ऐसे तैयार करें बोतल बंद गन्ने का रस

You can prepare cane juice in a bottle
  • तीन किलो गन्ने के रस के लिए एक निम्बू और 2-3 ग्राम अदरक का रस मिलाएं।
  • गन्ने के रस को 600-700 सेन्टीग्रेड तापमान पर 15 मिनट तक गर्म करें।
  • कचरे या गन्देपन को मसलिन वाले कपड़े से छानकर निकाल दें।
  • गन्ने के रस को साफ़ और सुरक्षित रखने के लिए 1 ग्राम सोडियम मेटाबाईसल्फाइड प्रति 8 लीटर रस में डालें।
  • इस रस को गर्म पानी से जीवाणुरहित की गई बोतलों में भरकर कार्क लगाने वाली मशीन की सहायता से कार्क लगाएं।
  • इस बोतल बंद रस को 6-8 सप्ताह के लिए भण्डारित किया जा सकता है।
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मध्यप्रदेश बना वैज्ञानिक विधि से गेहूँ का भंडारण करने वाला अग्रणी राज्य

MP becomes the leading state in wheat storage through scientific method

मध्यप्रदेश में गेहूं की खरीदी 15 अप्रैल से रोज़ाना चल रही है और अब इसका भंडारण भी शुरू हो गया है। यहाँ गेहूँ का भंडारण वैज्ञानिक तरीके से किया जा रहा है। वैज्ञानिक तरीके से भंडारण करने के मामले मध्यप्रदेश देश का अग्रणी राज्य बन गया है। राज्य की 289 सहकारी समितियों ने 1 लाख 81 हजार से भी अधिक किसानों से 11 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया है। इस उपार्जित गेहूं का भंडारण 25 साईलो बैग और स्टील साइलो में किया जा रहा है।

साईलो बैग और स्टील साइलो के बारे में बताते हुए प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिवशेखर शुक्ला ने कहा कि यह खाद्यान्न भंडारण की सबसे आधुनिक तकनीकी है। इसमें खाद्यान्न को लम्बे समय तक सुरक्षित रखने के लिए कीटनाशक औषधियों का इस्तेमाल करने की कोई जरुरत नहीं होती है। बिना कीटनाशक का इस्तेमाल किये ही इस तकनीक के जरिये लंबे समय तक खाद्यान्न को सुरक्षित रखा जा सकता है।

यह तकनीक सोशल डिस्टेंसिंग बनाये रखने में मददगार है
प्रमुख सचिव श्री शुक्ला बताते हैं कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी सोशल डिस्टेंसिंग को बनाए रखने में भी साइलो बैग वाली तकनीक मददगार है। इस तकनीक से भंडारण करने में मानव श्रम की कम आवश्यकता होती है। इस पद्धति में किसान ट्रैक्टर, ट्रॉली या ट्रक में अपनी उपज लेकर पहुँचता है, तो धर्म-काँटे से तौल करने के बाद हाइड्रोलिक सिस्टम के द्वारा एक ही बार में उसका पूरा गेहूं भंडारण के लिए खाली करा लिया जाता है। इस पूरे कार्य में 15 से 20 मिनट ही लगते हैं और ज्यादा लोगों की भीड़ भी जमा नहीं होती है।

स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश

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ग्रामोफ़ोन का साथ मिलने से इंदौर के धीरज रमेश चंद्र बने ‘स्मार्ट किसान’

Dheeraj Ramesh Chandra of Indore becomes 'smart farmer' with the help of Gramophone

इंदौर जिले के देपालपुर तहसील के करजोदा गांव के रहने वाले किसान भाई धीरज रमेश चंद्र अपने पिताजी के समय से खेती करते आ रहे हैं वे बताते हैं की “पहले बहुत पुराने तरीके से खेती होती थी लेकिन अब बहुत सारे नए तरीके आ गए हैं। बाजार में बहुत सी दवाइयाँ उपलब्ध हैं, लेकिन दवाइयाँ जो लेने जाते हैं उसकी जगह पर दुकानदार अन्य दवाइयाँ दे देते हैं। इसीलिए इन दवाइयों पर कोई भरोसा नहीं होता, की फसल बचेगी या ख़राब होगी।”

