अच्छे उपज के लिए ऐसे करें मिर्च की नर्सरी की तैयारी

How to prepare for chilli Nursery
  • मिर्च की उन्नत खेती के लिए सामान्य रूप से पहले नर्सरी तैयार की जाती है क्योंकि नर्सरी में पौध तैयार करने से बेहतर परिणाम प्राप्त होते हैं।

  • जुताई से पहले नर्सरी के लिए चयनित क्षेत्र को पहले साफ कर लें।

  • चयनित क्षेत्र अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए और जलजमाव से मुक्त होना चाहिए साथ ही वहां उचित धूप मिलनी चाहिए।

  • नर्सरी में पानी एवं सिंचाई की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि सिंचाई समय से हो सके।

  • इस क्षेत्र को पालतू और जंगली जानवरों से अच्छी तरह से संरक्षित किया जाना चाहिए।

  • कार्बनिक पदार्थ से भरपूर बालुई दोमट और दोमट मिट्टी नर्सरी हेतु उपयुक्त होती है।

  • स्वस्थ रोपाई के लिए मिट्टी रोगज़नक़ से मुक्त होनी चाहिए।

  • इसके बाद बेड की तैयारी से पहले हल से 2 बार खेत की जुताई करें। बीज बोने के लिए आवश्यकतानुसार उठी हुई क्यारियां (जैसे 33 फीट × 3 फीट × 0.3 फीट) बनायें।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

मध्य प्रदेश में आने वाले 24 घंटे में कैसा रहेगा मौसम, जानें मौसम पूर्वानुमान

Weather Update Hot

मध्य प्रदेश में फिलहाल बारिश की कोई गतिविधि देखने को नहीं मिलने वाली है। पर मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में मराठवाड़ा और तेलंगाना के कुछ क्षेत्रों में बारिश होने की संभावना है। वहीं मध्य प्रदेश के सभी इलाके शुष्क बने हुए रहेंगे और गर्मी जारी रहेगी।

वीडियो स्रोत: स्काईमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

पॉलीहाउस में ऐसे करें मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन

How to manage soil health in polyhouses
  • पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस में वर्ष भर फसलों की अच्छी पैदावार हेतु अलग अलग प्रकार के खादों का प्रयोग निरंतर किया जाता है।

  • खादों के प्रयोग के कारण 3-4 वर्षों में ही पॉलीहाउस की मिट्टी का स्वास्थ्य ख़राब होने लगता है।

  • अच्छे बीज, उचित पोषक तत्व तथा सभी सावधानियों के बावजूद फसल की पैदावार तथा गुणवत्ता में भरी कमी आनें लगी है।

  • अतः यह आवश्यक है कि वैज्ञानिक ढंग से खेती करने के लिए किसान मिट्टी के स्वास्थ्य की लगातार जांच कराएं और उसके बारे में सम्पूर्ण जानकारी रखें।

  • मिट्टी की जांच के लिए सही तरीके से नमूना लेना बहुत महत्वपूर्ण है।

  • नमूना पॉलीहाउस/ग्रीनहाउस के अंदर से अलग-अलग स्थानों से लिए जाता है, फिर इसे अच्छी तरह मिलाकर चार भागों में बाँट दिया जाता है।

  • इस प्रक्रिया को तब तक दोहराया जाता है जब तक नमूना आधा किलोग्राम न रह जाए।

  • इस तरह से प्राप्त किये गये नमूने को जाँच केंद्र में भेज दिया जाता है।

  • परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार ही खेत में उर्वरक का उपयोग करना होता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

कैसे करें अम्लीय भूमि की पहचान और क्या है इसके प्रबंधन का तरीका?

How to manage acidic land
  • यदि भूमि का पी एच मान 6.5 से नीचे हो तो इस प्रकार की मिट्टी अम्लीय भूमि कहलाती है।

  • मिट्टी जहाँ अत्यधिक अम्लीय होती है वहां अम्ल के प्रति संवेदनशील फसलें लगायी जा सकती है।

  • अधिक अम्लीय मिट्टी की स्थिति में लाइमिंग (Liming) की पद्धति अपनाना आवश्यक होता है।

  • लाइमिंग से बेस संतृप्तता (base saturation) और कैल्शियम एवं मैग्नीशियम की उपलब्धता बढ़ जाती है।

  • फास्फोरस (P) और मॉलिब्डेनम (Mo) का स्थिरीकरण करने से अभिक्रियाशील घटकों को निष्क्रिय किया जा सकता है।

  • लाइमिंग सूक्ष्म जीवों की क्रियाशीलता को प्रेरित करती है और नाइट्रोजन स्थिरीकरण व नाइट्रोजन खनिजीकरण को बढ़ाती है। इस प्रकार लाइमिंग से फलीदार फसलों को बहुत लाभ होता है।

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

तरबूज की फसल को नुकसान पहुंचाएगी फल मक्खी, जानें नियंत्रण विधि

How to control fruit fly in watermelon
  • फल मक्खी के मादा कीट तरबूज के कोमल फलों में अपने अंडे देती है।

  • इन अंडों से इल्ली बाहर निकलती है और फल में सुरंग बना कर फल के गुद्दे को खाती है जिससे फल सड़ने लगते हैं।

  • इससे फल टेढ़े-मेढ़े हो जाते हैं तथा कमजोर होकर बेल से अलग हो जाते हैं।

  • क्षतिग्रस्त फल पर अंडा दिए गए स्थान से तरल पदार्थ निकलता रहता है जो बाद में खुरंट बन जाता है।

