मिर्च के पौधों में पत्ते मुड़ जाने की समस्या का ऐसे करें निदान

leaf curl in chilli
  • एफिड्स, थ्रिप्स, माइट्स और वाइटफ्लाइज़ जैसे कीट अपनी फीडिंग गतिविधियों के साथ मिर्च के पौधों पर पत्तियों के मुड़ाव का कारण बनते हैं। 
  • परिपक्व पत्तियां धब्बेदार या कटे-फटे क्षेत्रों को विकसित कर सकती हैं, सूख सकती हैं या गिर सकती हैं, लेकिन विकास के दौरान खिलाए गए पत्ते बेतरतीब ढंग से मुड़े हुए होते हैं या मुड़ जाते हैं।
  • इस समस्या के समाधान के लिए  प्रीवेंटल BV @ 100 ग्राम/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@ 400 ग्राम/एकड़ या लैंबडा सायलोथ्रिन 4.9% CS @ 300 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • मेट्राज़ियम @ 1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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मिर्च की फसल में थ्रिप्स का प्रबंधन

  • मिर्च की फसल में जब पहली मानसूनी बारिश हो जाती है तब रस चूसक कीटों का  प्रकोप शुरू होने लगता है यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं वे अपने तेज मुखपत्र के साथ पत्तियों एवं कलियों का रस चूसते हैं।
  • इसके कारण पत्तियां किनारों पर भूरी हो सकती हैं, या विकृत हो सकती हैं और ऊपर की ओर कर्ल कर सकती हैं। इस कारण पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधे की बढ़वार पूरी तरह रुक जाती हैं यह वायरस के भी फैलने का कारण बनते हैं।
  • इन कीटों में मुख्य रूप से थ्रिप्स का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • इन कीटों के प्रबंधन के लिए निम्र रसायनों का उपयोग लाभकारी  होता है। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल.@ 100 मिली/एकड़, या थायमेंथाक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़, या  
  • ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@300 ग्राम/एकड़ या एसिटामेप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • लैंबडा सायलोथ्रिन 4.9% CS @ 300 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़।
  • प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या  एसिटामिप्रिड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़। 
  • मेट्राज़ियम @1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से करें।
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पीएम किसान योजना में संशोधन, 2 करोड़ अतिरिक्त किसानों को मिलेगी 6 हजार रुपए की किश्त

PM kisan samman

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत किसानों को अगली किश्त आगामी 1 अगस्त 2020 से मिलने लगेगी। ग़ौरतलब है की पिछले साल इस महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत हुई थी, जिसके अंतर्गत केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक मदद के तौर पर सीधे किसानों के बैंक खाते में पैसे भेज दिए जाते हैं। बहरहाल अब इस योजना में एक बड़ा बदलाव हो गया है जिससे इस योजना का अब तक लाभ नहीं उठा सकने वाले 2 करोड़ किसानों को लाभ मिलेगा।

केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी के अनुसार प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आने वाले किसानों के दायरे में विस्तार किया गया है। अब इस योजना के अंतर्गत अधिकतम 2 हेक्टेयर तक की कृषि योग्य भूमि के स्वामित्व की बाध्यता को समाप्त किया जा चुका है। इससे 2 करोड़ से अधिक किसानों को लाभ मिलेगा और उन्हें जल्द ही 6 हजार रूपये की किश्त दी जायेगी।

स्रोत: कृषि जागरण

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टमाटर की उन्नत खेती के लिए ऐसे करें नर्सरी की तैयारी एवं बीज उपचार

Nursery Preparation and Seed Treatment in Tomato
  • खेत में रोपाई के लिए नर्सरी बेड पर टमाटर के बीज बोए जाते हैं। 
  • नर्सरी में 3 x 0.6 मीटर और 10-15 सेमी की ऊंचाई वाले बेड तैयार किए जाते हैं। 
  • पानी, निराई, आदि के संचालन को करने के लिए दो बेड के बीच लगभग 70 सेमी की दूरी रखी जाती है। बेड की सतह चिकनी और अच्छी तरह से समतल होनी चाहिए।
  • नर्सरी बेड को FYM 10 किग्रा/एकड़ और DAP@1 किलो किग्रा/एकड़ की दर से उपचारित करें।
  • भारी मिट्टी में जल भराव की समस्या से बचने के लिए उठा हुआ बेड आवश्यक है।
  • बुआई के पूर्व बीज उपचार भी अति आवश्यक है इसके लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 1 ग्राम/100 ग्राम बीज या थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% @ 2.5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें। 
  • नर्सरी में बुआई करने के 7 दिनों के बाद क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 30 ग्राम/15 लीटर या थियामेथोक्साम 25% WG 10 ग्राम/15 लीटर का ड्रेंचिंग के रूप में उपयोग करें।
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गिलकी की फसल में अल्टरनेरिया लीफ स्पॉट प्रबंधन

