- आलू की फसल से अच्छे उत्पादन की प्राप्ति के लिए पोषक तत्वों की अधिक आवश्यकता पड़ती है।
- आलू की फसल कन्द वाली फसल होती है इसी कारण आलू की फसल बहुत अधिक मात्रा में पोषक तत्व ग्रहण करती है।
- अत: पौधे की अच्छी बढ़वार एवं अधिक उत्पादन के लिए उपयुक्त समय एवं उचित मात्रा में खाद प्रबंधन बहुत ही आवश्यक होता है।
- बुआई के पहले मिट्टी उपचार के रूप में एसएसपी @ 200 किलो/एकड़ + DAP @75 किलो/एकड़ + DAP (बिना एसएसपी के) @ 150 किलो/एकड़ + पोटाश@ 75 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।
- बुआई समय पोषण प्रबंधन के लिए यूरिया (एसएसपी के साथ) @ 60 किलो/एकड़ + यूरिया (एसएसपी के बिना) @ 45 किलो/एकड़ की दर से खाली खेत में भुरकाव करें।
- इन सभी पोषक तत्वों के साथ ग्रामोफ़ोन की पेशकश “आलू समृद्धि किट” का उपयोग आलू की फसल के पोषण प्रबंधन लिए किया जा सकता है। इस किट का उपयोग मिट्टी उपचार के लिए किया जाता है।
अगर नहीं आई है पीएम किसान योजना की क़िस्त तो ऐसे जानें अपना स्टेटस
अगर आपने प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के अंतर्गत आवेदन किया है और अब तक बैंक अकाउंट में आपकी क़िस्त के पैसे नहीं आये हैं तो इसका कारण आप खुद जान सकते हैं। अपने पीएम किसान स्कीम का स्टेटस जानने के लिए आपको ऑनलाइन पीएम किसान पोर्टल पर जाना होगा।
पीएम किसान पोर्टल पर जाकर कोई भी किसान भाई अपना आधार, मोबाइल और बैंक खाता नंबर दर्ज करके योजना से संबंधित अपने स्टेटस की जानकारी ले सकता है। अगर आपका भी पैसा आपके खाते में अभी तक नहीं पहुंचा है इस लिंक? https://pmkisan.gov.in/ पर जाकर इसके कारणों का पता लगाएं।
इस योजना के अंतर्गत अभी तक अगर आपने रजिस्ट्रेशन नहीं करवाया है तो इसी किसान पोर्टल के माध्यम से आप अपना रजिस्ट्रेशन खुद कर सकते हैं और योजना का लाभ ले सकते हैं।
स्रोत: न्यूज 18
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मटर की फसल में हो जाए लीफ माइनर का प्रकोप तो ऐसे करें नियंत्रण
- लीफ माइनर के वयस्क रूप गहरे रंग के होते हैं।
- यह कीट मटर की पत्तियों पर आक्रमण करता है।
- इसके कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण बनती हैं।
- इसके कारण पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
- इस कीट से ग्रसित पौधों में फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
- इससे बचाव के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
मुख्य खेत में प्याज़ की रोपाई के समय ऐसे करें प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग
- ग्रामोफ़ोन की पेशकश प्याज़ समृद्धि किट का उपयोग मिट्टी उपचार के रूप में किया जाता है।
- इस किट की कुल मात्रा 3.2 किलो है और यह मात्रा एक एकड़ के लिए पर्याप्त है।
- इसका उपयोग यूरिया, DAP में मिलाकर किया जा सकता है।
- इसका उपयोग 50 किलो पकी हुई गोबर की खाद, या कम्पोस्ट या मिट्टी में मिलाकर कर सकते हैं।
- इसके उपयोग के समय खेत में पर्याप्त नमी होना आवश्यक है।
- अगर बुआई के समय इस किट का उपयोग नहीं कर पाए हैं तो बुआई बाद 15-20 दिनों के अंदर इसका उपयोग मिट्टी में भुरकाव के रूप में कर सकते हैं।
मंडियों में शुरू हो गई है कपास की खरीदी, इस भाव पर हो रही है खरीदी
सोमवार से भारतीय कपास निगम (सीसीआई) ने खंडवा कृषि उपज मंडी में कपास की खरीदी शुरू कर दी है। पहले दिन 70 क्विंटल कपास किसानों से खरीदा गया। पहले दिन किसानों को कपास का भाव 4150 से 5553 रुपये प्रति क्विंटल तक मिला।
