- मौसम में बदलाव एवं कीट तथा कवक के प्रकोप के कारण बैगन के पत्ते पीले पड़ने लगते हैं।
- इस अवस्था में बैगन के पत्ते झुलसे हुए दिखाई देते हैं।
- कवक के प्रकोप के कारण बैगन की पत्तियों के किनारों से पीलेपन की समस्या शुरू होती है।
- कीट पत्तियों के हरे भाग से रस चूस जाते हैं जिसके कारण पत्तियों में पीलापन दिखाई देता है।
- पोषक तत्व की कमी के कारण भी पत्तियां पीली नजर आने लगती है।
- इसके निवारण के लिए कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़
पोषक तत्वों की कमी के कारण होने पर सीवीड @ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। - कीटों के प्रकोप के कारण होने वाले पीलेपन के लिए प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
लहसुन की फसल में कैसे बढ़ाएं बल्ब का आकार
- लहसुन के पौधे में प्रकाश संश्लेषण की प्रक्रिया को बढ़ाने में बड़े पत्ते महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और लहसुन की गाँठ को बढ़ाने के लिए आवश्यक पदार्थों का भंडार करने लगते हैं।
- इस स्तर पर पौधों में पोषण प्रबंधन कर के गाँठ को बढ़ाने के साथ साथ फसल के विकास को भी बढ़ाया जा सकता है।
- कैल्शियम नाइट्रेट @ 10 किलो/एकड़ + पोटाश @ 20 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में बुआई के 60-70 दिनों में उपयोग करें।
- बुआई के 120-140 दिनों में छिड़काव के रूप में पैक्लोब्यूट्राजोल 40% SC @ 30 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
उत्तरी हवाओं के कारण मध्यप्रदेश संग इन क्षेत्रों में बढ़ेगी सर्दी
मध्यप्रदेश के लगभग सभी क्षेत्रों में तापमान गिर रहा है क्योंकि इन क्षेत्रों में उत्तरी हवाओं का प्रभाव बढ़ा है। आने वाले 48 घंटों के दौरान भी तापमान में गिरावट जारी रहने की संभावना है।
स्रोत: स्काईमेट वेदर
Shareलहुसन में पीलेपन की समस्या से बढ़वार पर होगा बुरा असर
- मौसम में हो रहे परिवर्तनों के कारण लहसुन की फसल में बहुत अधिक समस्या आ रही है।
- इसके कारण लहसुन के पौधों की वृद्धि एवं विकास पर बहुत अधिक प्रभाव पड़ रहा है।
- लहसुन का पीलापन कवक जनित, कीट जनित एवं पोषण संबधी समस्या के कारण भी हो सकता है।
- यदि यह कवक जनित रोगों के कारण होता है तो कासुगामाइसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ उपयोग करें।
- पोषक तत्वों की कमी के कारण पीलापन होने पर सीवीड@ 400 मिली/एकड़ या ह्यूमिक एसिड 100 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- कीटों के प्रकोप के कारण पीलापन होने पर प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 80 ग्राम/एकड़ की दर उपयोग करें।
आलू के भंडारण के समय अपनाई जाने वाली सावधानियाँ
- आलू की उपज बहुत जल्दी ख़राब हो जाती है अतः इसके भण्डारण की उचित व्यवस्था होना बहुत आवश्यक होता है।
- पर्वतीय क्षेत्रों में कम तापमान होने के कारण वंहा भण्डारण कि कोई विशेष समस्या नहीं आती है।
- भण्डारण की सबसे ज्यादा समस्या मैदानी भागों एवं ऐसे जगहों पर होती है जहाँ तापमान अधिक होता है।
- आलू के भण्डारण के पूर्व इस बात का विशेष ध्यान रखें की आलू का कंद पूरी तरह से परिपक्व हो।
- मैदानी क्षेत्रो में आलू को ख़राब होने से बचाने के लिए आलू को शीत गृहों में रखने कि आवश्यकता होती है।
- इन शीत भंडार गृहों में तापमान 1 से 2.5 डिग्री सेल्सियस और आपेक्षिक आद्रता 90-95% होना चाहिए।
- भण्डारण के बाद समय समय पर आलू की जांच करते रहना चाहिए जिससे की जो आलू खराब हो गया है उसको अच्छे आलू से अलग कर लिया जा सके।
गेहूँ की फसल में उकठा रोग का ऐसे करें नियंत्रण
