएगा जो पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए डिप्रेशन के रूप में सशक्त हो जाएगा। इसके प्रभाव से तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, उत्तरी कर्नाटक, महाराष्ट्र, दक्षिणी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में अच्छी बारिश होगी। दो दिन बाद बिहार, झारखंड, गंगीय पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश में भी बादल बरसेंगे। 25 और 26 सितंबर के आसपास दिल्ली, पूर्वी राजस्थान और पूर्वी गुजरात में भी बारिश होगी।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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तोरई की फसल में लीफ माइनर प्रकोप का ऐसे करें निदान

Attack of leaf miner in Ridge gourd
  • लीफ माइनर का वयस्क रूप एक हलके पीले रंग की मक्खी होती है जो पत्तियों पर अंडे देती है।

  • इससे पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती है तथा अधिक प्रकोप होने पर पत्तियाँ सूख कर गिर जाती हैं।

  • इस कीट से प्रभावित पौधों पर फलन की समस्या देखने को मिलती है जिससे उपज में कमी आ जाती है।

  • इससे बचाव के लिए खरपतवार को खेत और उसके आसपास से हटाएँ।

  • इसकी रोकथाम हेतु क्लोरीडा (इमिडाक्लोप्रिड 17.80% SL) @ 40 मिली/एकड़ या बेनेविया (सायनट्रानिलिप्रोल 10.26%) 360 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खेत में करें डीकम्पोज़र का उपयोग

Use of Decomposers after soybean harvesting
  • सोयाबीन की फसल की कटाई के बाद उसके फसल अवशेष बहुत अधिक मात्रा में खेत में रह जाते हैं। 

  • इन अवशेषों के कारण लगायी जाने वाली अगली फसल में इन अवशेषों के कारण कवक जनित एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप बहुत अधिक मात्रा में होता है।

  • इसी कारण लगायी गई नई फसल में जड़ गलन, तना गलन आदि रोग हो जाते हैं।

  • इस प्रकार के कवक एवं जीवाणु जनित रोगों का प्रकोप नयी फसल में ना हो इसके  लिए सोयाबीन के फसल की कटाई के बाद खाली खेत में या फसल की बुआई के बाद दोनों ही स्थिति में डीकम्पोज़र का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके लिए यदि किसान तरल द्रव्य का उपयोग करना चाहते हैं तो 1 लीटर/एकड़ की दर से डीकम्पोज़र का उपयोग छिड़काव के रूप में कर सकते हैं।

  • इसके अलावा ग्रामोफ़ोन किसानों को स्पीड कपोस्ट के नाम से डीकम्पोज़र उपलब्ध करवा रहा है जिसको 4 किलो/एकड़ की मात्रा में 10 किलो यूरिया मिलाकर, खेत की 50-100 किलो मिट्टी में मिलाकर खेत में भुरकाव करें।

  • जब डीकम्पोज़र का उपयोग किया जा रहा हो तो ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी हो।

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बंगाल की खाड़ी का निम्न दबाव अब डिप्रेशन बनेगा, कई राज्यों में होगी बारिश

know the weather forecast,

बंगाल की खाड़ी में बनने वाला निम्न दबाव पश्चिम दिशा में आगे बढ़ते हुए और सशक्त होकर डिप्रेशन बन सकता है। आज इसका प्रभाव तेलंगाना, महाराष्ट्र और उत्तरी आंध्र प्रदेश के साथ दक्षिणी छत्तीसगढ़ पर दिखाई देगा। अगले 24 घंटे के दौरान मध्य प्रदेश में भी बारिश शुरू हो जाएगी। 25 और 26 तक बारिश की गतिविधियां दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और गुजरात तक भी पहुंच सकती हैं। इस डिप्रेशन के प्रभाव से उत्तर भारत सहित राजस्थान में एक बार फिर दक्षिण पूर्वी हवाएं चलेंगी जो मानसून को वापसी नहीं करने देंगी। तमिलनाडु और केरल सहित दिल्ली, पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, पश्चिम राजस्थान और गुजरात के ज्यादा इलाकों का मौसम सूखा रहेगा।

स्रोत: स्काइमेट वेदर

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लहसुन के भाव में तेजी जारी, 36000 रुपये तक पहुंचे उच्च भाव

garlic mandi rate,

मध्य प्रदेश के अलग अलग मंडियों में क्या चल रहे हैं लहसुन के भाव? आइये देखते हैं पूरी सूची।