Alternaria leaf spot in Sponge gourd
  • इस रोग में पत्तियों पर हल्के भूरे रंग के संकेंद्रित धब्बे बनते हैं व अन्त में पत्तियाँ सूखकर झड़ने लगती है।
  • वातावरण में नमी की अधिकता होने पर ही यह रोग दिखाई देता है एवं उग्र रूप से फैलता है। 
  • इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करना आवश्यक है।
  • थियोफैनेट मिथाइल 70% WP @ 500 ग्राम/एकड़ या सूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • कीटाजिन @200 ग्राम/एकड़ या बैसिलस सबटिलस @250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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ड्रोन से टिड्डियों पर नियंत्रण करने वाला दुनिया का पहला देश बना भारत

India became the first country in the world to control locusts by drones

पिछले कई हफ़्तों से राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश जैसे राज्यों में पाकिस्तान से आये टिड्डी दल का हमला हो रहा है। ऐसे में भारत में टिड्डी नियंत्रण अभियान के लिए कई कोशिश की गयी है जिसके कारण टिड्डियों के नियंत्रण में कामयाबी भी मिल रही है। भारत ने टिड्डियों को कंट्रोल करने में कुछ ऐसा किया है जिसकी तारीफ पूरी दुनिया में हो रही है। दरअसल भारत ने टिड्डी नियंत्रण के लिए ड्रोन का सहारा लिया है और ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश भी बन गया है।

ड्रोन की सहायता से हवाई छिड़काव करके फसल को भारी नुकसान पहुंचाने वाली टिड्डियों का सफ़ाया किया जा रहा है। टिड्डियों पर प्राप्त की गई इस सफलता के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था खाद्य एवं कृषि संगठन यानी एफएओ (FPO) ने भी भारत की जमकर तारीफ भी की है।

ख़बरों के अनुसार देश के कई राज्यों के कृषि विभाग, स्थानीय प्रशासन और सीमा सुरक्षा बल की मदद लेकर इस काम को अंजाम दिया जा रहा है। राजस्थान, पंजाब, गुजरात, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में करीब 114,026 हेक्टेयर क्षेत्र में टिड्डी नियंत्रण कार्य सफलता पूर्वक पूरा कर लिया गया है।

स्रोत: कृषि जागरण

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मक्का की फसल में जिंक की उपयोगिता

Use of zinc in maize crop
  • मक्का की फसल की बेहतर बढवार के लिए एवं अच्छी उपज के लिए जिंक की आवश्यकता होती है। यह पोषक तत्व पौधे भूमि (मिट्टी) से प्राप्त करते हैं। 
  • ज़िंक मक्का के पौधों के कायिक विकास और प्रजनन क्रियाओं के लिए आवश्यक हार्मोन के संशलेषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। 
  • मक्का में जिंक की कमी से सफेद कली रोग उत्पन्न होता है |
  • पौधों में वृद्धि को निर्धारित करने वाले इंडोल एसिटिक अम्ल नामक हार्मोन के निर्माण में जिंक की अहम भूमिका होती है। 
  • पौधों में विभिन्न धात्विक एंजाइम में उत्प्रेरक के रूप में एवं उपपाचयक की क्रियाओं के लिए यह आवश्यक होता है। 
  • जिंक कमी के लक्षण पौधों की माध्यम पत्तियों पर आते हैं। जिंक की अधिक कमी से नई पत्तियां उजली निकलती हैं। पत्तियों की शिराओं के मध्य सफेद धब्बे दिखाई देते हैं |
  • जिंक का पौधों में प्रोटीन संशलेष्ण तथा जल अवशोषण में अप्रत्यक्ष रूप में भाग लेना
  • पौधों के आनुवांशिक पदार्थ राइबोन्यूक्लिक अमल के निर्माण में भी इसकी भागीदारी निश्चित करता है।
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मक्का की फसल में सैनिक किट का प्रबंधन