धीरज जब अपनी इन्हीं समस्याओं का समाधान ढूंढ रहे थे तभी वे ग्रामोफ़ोन के सम्पर्क में आये। उन्होंने अपने ग्रामोफ़ोन से संपर्क का वाक्या बताते हुए कहा की “जब मैं अपनी समस्या का समाधान ढूंढ रहा था तभी मुझे गांव के लोगों से ग्रामोफ़ोन के बारे में जानकारी मिली। मैंने ग्रामोफ़ोन से दवाइयाँ मंगवानी शुरू की। यहाँ से मुझे दवाइयाँ ऑरिजनल, अच्छी क्वालिटी की, उचित दाम पर, सही समय पर और अपने घर पर ही प्राप्त हुई।

धीरज ने ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के फायदे बताते हुए कहा की “फसल में मुझे जब भी कोई समस्या आई तो मैंने उसकी फोटो खींच कर ग्रामोफ़ोन एप पर अपलोड किया और ग्रामोफ़ोन की तरफ से उन्हें तत्काल मदद मिल गई।” उन्होंने अन्य किसानों के लिए यह भी बताया की अगर आप स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल नहीं करते हैं तब भी टोल फ्री नंबर पर मिस्ड कॉल देकर भी अपनी समस्या का समाधान करवा सकते हैं। आखिर में उन्होंने ग्रामोफ़ोन को किसानों का सच्चा मित्र और साथी भी बताया।

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म.प्र. में किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी शुरू, अब तक दिए गए 200 करोड़

मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की शुरुआत हुए एक हफ्ते से ज्यादा हो गया है। अब प्रदेश के किसानों को गेहूं उपार्जन की राशि मिलनी भी शुरू हो गई है। इसकी जानकारी खुद प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने दी। उन्होंने कहा कि “प्रदेश में चल रहे रबी उपार्जन कार्य में गेहूं की राशि किसानों के खातों में भिजवाए जाने की प्रक्रिया प्रारंभ हो गई है। उपार्जन की लगभग 200 करोड़ रुपए की राशि बैंकों को भिजवा दी गई है। यह राशि 02-03 दिन में किसानों के खातों में पहुँच जाएगी।”

बता दें की पिछले साल की तुलना में इस बार अभी तक मंडियों के माध्यम से दोगुना गेहूं बिक चुका है। मुख्यमंत्री मंत्रालय में अपने मंत्रियों एवं अन्य वरिष्ठ अधिकारियों के साथ रबी उपार्जन के कार्य की मॉनिटरिंग स्वयं कर रहे थे। इस बैठक में अब तक हुए गेहूं उपार्जन से जुड़ी जानकारी देते हुए बताया गया कि अब तक हुई खरीदी में से 81% सौदा पत्रक से हुई है। इसके अंतर्गत व्यापारी किसानों के घर से ही गेहूं ख़रीद रहे हैं।

बहरहाल बता दें की मंडियों के माध्यम से अब तक पिछले साल की तुलना में दोगुने गेहूं की खरीदी हो चुकी है। पिछले साल वर्तमान समय तक जहाँ मंडियों से 1.11 लाख मी.टन गेहूं की खरीदी हुई थी वहीं इस बार अभी तक 2 लाख 14 हजार मी.टन गेहूं की खरीदी हो चुकी है।

स्रोत: जनसम्पर्क विभाग, मध्यप्रदेश

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आम के पेड़ में फलों के झड़ने की समस्या को कैसे रोकें?

