केंद्र सरकार ने की फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि

सरकार का किसान के हित मे अब तक का बड़ा फ़ेसला  14 फसलों का समर्थन मूल्य बढ़ा सोयाबीन पर 349 रू. और धान पर 200 रू. की वृद्धि हुई :-

 

                        -2018-19 मौसम की खरीफ फसलो के लिए-

 

क्र.         फसलें किस्म उत्पादन लागत न्यूनतम समर्थन मूल्य उत्पादन लागत पर प्रतिशत लाभ
1 धान     सामान्य

    ग्रेड A

 1166   1750

  1770

50.09
2 ज्वार    हाइब्रिड

  मालदांडी  

1619 2430

2450

50.09
3 बाजरा    – 990 1950 96.97
4 रागी    – 1931 2897 50.01
5 मक्का    – 1131 1700 50.31
6 अरहर    – 3432 5675 65.36
7 मूंग
  •   
4650 6975 50.00
8 उड़द 3438 5600 62.89
9 मूंगफली 3260 4890 50.00
10 सूरजमुखी बीज 3596 5388 50.01
11 सोयाबीन 2266 3399 50.01
12 तिल 4166 6249 50.01
13 रामतिल 3918 5877 50.01
14 कपास  माध्यम स्टेपल

 लम्बा स्टेपल

3433

  –

5150

5450

50.01

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Today’s Crop Photo

नाम:- दिनेश जी

गाँव:- बिरगोदा

तहसील:- देपालपुर

जिला:- इंदौर

समस्या:- सोयाबीन फसल में जड़ सडन रोग

नियंत्रण:- जड़ सडन रोग के नियंत्रण के लिए कार्बेन्डाजिम 12% + मेन्कोजेब 63% या थायोफिनेट मिथाईल @ 50 ग्राम का स्प्रे करें|

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Today’s Gramophone Farmer

नाम:- सुरेश वर्मा

गाँव:- कनारदी

तहसील:- तराना

जिला:- उज्जैन

समस्या:- टमाटर की नर्सरी में पत्ती झुलसा रोग|

नियंत्रण:- मेटॉलेक्ज़ील 8% + मेंकोजेब 64% @ 50 ग्राम का स्प्रे करें |

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Co-operative Farming boost the income Of Farmers

सहकारी खेती किसानों की आय को बढ़ा सकती है:-
सहकारी खेती एक संगठन को संदर्भित करती है जिसमें प्रत्येक सदस्य-किसान व्यक्तिगत रूप से अपनी भूमि का मालिक बना रहता है। लेकिन खेती संयुक्त रूप से की जाती है। सदस्य-किसानों के बीच लाभ उनके स्वामित्व वाली भूमि के अनुपात में वितरित किया जाता है। मजदूरी सदस्य-किसानों के बीच काम किए गए दिनों की संख्या के अनुसार वितरित की जाती है|

     “आज किसान (कृषि सम्बंधित सामान) खुदरा दर पर खरीदते हैं और थोक मूल्य पर (उनकी उपज) बेचते हैं। क्या इसे उलट किया जा सकता है? अगर वे थोक दरों पर (इनपुट) खरीदते हैं और खुदरा मूल्य पर बेचते हैं, तो कोई भी उन्हें लूट नहीं सकता, यहां तक ​​कि बिचौलिये भी नहीं|

फायदे :-

  • खेत के आकार के रूप में, ट्यूब-कुएं, ट्रैक्टर का उपयोग करने की प्रति हेक्टेयर लागत नीचे आती है।
  • सहकारी समिति भी किसानों को उत्पादन और बाद में फसल के प्रबंधन पर प्रशिक्षण प्रदान करते हैं, साथ ही साक्षरता, व्यापार या विपणन में शिक्षा जो उनकी मानव पूंजी बना सकते हैं|
  • चूंकि सहकारी समिति लोकतंत्र, समानता के मूल्यों पर आधारित हैं, इसलिए वे विशेष रूप से विकासशील देशों में महिलाओं को सशक्त बनाने में विशेष रूप से मजबूत भूमिका निभा सकते हैं|
  • सहकारी समितियों के किसानों में अधिक सौदेबाजी क्षमता, ऋण प्राप्त करने में कम लेन देन लागत, और जानकारी तक बेहतर पहुंच |
  • सभी छोटे और सीमांत खेतों को एकत्रीकरण करके, सहकारी खेती के सदस्य बड़े पैमाने पर खेती के सभी लाभ उठा सकते हैं। बीज, उर्वरक इत्यादि जैसे कृषि इनपुट खरीदते समय समिति थोक मात्रा में खरीद सकता है और इस प्रकार इसकी लागत कम होती है।
  • ट्रैक्टर, कटाई मशीनों जैसी बड़ी मशीनरी अब संगठन द्वारा खरीदी जा सकती हैं और कृषि संचालन अब और अधिक वैज्ञानिक आधार पर प्रबंधित किया जा सकता है|

हम एक व्यक्ति के मुकाबले एक समूह के रूप में मजबूत होते हैं। सहकारी और सामुहिक तरीके से सोचें, स्थानीय खाद्य केंद्र स्थापित करें और समुदायों को बनाएं।”

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Today’s Gramophone Farmer

नाम:- मनीष चौधरी

गाँव:- सिलोटिया

जिला:- इंदौर

राज्य:- मध्य प्रदेश

किसान भाई मनीष जी फूलगोभी की खेती ग्रामोफोन के मार्गदर्शन में कर रहे हैं |

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Control of Fruit Rot and Dieback in Chillies

