Symptoms of Deficiency and Dose of Sulphur in Onion

सल्फर की कमी के परिणामस्वरूप पत्तियों का एक सामान्य पीलापन नई पत्तों सहित पूरे पौधे पर एक समान होता है| मृदा द्वारा 30 किलो/हे. सल्फर खेत की तैयारी के समय देने की अनुशंसा की जाता है | वैसे तो सल्फर कई रूप में दिया जाता है पर सल्फर 80% WDG छिड़काव के रूप में देने से यह फफूंदनाशी एवं मकड़ी नाशी का भी काम करता है इसलिए सल्फर 80% WDG @ 50 ग्राम/15 लीटर पानी का प्रयोग करे |

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Use of Nitrogen fixing bacteria

नाइट्रोजन स्थिरीकरण जीवाणु फायदेमंद जीवाणु हैं जो वायुमंडलीय नाइट्रोजन को स्थिर नाइट्रोजन (पौधों द्वारा उपयोग किए जाने वाले अकार्बनिक यौगिक) में बदलने में सक्षम हैं। कुछ महत्वपूर्ण नाइट्रोजन फिक्सिंग बैक्टीरिया जैसे कि राइज़ोबियम, एज़ोस्पिरीलियम, एज़ोटोबैक्टर आदि किसानों के द्वारा कल्चर के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। 5 ग्राम प्रति किलो बीज के अनुसार बीज उपचारित करे| या 2 किलो प्रति एकड़ गोबर की खाद में मिला कर दे|

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Phosphate Solubilizing Bacteria (PSB)

फास्फेट घुलनशील बैक्टीरिया (पीएसबी) फायदेमंद बैक्टीरिया है यह अघुलनशील यौगिकों से अकार्बनिक फास्फोरस को घुलनशील बनाने में सक्षम है।पीएसबी 5 ग्राम प्रति किलो बीज के अनुसार बीज उपचारित करे | या 5 किलो प्रति एकड़ गोबर की खाद में मिला कर दे |

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Sowing and sowing time of Chickpea (Gram)

  • असिचिंत क्षेत्रों में चने की बुवाई अक्टूबर के प्रथम पखवाड़े में कर देनी चाहिये। जिन क्षेत्रों में सिंचाई की सुविधा हो वहाँ पर बुवाई 30 अक्टूबर तक अवश्य कर देनी चाहिये।
  • फसल से अधिक पैदावार प्राप्त करने के लिए खेत में प्रति इकाई पौधों की उचित संख्या होना बहुत आवश्यक है। पौधों की उचित संख्या के लिए आवश्यक बीज दर व पंक्ति से पंक्ति एवं पौधे से पौधे की उचित दूरी की महत्वपूर्ण भूमिका होती है|
  • बारानी खेती के लिए 80 कि.ग्रा. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए 60 कि.ग्रा. बीज की मात्रा प्रति हैक्टेयर पर्याप्त होती है।
  • बारानी फसल के लिए बीज की गहराई 7 से 10 से.मी. तथा सिंचित क्षेत्र के लिए बीज की बुवाई 5 से 7 से.मी. गहराई पर करनी चाहिये। पंक्ति से पंक्ति की दूरी 45 से 50 से.मी. पर रखनी चाहिये।

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Irrigation in Gram

चने में सिंचाई:-

  • चना में भारी सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है।
  • कुछ क्षेत्रो में दो सिंचाई शाखाएं निकलते समय ( फुल आने से पहले ) एवं फली बनते समय देने से अधिक उपज प्राप्त हुई है लेकिन एक सिंचाई शाखाएं निकलते समय (फुल आने से पहले ) देने से इष्टतम उपज में वृद्धि होती है |

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Suitable soil for Gram

चना भारत में विस्तृत तरह की मिट्टी पर उगाया जाता है। हालांकि रेतीले चिकनी मिट्टी को सबसे उपयुक्त माना जाता है, पंजाब, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में इस तरह की मिटटी में चना लगता है। महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में, काली कपास की मिट्टी का इस्तेमाल किया जाता है। बेहतर विकास के लिए मिटटी को अच्छी तरह से सूखा और बहुत भारी नहीं होना चाहिए। भारी मिट्टी में पानी को सोखने की क्षमता होती है जिससे पौधों में भारी वनस्पति विकास हो जाता है और सूर्य की रौशनी कम मिलने के कारन फ्रूटिंग घट जाती है। ध्यान रखें मिटटी में नमक की मात्रा काम हो और pH 6.5 – 7.5 के बीच हो।

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Seed Treatment of Chickpea (Gram)

चने का बीज उपचार:-

  • चने को बुआई से पहले फफुद जनित बिमारियों जैसे जड़ सडन, कोलर सडन एवं पाद गलन से बचने के लिए कार्बोक्सिन 37.5% + थायरम 37.5% या कार्बेन्डाजिम 12% + मेंकोजेब 63% 2 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचारित करना चाहिए |

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Weed management in Onion

प्याज में खरपतवार नियंत्रण:-पेंडिमेथालीन @ 100 मिली. / 15 लीटर पानी या ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC @ 15 मिली. / 15 लीटर पानी का उपयोग रोपाई के 3 दिनों के बाद प्याज में प्रभावी खरपतवार नियंत्रण के लिए सिफारिश की जाती है, इसके साथ ही खरीफ की फसल में रोपाई के 25-30 दिनों के बाद और रबी फसल में रोपण के 40-45 दिन बाद एक हाथ से निदाई करे । रबी मौसम के दौरान चावल का भूरा घास या गेहूं पुआल का उपयोग मल्चिंग के रूप में करने से उपज बढ़ाने के लिए सिफारिश की गई है। ऑक्सिफ्लोरफेन 23.5% EC 1 मिलीलीटर / ली.पानी + क्विजलॉफॉप एथाइल 5% ईसी @ 2 मिलीलीटर / लीटर पानी का संयुक्त छिडकाव रोपाई के बाद 20-25 दिन में और 30-35 दिन होने पर करने से खरपतवार का अच्छा नियंत्रण और अधिक उपज मिलती है|

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Prevention of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-
• छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
• मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
• गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
• रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
• रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
• कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
• जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
• सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |

 

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