How to prevent fruit loss problem in Mango tree?
  • आम के पेड़ में फलों का झड़ना एक बहुत ही गंभीर समस्या है। आम में लगभग 99% फल विभिन्न चरणों में गिर जाते हैं और मात्र 0.1% फल ही परिपक्व अवस्था तक पहुँच पाते हैं।
  • फलों का गिरना ऑक्सिन हार्मोन की कमी, निषेचन की कमी, द्विलिंगी पुष्पों की कमी, अपर्याप्त परागण, पराग कीटों की कमी, रोग व कीटो के प्रकोप, पोषक तत्वों की कमी, मिट्टी में अपर्याप्त नमी आदि के कारण हो सकते हैं।
  • आम में फलों को गिरने से बचाने के लिए एल्फा नेफ्थलीन एसिटिक एसिड 4.5% SL की 0.5 मिली मात्रा प्रति लीटर पानी में घोलकर आवश्यकतानुसार 10-15 दिन के अन्तराल पर 2-3 बार छिड़काव करें।
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ग्वारपाठा (एलोवेरा) के औषधीय गुण

Medicinal properties of Aloe Vera
  • इसे घृतकुमारी भी कहते है। इसके सेवन करने से वात दोष से होने वाली पेट की बीमारियाँ ठीक हो जाती है।
  • इसके कोमल गुदे को 10 ग्राम सुबह-शाम नियमित खाने ने गठिया रोग ठीक होने लगता है।
    जलने पर, कटने पर, अंदरूनी चोटों पर एलोवेरा अपने एंटी बैक्टेरिया और एंटी फंगल गुण के कारण घाव को जल्दी भरता है।
  • यह खून की कमी को दूर करता है तथा शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है।
  • यह त्वचा सम्बन्धित विकार जैसे रूखी त्वचा, मुंहासे, झुलसी त्वचा, झुर्रियों, चेहरे के दाग-धब्बों, आंखों के काले घेरों, फटी एड़ियों के लिए यह लाभप्रद है।
  • इसके अतिरिक्त डायबिटीज़, बवासीर, जोड़ों का दर्द, बाल का घने-लंबे एवं मजबूत करने आदि में एलोवेरा का उपयोग फ़ायदेमंद होता है।
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मध्यप्रदेश में समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीदी की यह है आखिरी तारीख

Know the last date of purchase of wheat on support price in Madhya Pradesh

मोबाइल संदेश के माध्यम से मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश के किसानों से गेंहूं की खरीदी से संबंधित बातें की। उन्होंने कहा कि कोरोना संकट के कारण चल रहे लॉकडाउन में भी सरकार समर्थन मूल्य पर गेहूँ एवं अन्य रबी फ़सलों की खरीदी का कार्य शुरू कर दिया है। उन्होंने अपने संदेश में खरीदी से जुड़ी अन्य जानकारी भी दी। उन्होंने बताया की मंडियों के साथ साथ सौदा पत्रक के माध्यम से निजी खरीदी केंद्रों एवं व्यापारियों को घर से बिक्री करने की भी सुविधा दी गयी है।

मुख्यमंत्री ने संदेश में किसानों को बताया की वे फ़िक्र नहीं करें, सरकार आपकी उपज का एक-एक दाना ख़रीद लेगी। इस संदेश में उन्होंने खरीदी की अंतिम तिथि की भी चर्चा की। उन्होंने बताया की 31 मई तक उपार्जन केन्द्रों पर गेहूँ की खरीदी होगी और सौदा पत्रक से 30 जून तक किसान अपनी उपज बेच सकेंगे। इसके साथ ही मुख्यमंत्री ने किसानों को कोरोना संक्रमण से बचने और लॉकडाउन का पालन करने की भी कहा।

स्रोत: कृषक जगत

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मध्य प्रदेश: ख़रीफ़ सीजन के लिए रखा गया 144.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुआई का लक्ष्य