अच्छा भाव मिलने से किसान खुश नजर आये और भारतीय कपास निगम यह उम्मीद जाता रही है की आने वाले दिनों में और भी बहुत सारे किसान अपनी उपज बेचने मंडी आएंगे।
गौरतलब है की पिछले साल भारतीय कपास निगम द्वारा खंडवा जिले में अक्टूबर के पहले हफ्ते में कपास की खरीदी शुरू की गई थी। पिछले साल का उच्चतम मूल्य 5450 रुपये प्रति क्विंटल रहा था। इस बार पहले ही दिन पिछले साल के उच्चतम स्तर को पार कर लिया गया है। निगम ने इस साल प्रति क्विंटल दाम बढ़ाकर 5800 रूपये प्रति क्विंटल किए हैं।
स्रोत: भास्कर
Share21 वर्षीय युवा किसान की शानदार सेंचुरी, लागत बेहद कम और उपज 100 क्विंटल
हर भारतीय किसान की यही ख़्वाहिश रहती है की उसकी खेती की लागत कम हो और मुनाफ़े में बढ़ोतरी हो। पर हमारे देश के ज्यादातर किसान आज भी पारंपरिक खेती करते हैं जिस वजह से उन्हें कम उत्पादन से ही संतोष करना पड़ता है और कृषि लागत भी बहुत ज्यादा हो जाती है। पर आज के आधुनिक दौर में जो किसान आधुनिक विधियों का इस्तेमाल खेती में करते हैं वे स्मार्ट किसान कहलाते हैं। ग्रामोफ़ोन भी किसानों को स्मार्ट तरीके से खेती करवाने के कार्य में पिछले 4 सालों से लगा हुआ है।
ग्रामोफ़ोन एप से जुड़कर कई किसान भाई स्मार्ट खेती कर रहे हैं। बड़वानी जिले के 21 वर्षीय युवा किसान हरिओम वास्कले ने ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप का इस्तेमाल कर खेती करते हुए बेहद कम लागत में 11 एकड़ के खेत में कपास की 100 क्विंटल उपज प्राप्त की। कपास की खेती करने वाले किसान भाई जानते होंगे की कपास की खेती बड़ी खर्चीली होती है और इस साल बहुत सारे किसानों की कपास की फसल मौसम की मार तथा कीट/रोग आदि के प्रकोप के कारण बर्बाद हो गई। ऐसे समय में युवा हरिओम ने ग्रामोफ़ोन की सलाह पर पहले की तुलना में कम और किफायती छिड़काव की। इससे कृषि लागत के घटने के साथ साथ उपज में भी वृद्धि हुई।
हरिओम वास्कले ने बुआई के समय ही अपनी कपास की फसल को ग्रामोफ़ोन एप से जोड़ दिया था। ऐसा करने से उन्हें रोग और कीटों के प्रकोप सम्बन्धी जानकारियाँ पहले ही कृषि विशेषज्ञों द्वारा मिल जाती थी साथ ही कृषि विशेषज्ञ उन्हें बचाव के उपाय भी पहले ही बता देते थे। इस तरह हरिओम ने अपनी फसल को पूरे फसल चक्र के दौरान रोगों और कीटों के प्रकोप से बचा कर रखा। इस मेहनत का फल हरिओम को 100 क्विंटल ज़बरदस्त उपज प्राप्त होने पर मिला।
अगर आप भी हरिओम की तरह अपनी कृषि में इसी प्रकार का बड़ा अंतर लाना चाहते हैं और स्मार्ट किसान बनना चाहते हैं तो आप भी ग्रामोफ़ोन के साथ जुड़ सकते हैं। ग्रामोफ़ोन से जुड़ने के लिए आप या तो टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्डकॉल करें या फिर ग्रामोफ़ोन कृषि मित्र एप पर लॉगिन करें।
Shareलहसुन की फसल में बुआई के बाद 15 दिनों में पोषण प्रबंधन
- लहसुन की फसल से अच्छे उत्पादन की प्राप्ति के लिए बुआई के 15 दिनों के अंदर पोषण प्रबंधन करना बहुत आवश्यक होता है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने से लहसुन की फसल को अच्छी शुरुआत मिलती है और जड़ों का विकास बहुत अच्छा होता है।
- लहसुन की फसल में रोग के प्रति प्रतिरोधी क्षमता उत्पन्न करने में भी यह लाभकारी होती है।
- इस समय पोषण प्रबंधन करने के लिए यूरिया @ 25 किलो/एकड़ + ज़िंक सल्फेट @ 5 किलो/एकड़ + सल्फर 90% @ 10 किलो/एकड़ की दर से भूमि उपचार के रूप में उपयोग करें।