- गेहूँ की फसल में होने वाला यह रोग एक जीवाणु एवं कवक जनित रोग है जो फसल को काफी नुकसान पहुँचाता है।
- बैक्टीरियल विल्ट संक्रमण के लक्षण संक्रमित पौधों के सभी भागों पर देखे जा सकते हैं।
- इसके कारण पत्तियां पीली हो जाती हैं। आगे चलकर पूरा पौधा सूख जाता है और मर जाता है।
- इसके कारण गेहूँ की फसल गोल घेरे में सूखना शुरू हो जाती है।
- इसके नियंत्रण हेतु कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ छिड़काव के रूप में उपयोग करें।
मध्यप्रदेश में फूड प्रोसेसिंग से जुड़ने हेतु किसानों को दिया जाएगा तकनीकी ज्ञान
मध्य प्रदेश सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए कई फैसले ले रही है। इसी कड़ी में मध्यप्रदेश सरकार ने खाद्य प्रसंस्करण कारोबार से किसानों को जोड़ने के लिए नई पहल की है। सरकार ने किसानों का तकनीकी ज्ञान मुहैया कराने का ऐलान किया है।
ये जानकारी मध्य प्रदेश सरकार में खाद्य प्रसंस्करण राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) भारत सिंह कुशवाह ने दी है। उन्होंने कहा कि ‘किसान खेती उत्पादन के साथ-साथ खाद्य प्रसंस्करण से जुड़कर भी उपज के कारोबारी बनने की दिशा में काम करें। किसानों को फूड प्रोसेसिंग बिजनेस से जुड़ने के लिए टेक्निकल स्किल्स की जरूरत पड़ेगी, जिसके लिए सरकार उनकी मदद करने को तैयार है। सरकार किसानों को आर्थिक मदद के साथ-साथ तकनीकी कौशल का ज्ञान भी मुहैया कराएगी।”
स्रोत: वन इंडिया डॉट कॉम
Shareमध्यप्रदेश समेत इन राज्यों में ख़त्म होगा बारिश का दौर, जानें मौसम पूर्वानुमान
बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश, राजस्थान जैसे राज्यों में आज से मौसम साफ़ होने के आसार हैं और बारिश का दौर धीरे धीरे खत्म हो जाएगा।
वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर
Shareतरबूज़ के तने से निकल रहा हो गोंद जैसा चिपचिपा प्रदार्थ तो हो जाएँ सावधान
- तरबूज की फसल में गमी स्टेम ब्लाइट नामक घातक रोग के लक्षण पहले पत्तियों पर और फिर तने पर गहरे भूरे रंग के धब्बों के रूप में दिखाई देते हैं।
- इसके घाव पत्ती की मार्जिन पर पहले विकसित होते हैं, लेकिन अंततः पूरी पत्तियों पर फैल जाते हैं।
- तने पर गमोसिस ब्लाइट के लक्षण घाव के रूप में दिखायी देते हैं। ये आकार में गोलाकार होते हैं और भूरे रंग के होते हैं।
- गमोसिस ब्लाइट या गमी स्टेम ब्लाइट का एक मुख्य लक्षण यह है की इस रोग से ग्रसित तने से गोंद जैसा चिपचिपा प्रदार्थ निकलता है।
- कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP @ 300 ग्राम/एकड़ या टेबुकोनाज़ोल 25.9% EC @ 200 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
- जैविक उपचार के रूप में स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 250 ग्राम/एकड़ के रूप में प्रति माह उपयोग करें।
तरबूज़ में बुआई पूर्व बीज़ उपचार करें और पाएं जबरदस्त पैदावार
- रासायनिक उपचार: बुआई पूर्व तरबूज़ के बीजों को कवकनाशी कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63% WP @ 2.5 ग्राम/किलो बीज या कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% DS @ 2.5 ग्राम/किलो बीज से बीज़ उपचार करें।
- जैविक उपचार: ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 5 ग्राम + PSB बैक्टेरिया @ 2 ग्राम/किलो बीज या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस @ 5 ग्राम/किलो बीज की दर से बीज उपचार करें।
- बीज उपचार करते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें की बीज उपचार के बाद उपचारित बीजों को उसी दिन बुआई के लिए उपयोग कर लिया जाए। उपचारित बीजों को संगृहीत करके ना रखें।
