Suitable Soil and Climate for Onion

प्याज के लिए उपयुक्त मौसम एवं मिट्टी:-

  • प्याज ठंडे मौसम की सब्जी है जिसे हल्के जलवायु वाले क्षेत्रों में उगाया जाता है।
  • मानसून अवधि के दौरान जब औसत वर्षा 75-100 से.मी. अधिक होती है तब यह फसल नही होती हैं।
  • वानस्पतिक विकास के लिये आदर्श तापमान 12.8-23°C होता है।
  • कंद संरचना के विकास के लिये लम्बे दिन एवं उच्च तापमान (20-25°C) आवश्यक होता है।
  • शुष्क वातावरण कंद के परिपक्वता के लिये अनुकूल होता है।

मिट्टी :-

  • प्याज सभी तरह की भूमि में ऊगाया जा सकता है।
  • गहरी भुरभुरी और चिकनी बलुई मिट्टी प्याज उत्पादन के लिये सर्वोत्तम होती है।
  • अच्छी फसल की उत्पादन के लिये भूमि में ज्यादा कार्बनिक पदार्थ की मात्रा पर्याप्त जल निकासी एवं खरपतवार मुक्त होना चाहिये।
  • यह उच्च अम्लीयता एवं क्षारीयता के प्रति संवेदनशील होती है अतः भूमि का आदर्श pH मान 5.8 से 6.5 होना चाहिये।

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Suitable climate for Garlic Cultivation

लहसुन की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु:-

  • लहसुन को विभिन्न जलवायु में उगाया जा सकता हैं|
  • हालांकि बहुत अधिक गर्म एवं ठन्डे तापमान पर नहीं उगाया जा सकता हैं वानस्पतिक वृद्धि एवं कंदों के विकास के समय ठंडा एवं नमी युक्त वातावरण एवं कंदो की परिपक्वता के समय गर्म एवं शुष्क वातावरण की आवश्यकता होती हैं|
  • सामान्यत: बढ़वार के समय ठंडा मौसम अधिक उपज के लिए अच्छा होता हैं|
  • लम्बे समय तक 20°C या इससे कम तापमान 1-2 माह तक (लहसुन की किस्म के अनुसार) होने पर बलबिल्स बनते हैं ऐसे वातावरण में उत्पादन नहीं हो पाता हैं या छोटे कंद बनते हैं|

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Land preparation for Brinjal

  • बैगन की अच्छी वृद्धि एवं विकास के लिए खेत में जल निकासी की व्यवस्था अच्छी होनी चाहिये|
  • खेत की 4-5 बार जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी कर देना चाहिये |
  • खेत की अंतिम जुताई के समय गोबर की खाद को खेत में मिलाये |

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Nursery preparation in brinjal

  • भारी मृदा में ऊँची क्यारियों का निर्माण करना जरूरी होता हैं ताकि पानी भराव की समस्या को दूर कर सके|
  • रेतीली भूमि में बीजों की बुवाई समतल सतह तैयार करके की जाती है।
  • प्रातः ऊँची क्यारियों का आकार 3 x1 मी. और ऊँचाई 10 से 15 से.मी. के लगभग होता है।
  • दो क्यारियों के बीच की दूरी प्रायः 70 से.मी. के लगभग होना चाहिये ताकि अंतरसस्य क्रियाएँ जैसे सिंचाई एवं निदाई आसानी से की जा सके।
  • पौधशाला क्यारियों की ऊपरी सतह साफ़ एवं समतल होना चाहिये ।
  • पूणतः पकी गोबर की खाद या पात्तियों की सड़ी हुई खाद को क्यारियों का निर्माण करते समय मिलाना चाहिये।
  • पौधशाला में आर्द्रगलन से पौधों को मरने से रोकने के लिये मैनकोज़ेब 75% WP @ 400-600 ग्राम / एकड़ की दर से घोल बनाकर अच्छी तरह से क्यारियों में ड्रेंचिंग करे|

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Management of fruit fly in bitter gourd

  • ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर देना चाहिये।
  • अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिये खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरो मोन ट्रेप को लगाना चाहिये, इस प्रकाश प्रपंच में  मक्खी को मारने के लिये 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखा जाता है।
  • परागण की क्रिया के तुरन्त बाद तैयार होने वाले फलों को पाँलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिये।
  • इन मक्खीयों को नियंत्रण करने के लिये करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिये, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी द्वारा पत्तों के नीचे अण्डे देती है।
  • गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर की  मक्खी की सुप्त अवस्थाओ को नष्ट करना चाहिये।
  • डाइक्लोरोवोस 76% ईसी 250 से 500 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करे | या 
  • लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस @ 200 मिली/एकड़। या
  • प्रोफेनोफॉस 40% ईसी + साइपरमेथ्रिन 4% ईसी @ 400 मिली/एकड़ | 

 

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Fruit Fly in bitter gourd

  • मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते है। 
  • इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते है। 
  • मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है।  
  • मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे  हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है।  
  • अंततः छेंद ग्रसित फल सड़ने लगते है। 
  • मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को खाते है,  जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले ही गिर जाते है।

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Control of Aphid in Bottle gourd

  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुड़कर मुड जाते है अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सुख जाती है व धीरे-धीरे पौधा सुख जाता है|
  • एसीफेट 75% एसपी @ 300-400 ग्राम / एकड़ या
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली / एकड़ या 
  • एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 150 ग्राम ग्राम / एकड़ की दर से छिड़काव करे|

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Aphid in Bottle gourd

  • शिशु एवं वयस्को का समूह पत्तियों की निचली सतह पर चिपके हुये होते है, जो इनके ऊतको से रस चूसते है । 
  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुडकर मुड जाते है। अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती है व धारे-धीरे पौधा सूख जाता है। 
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर या पौधे के भागों के ऊपर मधुरस का स्त्राव किया जाता है, जिन पर सूटी फंगस का विकास हो जाता है,जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • सूटी फंगस द्धारा ग्रसित फल अनाकर्षक होते है, जिनका मूल्य कम हो जाता है । 

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Seed and Nursery Bed Treatment in Onion

  • बुआई के पहले, प्याज के बीज को थायरम 37.5% + कार्बोक्सिन 37.5% @ 2 ग्राम/किलो बीज के अनुसार उपचारित करना चाहिए जिससे डंपिंग ऑफ रोग से बचा जा सकता है | नर्सरी की मिट्टी को कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोजेब 63% @ 40 ग्राम / पम्प से उपचारित करना चाहिए | बुआई के 15-20 दिन पहले क्यारियों की सिचाई कर के सोरयीकरण के लिए उन्हें 250 गेज के पारदर्शी पॉलीथीन से ढक देना चाहिए | यह उपाय डंपिंग ऑफ नामक बीमारी जो की पौध को नष्ट कर देती हैं के नियंत्रण के लिए बहुत उपयोगी हैं | 

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मिर्च में रस चूसने वाले कीटों की समस्या और समाधान

मिर्ची की फसल में रस चूसने वाले कीटों जैसे एफिड,जैसिड और थ्रिप्स की मुख्य समस्या रहती हैं | यह कीट मिर्ची की फसल में पोधो के हरे भागो से रस चूस कर नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे पत्तिया मुड़ जाती हैं और जल्दी गिर जाती हैं | रस चूसक कीटों के संक्रमण से फंगस और वायरस द्वारा फैलने वाली बीमारियों की संभावना बढ़ सकती हैं | अतः इन कीटों  का समय पर नियंत्रण करना आवश्यक हैं:-

नियंत्रण:- 

  • प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या 
  • एसीफेट 75% SP @ 250 ग्राम/एकड़ या 
  • लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200-250 मिली/एकड़ या
  • फिप्रोनिल 5% SC @ 300-350 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करना चाहिए | 
  • अधिक जानकारी के लिए आप हमारे टोल फ्री न. 1800-315-7566 पर कॉल करे |

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