मिर्च में फल सडन एवं डायबेक रोग:-इसके लक्षण फुल आने पर नजर आते है पत्ती पर काले धब्बे नजर आते है और पौधा बीच में से टूट जाता है| फुल सुख जाते है तथा पौधा ऊपर से नीचे सूखने लगता है|

नियंत्रण:- रोग पर अच्छे नियंत्रण के लिए थायोफिनेट मिथाईल 70% @ 30 ग्राम/पंप या हेक्साकोनाज़ोल 5 % +केपटान 70% WP @ 25 ग्राम/पम्प का स्प्रे करें | पहला स्प्रे फुल आने से पहले, दुसरा फल बनाने लगे तब तथा तीसरा स्प्रे दुसरे के 15 दिन बाद करें |

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Yellow Mosaic Virus in Legumes crops

पीला मौजेक वायरस :- पीला मौजेक वायरस मुख्य रूप से खरीफ मौसम में सोयाबीन, उड़द, मूग व कुछ अन्य फसलो में भी होता हैं |  सोयाबीन, उड़द आदि फसलो में रोग के प्रकोप से काफी नुकसान होता हैं | इससे पैदावार पर बुरा प्रभाव होता हैं, यह रोग 4-5 दिनों में पुरे खेत में फ़ैल जाता हैं और फसल पीली पड़ने लगती हैं रोग फैलाने मे मुख्य भूमिका सफ़ेद मक्खी की होती हैं |       

रोग फेलने  के मुख्य कारण :-

  • यह विषाणु जनित रोग रस चूसक कीट व सफ़ेद मक्खी से फैलता हैं |
  • बीजो का उचित उपचार नहीं किया जाना | साथ ही जानकारी का अभाव होना व लम्बे समय तक सुखा पड़ना भी वायरस को फैलाने में सहयोगी रहता हैं |
  • कीटनाशको का अन्धाधुंध प्रयोग करना बिना उचित जानकारी के दवाइयों का मिश्रण कर उनका छिडकाव करना |
  • किसानो द्वारा उचित फसल चक्र नहीं अपनाये जाना इसका मुख्य कारण होता हैं |
  • खेतो के चारो और मेड़ो की सफाई नहीं होने के कारण भी फैलता हैं |
  • सफ़ेद मक्खी पौधो के पत्ते पर बैठ कर रस चूसती है ओर लार वही छोड़ने से बीमारी का प्रकोप बढता हैं |

 रोग के  लक्षण :-

  • प्रारंभिक अवस्था में गहरे पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं|
  • रोग ग्रस्त पोधे की पत्तिया पीली पड़ जाती हैं |
  • रोगग्रस्त पोधे की पतियों की नसे साफ़ दिखाई देने लगती है |
  • पोधे की पत्तिया खुरदुरी हो जाती हैं |
  • ग्रसित पोधा छोटा रह जाता हैं|

रोकथाम के उपाय :-

यांत्रिक विधि :-

  • प्रारंभिक अवस्था मे रोग ग्रसित पौधो को खेत से उखाड़ कर जला दे |
  • खेत मे सफ़ेद मक्खी को आकर्षित करने के लिए  प्रति हक्टेयर 5-6 पीले प्रपंच लगाये |
  • फसल के चारो और जाल के रूप मे गेंदे की फसल लगाये |

जैविक विधि :-

  • प्रारंभिक अवस्था मे पौधो मे नीम तेल छिडकाव 1-1.5 ली. प्रति एकड़ चिपकने वाले पदार्थ मे मिलाकर 200-250 ली. पानी का घोल बना कर करे
  • 2 किलो सहजन की पत्तियों को बारीक़ पीसकर 5 ली. गोमूत्र और 5 ली. पानी मिलकर गला दे| 5 दिन बाद पानी छान ले| 500 मिलीलीटर घोल को 15 लीटर पानी मे मिलाकर फसल पर छिडकाव करे | यह फसल मे टॉनिक का काम करेगा |

रासायनिक विधि :-

  • डाइमिथिएट  250-300 मिलीलीटर  या थायोमेथाक्सोम 25WP 40 ग्राम  या इमिडाक्लोप्रिड 17.8 SL 40 मिलीलीटर  या एसिटामाप्रीड 40 ग्राम प्रति एकड़ की दर से 200-250 लीटर पानी का घोल बनाकर छिडकाव करे |  

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Today’s Farmer

नाम:- सचिन ठाकुर

ग्राम:- दिलावरा

जिला:-धार

समस्या:- पत्ता गोभी में ईल्ली

सुझाव:- एमामेक्टीन बेंजोएट 15 ग्राम + प्रोफेनोफास 30 मिली प्रति पम्प का स्प्रे करे |

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Suitable Climate for Pumpkin Production

कद्दु की खेती के लिये उपयुक्त जलवायु:-

  • गर्म एवं नमी युक्त मौसम इस फसल के लिये उपयुक्त होता है।
  • अर्द्ध शुष्क एवम ठंडे वातावरणीय दशा भी इस फसल के लिये अनुकुल होती है।
  • इस फसल की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिये रात व दिन का तापमान 18-22 C एवं 30-35 C के मध्य होना चाहिये। 25-30 C तापमान पर बीज अंकुरण बहुत तेजी से होता हैं।
  • अनुकूल तापमान होने पर मादा फुलो एवं फलो की संख्या प्रति पौधा मे वृद्धि होती है।

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Time of Transplanting of Chilli

मिर्च की रोपाई का समय:-

  • मिर्च की रोपाई जुलाई- सितम्बर तक की जाती है|
  • अगस्त का महीना मिर्च की रोपाई के लिए सर्वोत्तम है, तत्पश्चात सितम्बर का महीना उत्तम है|
  • अगस्त में रोपाई करने पर पौधों की बढ़वार एवं उपज ज्यादा होती है|

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