Powdery mildew in Okra

लक्षण:-

  • इस बीमारी के लक्षण प्राय: पौधों की पुरानी पत्तियों एवं तने पर दिखाई देते है|
  • वातावरण में अत्यधिक आर्द्रता इस बीमारी के अनुकूलन को बढ़ाता है |
  • इस बीमारी में पत्तियों और तनों पर सफ़ेद रंग के छोटे-छोटे एवं गोलाकार धब्बो का निर्माण होता है|
  • अत्यधिक ग्रसित पत्तियां पीले रंग की होकर सुख कर भूरे रंग की हो जाती है |
  • बाद में पत्तियां सड़ने लगती है |

नियंत्रण:- घुलनशील सल्फर 80% का 50 ग्राम प्रति 15 ली पानी में घोल बना कर 15 दिन के अंतराल पर छिडकाव करे|

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Control of Fruit fly in Bitter Gourd

पहचान:-

  • अंडे 1.0 से 1.5 मिमी., लम्बे, बेलनाकार आकार के सफ़ेद के रंग एवं किनारे पर पतले होते है|
  • पूर्ण विकसित लार्वा 5 से 10 मिमी. लम्बे, बेलनाकार सामने की तरफ पतले, एवं पीछे का हिस्सा भोथरा एवं सफ़ेद रंग का होता है|
  • प्यूपा 5 से 8 सेमी. लंबा. नलीनुमा आकार का एवं भूरे रंग लिए हुए होता है|
  • वयस्क मक्खी का शरीर लाल भूरे रंग का, पंख पारदर्शक एवं चमकदार जिन पर पीले भूरे रंग की धारियां होती है|
  • वयस्क मक्खी 4 से 5 मिमी. लम्बी होती है| वयस्क मादा मक्खी अपने पंखो को 14 से 16 मिमी. एवं नर मक्खी अपने पंखों को 11 से 13 मिमी. तक फैला सकती है|

हानि:-

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेद करने के बाद उनका रस चूसते है|
  • इनसें ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है|
  • मक्खी प्राय: कोमल फलों पर अंडे देती है|
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेद करके उन्है हानि पहुचाती है| इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है|
  • अन्तत: छेद ग्रसित फल सड़ने लगते है|
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है, जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है|

नियंत्रण:-

  • ग्रसित फलों को इकटठा करके नष्ट कर देना चाहिए|
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोथाम के लिए खेत में फेरोमेन ट्रेप लगाना चाहिये, इस फेरोमेन ट्रेप में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाईल इजीनोल या सिंत्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टिक अम्ल का घोल बनाकर रखा जाता है|
  • परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पोलीथीन या पेपर से ढक देना चाहिए|
  • इन मक्खियों को नियंत्रण करने के लिए करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को लगाना चाहिए, इन पौधों की उचाई ज्यादा होने से मक्खी पत्तो के नीचे अंडे देती है|
  • जिन क्षेत्रों में फल माखी का प्रकोप ज्यादा देखा जाता है, वहां पर कार्बारिल 10% चूर्ण खेत में मिलाये|
  • डायक्लोरोवास कीटनाशक का 3 मिली. प्रति ली. पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें|
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अन्दर की मक्खी की सुप्तावस्था को नष्ट करना चाहिए|

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Management of Anthracnose in Frenchbean

लक्षण:-

  • फरासबीन की पत्तियों, तने व फल्लियों इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती है|
  • छोटे-छोटे लाल भूरे रंग के धब्बे फल्लियों पर बनते है व शीघ्रता से बढतें है|
  • आद्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवाणु पनपते है|
  • पत्तियों एवं तनों पर भी काले जलसिक्त घाव बनते है|
  • पर्ण वृन्तों एवं पत्तियों की शिराओं पर भी संक्रमण होता है|

प्रबंधन:-

  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें|
  • रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक फरासबीन न आये|
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें|
  • कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/ किलो बीज से बीजोपचार करें|
  • मेन्कोजेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी का स्प्रे करें या क्लोरोथायोनील 2 ग्राम प्रति ली पानी में घोल बनाकर पत्तियों निकलने से फल्लियों पकने तक प्रति सप्ताह छिडकाव करें|

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Management of Little Leaf in Brinjal

बैगन का छोटी पत्ति रोग :-

लक्षण:-

  • इस रोग से संक्रमित पौधे की पत्तियाँ प्रारम्भिक अवस्था में हल्के पीले रंग की हो जाती है |
  • पत्तियाँ आकार में छोटी होकर विकृत हो जाता है|
  • रोग ग्रसित पौधों में स्वस्थ पौधों की अपेक्षा अधिक शाखायें, जड़ें एवं पत्तियाँ निकलती है|
  • पत्तियों के पर्णवृंत एवं इंटरनोड छोटे हो जाते है जिसके कारण पौधा झाडीनुमा दिखाई देता है|
  • पौधे पर पुष्प नहीं बनते है यदि बनते भी है तो हरे रहते है या बेरंग हो जाते है|
  • इस रोग से ग्रसित पौधे पर फल नहीं लगते है|

प्रबंधन:-

  • ट्रेप फसल लगाए|
  • ग्रसित पौधों की निकल कर नष्ट करें|
  • फसल ऐसे समय लगाए जिससे की लीफ होपर कीट नहीं आ सके|
  • रोग वाहक कीट लीफ होपर के नियंत्रण के लिए डायमिथोएट 2 मिली. प्रति ली पानी का स्प्रे करें|