Madhya Pradesh Sowing target set for 144.6 lakh hectare in Kharif season

कोरोना महामारी की वजह से चल रहे लॉकडाउन में कुछ दिनों के लिए कृषि कार्य धीमी पड़ी थी पर अब इसने रफ़्तार पकड़ ली है। इसी कड़ी में अब मध्यप्रदेश में खरीफ फ़सलों की बुआई को लेकर लक्ष्य का निर्धारण कर लिया गया है। इस बार प्रदेश में 144.6 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फ़सलों की बुआई का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

कृषि विभाग के प्रमुख सचिव श्री अजीत केसरी ने कहा है कि इस बार सबसे ज्यादा 60 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की बुआई का लक्ष्य है। इसके अलावा उन्होंने धान 31 लाख हेक्टेयर, उड़द 17.50 लाख हेक्टेयर, मक्का 16 लाख हेक्टेयर, कपास 6.50 लाख हेक्टेयर, अरहर 4.50 लाख हेक्टेयर, तिल/राम-तिल 4.50 लाख हेक्टेयर, मूंगफली 2.50 लाख हेक्टेयर, मूंग 2 लाख हेक्टेयर तथा अन्य दलहन फ़सलें 0.10 लाख हेक्टेयर में लगाए जाने का लक्ष्य रखा है।

स्रोत: कृषक जगत

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बुआई से पहले कैसे करें कपास के बीजों का उपचार

How to do Seed treatment of cotton seeds before sowing
  • सबसे पहले बीजों को 2.5 ग्राम कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP से उपचारित करें उसके बाद 5 मिली इमिडाक्लोप्रिड 48% FS से उपचारित कर अगला उपचार 2 ग्राम पीएसबी बैक्टीरिया और 5-10 ग्राम ट्राइकोडर्मा विरिडी से प्रति किलो बीज की दर से करें।
  • इन उपचारों से कवकजनित रोगों एवं रसचूसक कीटों से बचाव के साथ साथ उपलब्ध अवस्था में फास्फोरस पौधे को मिलता है जिससे जड़ विकास बेहतर होता है।
  • याद रखें की सबसे पहले फफूंदनाशी, उसके बाद कीटनाशी और अंत में जैविक कल्चर का उपयोग करना चाहिए।
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मशरूम के औषधीय गुण

Medicinal Properties of Mushroom
  • यह दुनिया के सबसे ज्यादा प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों में से एक है, जो कुपोषण से बचाता है।
  • मशरूम में मौजूद एंजाइम तथा रेशे काॅलेस्ट्रोल कम करके हृदय रोग से सुरक्षा प्रदान करते हैं।
    कार्बोहाइड्रेट व वसा कम होने के कारण यह दिल के रोगियों, मधुमेह व मोटापे जैसे रोगों व विकारों से ग्रसित व्यक्तियों के लिये एक बेहतरीन आहार है।
  • यह एक ऐसा आहार है, जिसमें प्रचुर मात्रा में विटामिन-डी भी पाया जाता है, जो मानव हड्डियों को मजबूत करने के साथ-साथ कैल्शियम तथा फाॅस्फोरस के अवशोषण में सहयोग करता है।
  • इसमें उपलब्ध रेशा शरीर के पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है तथा भूख भी बढ़ाता है।
  • हड्डियों की मज़बूती व शरीर की रोगरोधक क्षमता बढ़ाने में इसकी विशेष भूमिका है।
  • मशरूम की कुछ किस्में शरीर में गांठें बनने से भी रोकती हैं, जो गांठें बाद में कैंसर का कारण बन सकती हैं।
  • इसमें मौजूद फोलिक अम्ल व आयरन रक्त में लाल कणिकाएं बनाने में मददगार होते है।
  • 100 ग्राम मशरूम 20% से अधिक विटामिन-बी, जरूरी खनिज लवणों जैसे-सेलेनियम 30%, काॅपर 25% तथा 10-19% फाॅस्फोरस व पोटेशियम की दैनिक पूर्ति करता है।
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