Management of Fall Armyworm in Maize
  • यह कीट दिन में मिट्टी के ढेलों, पुआल, खर-पात के ढेरों में छिप जाता है और रात भर फसलों को खाता रहता है। प्रभावित खेत/फसल में इसकी संख्या काफी देखी जा सकती है। इस कीट की प्रवृति बड़ी तेजी से खाने की होती है और काफी कम समय में यह पूरे खेत की फसल को खाकर प्रभावित कर सकता है। अतः इस कीट का प्रबंधन/नियंत्रण आवश्यक है।
  • आर्मी वर्म (सैनिक कीट) एक साथ समूह में फसल पर आक्रमण करता है एवं मूलतः रात में फसलों की पत्तियों या अन्य हरे भाग को किनारे से काटता है तथा दिन में यह खेत में स्थित दरार या ढेला के नीचे या घने फसल के छाये में छिपा रहता है।
  • जिन क्षेत्रों में सैनिक कीट की संख्या अधिक है उन क्षेत्रों में निम्नांकित किसी एक कीटनाशी  का छिड़काव तत्काल किया जाये। 
  • बुआई के पूर्व मिट्टी उपचार: मक्का की फसल में मिट्टी उपचार के द्वारा सैनिक कीट (फॉल आर्मी वर्म) का प्रबंधन किया जाता है। इसके लिए बवेरिया बैसियना 250 ग्राम/एकड़ की दर से 50 किलो FYM मिलाकर खाली खेत में भुरकाव करें। 
  • छिड़काव: लेमड़ासाहेलोथ्रिन 4.6% + क्लोरांट्रानिलप्रोल 9.3% ZC 100 मिली/एकड़, या क्लोरांट्रानिलप्रोल 18.5% SC @ 60 मिली/एकड़, या इमाबेक्टीन बेंजोएट 5% SG @ 100 ग्राम/एकड़ + बवेरिया बैसियना @ 250 ग्राम/एकड़ का इस्तेमाल करें। 
  • जिन क्षेत्रों में इसकी संख्या कम हो, उन क्षेत्रों में कृषक बन्धु अपने-अपने खेत के मेड़ पर एवं खेत के बीच में जगह-जगह पुआल का छोटा-छोटा ढेर लगा कर रखें। धूप में आर्मी वर्म (सैनिक कीट) छाया की खोज में इन पुआल के ढेर में छिप जाता है। शाम को इन पुआल को इकट्ठा करके जला देना चाहिए।
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26 हजार कृषक मित्र की होगी मध्यप्रदेश में तैनाती, किसानों को देंगे सरकारी योजनाओं की जानकारी

Now farmers of MP will directly connect with exporters of many states including Maharashtra, UP

मध्यप्रदेश सरकार किसानों के बीच कृषि संबंधित योजनाओं की जानकारी पहुँचाने के लिए 26 हजार कृषक मित्र तैनात करने वाली है। ग़ौरतलब है की प्रदेश की पिछली कमल नाथ सरकार ने भी हर दो पंचायतों पर एक “कृषक बंधु” नियुक्त करने की योजना बनाई थी। इसी योजना को पलटते हुए अब वर्तमान सरकार ने 26 हजार कृषक मित्र तैनात करने की योजना बनाई है। राज्य के कृषि मंत्री कमल पटेल ने प्रमुख सचिव अजीत केसरी को फिर से कृषक मित्र बनाने के निर्देश दिए हैं।

इस मसले पर कृषि विभाग के अधिकारियों ने बताया है कि स्थानीय प्रगतिशील किसान को ही कृषक मित्र बनाया जाएगा। इनका काम किसानों के लिए सरकार द्वारा किए जा रहे कामों के बारे में जानकारी देने के साथ किसानों को खेती में तकनीक के उपयोग को प्रोत्साहित करना भी होगा। किसानों को यदि किसी योजना का लाभ प्राप्त करने में कोई समस्या आती है तो भी ये कृषक मित्र इसकी सूचना वरिष्ठ स्तर पर देंगे।

स्रोत: नई दुनिया

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कपास में ऊकसुक/उतसुक (विल्ट) रोग का प्रबंधन

  • यह रोग सभी चरणों में फसल को प्रभावित करता है। इसके सबसे शुरुआती लक्षण अंकुरों में बीजपत्रों पर दिखाई देते हैं जो पीले और फिर भूरे रंग के हो जाते हैं।  
  • यह एक मृदाजनित रोग है। अन्य बीमारियों एवं ऊकसुक रोग में अंतर करना मुश्किल हो सकता है।
  • युवा और बड़े हो चुके पौधों में, इसका पहला लक्षण पत्तियों के किनारों का पीला पड़ना और नसों के आसपास के क्षेत्र का मलिनकिरण मार्जिन से शुरू होता है, इसके बाद यह जड़ों, तनों और मिडरिब की ओर फैलता है। पत्तियां अपनी मरोड़ को ढीला करती हैं, धीरे-धीरे भूरे रंग की हो जाती हैं, सूख जाती हैं और अंत में गिर जाती हैं। इस रोग के निवारण के लिए मिट्टी उपचार करना, एवं बीज उपचार बहुत आवश्यक होता है। 
  • यह रोग प्रारंभिक वनस्पति विकास के दौरान ठंडे तापमान और गीली मिट्टी के द्वारा होता है। प्रारंभिक प्रजनन चरणों के दौरान पौधे संक्रमित होते हैं, लेकिन लक्षण बाद में   दिखाई देते हैं। 
  • इससे बचाव के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मैंकोजेब 63% WP 2.5 ग्राम/किलो बीज  या कार्बोक्सिन 37.8% + थायरम 37.8%  2.5 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करें। 
  • कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़  या थियोफिनेट मिथाइल 70% WP 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • जैविक उपचार में बेसिलस सबटिलुस/ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। इन कवकनाशियो  का उपयोग मिट्टी उपचार एवं बीज उपचार में करें।  
  • अधिक समस्या होने पर डीकंपोजर का भी उपयोग कर सकते हैं। इसका उपयोग खाली खेत में फसल बुआई से पहले करें।
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