  • इस कीट के नियंत्रण के लिए फेनप्रोप्रेथ्रिन 10% EC @ 400 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% EC@ 400 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC@ 60 मिली/एकड़ की दर से उपयोग करें।

  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में रोगों व कीटों के प्रकोप की समयपूर्व जानकारी प्राप्त करते रहें । इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने किसान मित्रों से भी करें साझा।

Share

करेले की फसल को मकड़ी के प्रकोप से होगा नुकसान, जाने बचाव विधि

How to control mites in bitter gourd crop
  • मकड़ी छोटे एवं लाल रंग के कीट होते है जो करेले की फसल के कोमल भागों जैसे पत्ती, फूल कली एवं टहनियों पर भारी मात्रा में पाए जाते हैं।

  • करेले के जिन पौधों पर मकड़ी का प्रकोप होता है उन पौधे पर जाले दिखाई देते हैं।

  • यह कीट पौधे के कोमल भागों का रस चूसकर उनको कमज़ोर कर देते हैं एवं इसकी वजह से अंत में पौधा मर जाता है।

  • रासायनिक प्रबंधन: प्रोपरजाइट 57% EC @ 200 मिली/एकड़ या स्पाइरोमैसीफेन 22.9% SC @ 200 मिली/एकड़ या ऐबामेक्टिन 1.8% EC @ 150 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

  • जैविक प्रबधन: जैविक उपचार के रूप में मेट्राजियम @ 1 किलो/एकड़ की दर से उपयोग करें।

अपनी करेले एवं अन्य सभी प्रकार की फसलों को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जरूर जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें समय पूर्व कृषि सलाह। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों संग भी साझा करें।

Share

जुगाड़ से की गई तैयार लहसुन कटाई मशीन, मिनटों में करेगी घंटों का काम

Garlic Cutting Jugad

भारतीय किसान खेती के कार्य में काफी मेहनत करते हैं पर कई बार अपने कृषि कार्यों को आसान बनाने के लिए किसान जुगाड़ वाली तकनीक का भी इस्तेमाल करते हैं। इसी जुगाड़ तकनीक से बनाई गई यह लहसुन कटाई मशीन लहसुन की कटाई बहुत ही आसानी से और कम समय में कर देती है।

वीडियो स्रोत: यूट्यूब

स्मार्ट कृषि से जुड़ी ऐसी ही महत्वपूर्ण जानकारियों के लिए ग्रामोफ़ोन के लेख रोजाना पढ़ें। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share

ग्रामोफ़ोन एप से खेत जोड़ कर मूंग की खेती करने से किसान का मुनाफ़ा 60% तक बढ़ा

Farmer Success story

अगर आप किसान हैं और आप या आपके घर में का कोई भी सदस्य स्मार्ट फ़ोन का इस्तेमाल करता है तो आप अपनी कृषि में कई क्रांतिकारी बदलाव ला सकते हैं। कुछ ऐसा ही बदलाव देवास जिले के निवासी प्रितेश गोयल जी भी अपनी खेती में लेकर आये हैं।

प्रितेश एक युवा किसान है और कृषि में तकनीक के महत्व को समझते हैं, इसीलिए जब उन्हें ग्रामोफ़ोन एप के बारे में पता चला तो उन्होंने तुरंत इसे अपने स्मार्ट फ़ोन में इंस्टॉल किया और इसका लाभ उन्हें जल्द ही मिलने लग गया।

प्रितेश जब अपनी मूंग की फसल की बुआई कर रहे थे तभी उन्होंने अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के ‘मेरी खेत’ विकल्प से जोड़ दिया। खेत को एप से जोड़ने का फल प्रितेश को मुनाफे में 60% की वृद्धि के रूप में मिला। एप की मदद से खेती करने पर उनकी कृषि लागत भी पहले से कम रही और उपज में भी अच्छी खासी वृद्धि देखने को मिली। प्रितेश ने अपने 7 एकड़ के खेत में मूंग की खेती कर 38.5 क्विंटल का उत्पादन प्राप्त किया। यह उत्पादन पहले की तुलना में 10% अधिक रहा।

बहरहाल अगर आपके पास स्मार्ट फोन नहीं है तब भी आप ग्रामोफ़ोन से जुड़ सकते हैं। इसके लिए आपको हमारे टोल फ्री नंबर 18003157566 पर मिस्ड कॉल करना होगा और फिर हमारे कृषि विशेषज्ञ आपको फ़ोन कर के आपकी समस्याओं का समाधान करेंगे।

आप भी अपने खेत ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ सकते हैं और पूरे फसल चक्र में पाते रहें समय पूर्व कृषि सलाह। इस लेख को शेयर बटन पर क्लिक कर अपने मित्रों संग भी साझा करें।

Share

मध्य भारत के कुछ क्षेत्रों में अगले 24 घंटे में हो सकती है हल्की बारिश

weather forecast

मध्य भारत के विदर्भ, छत्तीसगढ़, मराठवाड़ा, दक्षिणी मध्य प्रदेश आदि क्षेत्रों में अगले 24 घंटे में हल्की बारिश होने की संभावना है। वहीं उत्तर भारत के ज्यादातर इलाके अब शुष्क बने रहेंगे। पूर्वोत्तर राज्यों में भी मौसम शुष्क रहने की संभावना है हलाकि एक दो स्थानों पर हल्की बारिश देखने को मिल सकती है।

वीडियो स्रोत: स्काइमेट वेदर

मौसम सम्बंधित पूर्वानुमानों की जानकारियों के लिए रोजाना ग्रामोफ़ोन एप पर जरूर आएं। नीचे दिए गए शेयर बटन को क्लिक कर इस लेख को अपने मित्रों के साथ भी साझा करें।

Share