- पोषण प्रबंधन करते समय इस बात का ध्यान रखें की खेत में पर्याप्त नमी जरूर बनी रहे।
चना समृद्धि किट का उपयोग कर करें चने की उन्नत खेती
- यह उत्पाद दो प्रकार के बैक्टीरिया ‘PSB और KMB’ से बना है जो मिट्टी और फसल में दो प्रमुख तत्वों पोटाश और फास्फोरस की आपूर्ति में मदद करता है। जिसके कारण पौधे को समय पर आवश्यक तत्व मिलते हैं और विकास अच्छा होता है।
- इसमें एक जैविक कवकनाशी ट्राइकोडर्मा विरिडी भी है, जो मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवक को रोकने में सक्षम है। यह मिट्टी में लाभकारी कवक की संख्या को बढ़ाता है और जड़ के चारों ओर एक सुरक्षा कवच का निर्माण करता है।
- एमिनो ह्यूमिक सी वीड मिट्टी में सूक्ष्मजीवों की गतिविधि को बढ़ाने में सहायक है, यह मिट्टी के पीएच को बेहतर बनाने में मदद करता है। इसमें उपस्थित माइकोराइजा एक ऐसा कवक है जो पौधे की जड़ों और उनके आस-पास की मिट्टी के बीच एक विशाल संबंध बनाने में सक्षम है।
- यह पौधे के लिए नाइट्रोजन और फास्फोरस जैसे पोषक तत्वों प्रदान करता है। राइज़ोबियम कल्चर चने के पौधों की जड़ों में सहजीवी के रूप में रहता है और वायुमंडलीय नाइट्रोजन को सरल रूप में परिवर्तित करता है, जिसे पौधे द्वारा इस्तेमाल किया जा सकता है।
- यह किट पौधों को अच्छी तरह से विकसित करने में मदद करता है। इसके उपयोग से चने की उपज में 50-60 फीसदी तक का इज़ाफा होता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जारी किये 17 नए बॉयोफोर्टीफाइड बीज किस्म
खाद्य और कृषि संगठन (FPO) के 75वें वर्षगांठ पर पीएम मोदी ने हाल ही में विकसित की गई फ़सलों की 17 किस्मों को राष्ट्र को समर्पित किया। यह सभी किस्में देश के कृषि वैज्ञानिकों ने हाल ही में विकसित की है |
गेहूं और धान समेत अन्य कई फ़सलों के ये 17 नए बीजों की वैरायटी, देश के किसानों को उपलब्ध कराये जा रहे हैं। आइये जानते हैं इन बीज किस्मों के बारे में।
- गेहूं– एचआई-1633 (HI 1633), एचडी-3298 (HD-3298), डीबीडब्ल्यू-303 (DBW-303) और एमएसीएस-4058 (MACS-4058).
- चावल– सीआरधान-315 (CR Dhan-315).
- मक्का– एलक्यूएमएच-1 (LQMH-1), एलक्यूएमएच-3 (LQMH-3).
- रागी – सीएफएमवी-1 (CFMV-1), सीएफएमवी-2 (CFMV-2).
- सावा– सीएलएवी-1 (CLMV-1).
- सरसों– पीएम-32 (PM-32).
- मूंगफली– गिरनार-4 (Girnar-4), गिरनार-5 (Girnar-5).
- रतालू– डीए-340 (DA-340) एवं श्रीनीलिमा (Srin Neelima).
स्रोत: किसान समाधान
Shareगेहूं की अच्छी उपज प्राप्ति के लिए ग्रामोफ़ोन लाया है गेहूं समृद्धि किट
- गेहूं की अच्छी पैदावार के लिए ग्रामोफ़ोन लेकर आया है गेहूं समृद्धि किट।
- यह किट भूमि सुधारक की तरह कार्य करती है।
- इस किट को चार आवश्यक बैक्टीरिया NPK एवं ज़िंक को मिलाकर बनाया गया है, जो की मिट्टी NPK की पूर्ति करके फसल की वृद्धि में सहायता करते हैं एवं ज़िंक का जीवाणु मिट्टी में मौजूद अधुलनशील जिंक को घुलनशील रूप में फसल को प्रदान करने का कार्य करता है।.
- इस किट में समुद्री शैवाल, एमिनो एसिड ह्यूमिक एसिड एवं मायकोराइज़ा जैसी सामग्री का संयोजन है जो मिट्टी की विशेषताओं और गुणवत्ता में काफी सुधार करता है, साथ ही साथ मायकोराइज़ा सफेद जड़ के विकास में भी मदद करता है। ह्यूमिक एसिड प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया में सुधार करके गेहूं की फसल के बेहतर वनस्पति विकास में सहायता करता है।