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Happy Republic Day

तहे दिल से मुबारक करते है

चलो आज फिर उन आज़ादी के लम्हों को याद करते है ;

कुर्बान हुए थे जो वीर जवान भारत देश के लिए,

उनके जज्बे और वीरता को चलों आज प्रणाम करते है|

ग्रामोफोन टीम की और से गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाये|

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Control of Early Blight of Tomato

लक्षण:- फफूंद का पत्तियों पर आक्रमण होने पर धब्बों का निर्माण होने लगता है| उत्पन्न धब्बे छोटे, हल्के-भूरे रंग के एवं पुरी पत्तियों पर फैले हुए होते है|  पूर्ण विकसित धब्बे नियमित, संकेन्द्रीय भूरे, काले रंग के एवं 2-5 मिमी. आकार के होते है| पौधों में इस रोग के लक्षण नीचे की पत्तियों से शुरू होकर धीरे- धीरे ऊपर की तरफ बढ़ते है|

नियंत्रण:- 2 ग्राम मेन्कोजेब 75 डब्लूपी + 10 ग्राम यूरिया प्रति लीटर 15 दिन के अंतराल पर जब लक्षण शुरू होते हैं या कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% WP @ 50 ग्रा / 15 लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 % WP @ 50 ग्रा। / 15 लीटर पानी का छिडकाव करे |

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Control of Leaf Miner in Cowpea

बरबटी में पत्ति सुरंगक :-

पहचान:-

  • वयस्क छोटे एवं नाजुक होते है| ये आकार में एक इंच का छठवां भाग होते है|
  • ये काले एवं पीले रंग के होते है|
  • अंडे गोल, सूक्ष्म एवं पीले सफ़ेद रंग के होते है|
  • लार्वा सफ़ेद रंग के जो सिर के तरफ पीले रंग के होते है| पूर्ण विकसित अवस्था में इनका आकार एक इंच का छटवां भाग होता है|

हानि:-

  • मादा अपने नुकीले प्रजनन अंग को पत्तियों के उत्तकों के अन्दर प्रवेश कर 300-400 अंडे देती है|
  • अंडे से उत्पन्न लार्वा माईन्स पत्तियों के मिसोफिल उत्तकों के टेड़े- मेढ़े आकृति में खाते है|
  • सुरंगक का आक्रमण होने पर पत्तियों के ऊपर सफेद रंग की चमकदार धारियां बन जाती है|
  • वयस्क पत्तियों में छेदक करके उसमें उपस्थित कोशिका रस को चूस लेते है|
  • कीट से ग्रसित पौधों की फलन एवं फूलन क्षमता पर विपरीत प्रभाव पड़ता है|

नियंत्रण:-

  • डायक्लोरोवास 40 मिली. + नीम तेल 50 मिली. प्रति पम्प का स्प्रे करें|
  • डायमिथोएट 40 मिली. या कारटाप हाईड्रो क्लोराईड 75% SG 20 ग्राम/ प्रति पम्प का स्प्रे करें|

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Prevention of Collar rot in chilli

लक्षण:-

  • भूमि के पास स्तम्भ के आधार पर फफूंद उत्तक क्षय करके पौधे को सुखा देता है|
  • अनुकूल परिस्थिति में कवक और उसके सरसों जैसे दानों के समान वृद्धि रोगग्रस्त भाग पर विकसित होते है|

रोकथाम:-

  • रोगग्रस्त पौधे के अवशेषों को नष्ट करें|
  • जल निकास की व्यवस्था करें व फसल चक्र अपनायें|
  • नर्सरी का निर्माण ऊँची जगह पर करें|
  • बीज उपचार कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम/ किलो बीज की दर से करें|
  • कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम या मेटालेक्ज़िल+ मेन्कोज़ेब 3 ग्राम प्रति ली. पानी की दर से घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर दो बार ड्रेंचिंग करें|

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Control of Fusarium Wilt in Bottle Gourd

  • नई पौध के बीजपत्र कमज़ोर होकर गिर जाते है|
  • पुराने पौधे उकठा रोग के द्वारा शीघ्र ग्रसित होते है कोलर क्षेत्र के संवहन उत्तक भूरे रंग के हो जाते है|

रोकथाम:-

  • रोग प्रतिरोधी किस्मों को उगाये|
  • प्रतिरोधी फसलों को उगाकर फसल चक्र अपना चाहिये|
  • बीजों को बुवाई पूर्व 55oC पर 15 मिनट तक गर्म पानी विधि द्वारा उपचारित करें|
  •  कार्बेन्डाजिम फफूंदनाशक 3 ग्राम प्रति ली पानी के अनुसार घोल बना कर  जड़ में दे |

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Healthy and Excellent Crop of Chickpea

किसान का नाम:- कल्याण पटेल

गाँव+ तहसील:- देपालपुर

जिला:- इंदौर

राज्य:- मध्यप्रदेश

कल्याण जी ने 10 एकड़ का चना लगाया है जिसमे इन्होने प्रोपिकोनाजोल 25% EC का स्प्रे साथ में एक विश्वसनीय कम्पनी का ज़ाईम का स्प्रे ग्रामोफ़ोन के अनुसार किया अभी चना बहुत बढ़िया है कोई बीमारी नहीं आई है फुल अच्छे लगे है |

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