मध्य प्रदेश की मंडियों में लहसुन के ताजा मंडी भाव
जिला कृषि उपज मंडी किस्म न्यूनतम मूल्य (प्रति क्विंटल) अधिकतम मूल्य (प्रति क्विंटल)
रतलाम आलोट लहसुन 15001 19314
शाजापुर आगर लहसुन 5000 28100
सीहोर आष्टा लहसुन 12000 13420
उज्जैन बड़नगर लहसुन 8000 15000
धार बदनावर लहसुन 2000 27500
भोपाल भोपाल लहसुन 9200 36100
मन्दसौर दलौदा लहसुन 8000 29811
मन्दसौर दलौदा लहसुन-जैविक 24002 24002
इंदौर गौतमपुरा लहसुन 9000 24000
इंदौर गौतमपुरा लहसुन-जैविक 14100 21905
इंदौर इंदौर लहसुन 1400 28500
रतलाम जावरा लहसुन 5100 35001
शाजापुर कालापीपल लहसुन 9700 21200
नीमच मनसा लहसुन 12900 29000
मन्दसौर मन्दसौर लहसुन 1000 34200
राजगढ़ नरसिंहगढ़ लहसुन 8500 26600
नीमच नीमच औसत 1501 27700
नीमच नीमच लहसुन 9000 32001
मन्दसौर पिपल्या लहसुन 1100 31500
मन्दसौर पिपल्या लहसुन-जैविक 12701 24312
धार राजगढ़ लहसुन 12500 26000
रतलाम रतलाम देसी 8800 26800
रतलाम रतलाम लहसुन 1500 27434
रतलाम सैलाना लहसुन 4200 30600
सीहोर सीहोर लहसुन 10000 26151
शाजापुर शाजापुर लहसुन 2000 26100
मन्दसौर शामगढ़ लहसुन 12000 33000
शाजापुर शुजालपुर देसी 3100 26002
मन्दसौर सीतामऊ देसी 14100 14200
मन्दसौर सीतामऊ लहसुन 11000 25210
उज्जैन उज्जैन लहसुन 3000 25000

स्रोत: एगमार्कनेट

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सोयाबीन की फसल के लिए तना मक्खी का प्रकोप होगा घातक

Stem fly infestation will be fatal for soybean crop
  • सोयाबीन की फसल में तना मक्खी/तना छेदक के प्रकोप का मुख्य कारण फसल का बहुत घना बोया जाना, कीटनाशकों का सही समय एवं सही मात्रा में उपयोग न होना और फसल चक्र ना अपनाना होता है।

  • सोयाबीन की फसल में तना मक्खी के इल्ली का प्रकोप की शुरूआती अवस्था में ही नियंत्रण करना बहुत जरूरी होता है।

  • तना मक्खी के नियंत्रण के लिए बवे कर्ब का छिड़काव समय समय पर करना बहुत आवश्यक होता है।

  • इसके नियंत्रण के लिए थियानोवा (थियामेंथोक्साम 25% WG) 100 ग्राम/एकड़ + डेनिटोल (फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC) @ 400 मिली/एकड़ या थियानोवा (थियामेंथोक्साम 25% WG) 100 ग्राम/एकड़ + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) 250 ग्राम/एकड़ या फिपनोवा (फिप्रोनिल 5% SC) @ 400 मिली/एकड़ या डेनिटोल (फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC) 400 मिली/एकड़ + बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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सोयाबीन को चने की इल्ली से होगा नुकसान, जल्द करें बचाव

Soybean will be harmed by Gram pod borer
  • इस इल्ली का लार्वा पौधे के सभी हिस्सों पर आक्रमण करता है, लेकिन ये फूल और फली को खाना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं।

  • प्रभावित फली पर ब्लैक होल दिखाई देता है तथा लार्वा भोजन करते समय फली से बाहर लटका हुआ दिखाई देता है।

  • छोटा लार्वा पत्तियों के क्लोरोफिल को खुरच-खुरच कर खाता है, जिससे पत्तियाँ कंकाल में परिवर्तित हो जाती हैं।

  • गंभीर संक्रमण की अवस्था में पत्तियां टूट कर गिरने लगती हैं तथा पौधा मर जाता है।

कैसे करें सोयाबीन में चने की इल्ली का प्रबंधन:-

  • वयस्क कीट के नियंत्रण के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 8-10 प्रति एकड़ का उपयोग करें।

  • पहला स्प्रे प्रोफेनोवा (प्रोफेनोफॉस 50% EC) @ 300 मिली/एकड़ + ट्राईसेल (क्लोरोपायरीफॉस 20% EC) @ 500 मिली/एकड़।

  • दूसरा स्प्रे प्रोफेनोवा सुपर (प्रोफेनोफोस 40% EC + साइपरमेथ्रिन 4% EC) @ 400 मिली/एकड़ + इमानोवा (इमामैटिन बेंजोएट 5% SG) @ 80-100 ग्राम/एकड़।

  • तीसरा स्प्रे एमप्लिगो (क्लोरेंट्रानिलिप्रोएल 9.3% + लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.6% JC) @ 100 मिली/एकड़ या लार्वीन (थायोडिकार्ब 75% WP) @ 250 ग्राम/एकड़।

  • जैविक उपचार के रूप में बवे कर्ब (बवेरिया बेसियाना) @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से स्प्रे करें।

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