Fusarium rot/basal rot in garlic

  • पौधे की बढ़वार रुक जाती तथा पत्तियो पर पीला पन आ जाता हैं तथा पौधा ऊपर से नीचे की ओर  सूखता चला जाता हैं |

  • संक्रमण के प्रारंभिक चरण में, पौधों की जड़ें रंग में गुलाबी हो जाती हैं और सड़ने लगती हैं। बल्ब निचले सिरे से सड़ने लगता है और अंततः पूरा पौधा मर जाता है।

  • उत्तरजीविता और प्रसार: – रोगज़नक़ मिट्टी और लहसुन के बल्ब में रहता है |

  • अनुकूल परिस्थितियां: – नम मिट्टी और 27 डिग्री सेल्सियस तापमान रोग के विकास के लिए अनुकूल होता है।

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Manures and fertilisers for Mustard

खेत की तैयारी के समय 6-8 टन गोबर की खाद डालें। और 25-40 किलो नाइट्रोजन, 25 किलो  फास्फोरस और 16 किलो पोटास प्रति एकड़।

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Time of sowing for mustard

  • सरसो की बुवाई सितम्बर के अंतिम सप्ताह से अक्टूबर के अंतिम सप्ताह तक की जाती हैं |  
  • सामन्यतः सरसो के लिए  कतार से कतार की दूरी 30-45 सेमी रखते हैं तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 – 15 सेमी  रखी जाती हैं 

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How to Control Cauliflower Diamondback moth

  • डायमण्ड बैक मोथ की रोकथाम के लिये बोल्ड सरसों को गोभी के प्रत्येक 25 कतारों के बाद 2 कतारों में लगाना चाहिये।
  • प्रोफेनोफ़ोस (50 ई.सी.) का 500 मिली/एकड़ या सायपरमेथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी @ 400 मिली/एकड़ की दर से घोल बना कर छिडकाव करें।
  • स्पाइनोसेड (25 एस.सी.) 100 मिली/एकड़ या ईंडोक्साकार्ब 300 मिली/एकड़ या इमामेक्टिन बेंजोएट @ 100 ग्राम/एकड़ पानी की दर से घोल बना कर छिड़काव करें। छिडकाव रोपण के 25 दिन व दूसरा इसके 15 दिन बाद करे।
  • जैविक नियंत्रण के लिए बेवेरिया बैसियाना @ 1  किलो/एकड़ | 
  • नोट :- हर स्प्रे के साथ स्टीकर अवश्य मिलाये | 

 

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Cauliflower Diamondback moth

पहचान

  • अंडे सफ़ेद-पीले व हल्के हरे रंग लिये होते है|
  • इल्लियाँ 7-12 मिमी. लम्बी, हल्के पीले- हरे रंग की व पुरे शरीर पर बारीक रोयें होते है|
  • वयस्क 8-10 मिमी. लम्बे मटमैले भूरे रंग के व हल्के गेहुएं रंग के पतले पंख जिनका भीतरी किनारा पीले रंग का होता है|
  • वयस्क मादा पत्तियों पर एक एक कर या समूह में अंडे देती है|
  • इनके पखों के ऊपर सफेद धारी होती है जिन्हें मोड़ने पर हीरे जैसी आकृति दिखती है|

नुकसान

  • छोटी पतली हरी इल्लियाँ अण्डों से निकलने के बाद पत्तियों की बाहरी परत को खाकर छेद कर देती है |
  • अधिक आक्रमण होने पर पत्तियां पूरी तरह से ढांचानुमा रहा जाती है | 

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 Why, when and how to add mycorrhiza in the field :- 

  • पौधे की जड़ की वृद्धि और विकास में सहायक हैं |
  • यह फॉस्फेट को मिट्टी से फसलों तक पहुंचने में मदद करता हैं |
  • नाइट्रोजन, पोटेशियम,लोहा,मैंगनीज,मैग्नीशियम,तांबा,जस्ता, बोरान, सल्फर और मोलिब्डेनम जैसे पोषक तत्वों को मिट्टी से जड़ो तक पहुंचाने का कार्य करता हैं जिससे पौधों को अधिक मात्रा में पोषक तत्व प्राप्त हो पाते  हैं |
  • यह पौधों को मज़बूती प्रदान करता हैं जिससे वह कई रोग, पानी की कमी आदि के लिए कुछ हद तक सहिष्णु हो जाते हैं |
  • फसल की प्रतिरक्षा शक्ति में वृद्धि करता हैं परिणाम स्वरूप उत्पाद की गुणवत्ता में वृद्धि होती हैं |
  • क्योकी माइकोराइजा जड़ क्षेत्र को बढ़ाता हैं इसलिए फसल अधिक स्थान से जल ले पाते हैं |
  • मृदा उपचार –  50 किलो अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद/कम्पोस्ट/वर्मी कम्पोस्ट/खेत की मिट्टी में @ 4 किलो माइकोराइजा को मिला कर फिर यह मात्रा प्रति एकड़ की दर से फसल बुवाई/रोपाई से पहले मिट्टी में मिला दें।
  • बुआई के 25-30 दिन बाद खड़ी फसल में उपरोक्त मिश्रण का बुरकाव करें।

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Aphid of Cucumber

  • शिशु व वयस्क कोमल नाशपाती  के आकार के काले रंग के होते है । 
  • शिशु एवं वयस्को का समूह पत्तियों की निचली सतह पर चिपके हुये होते है, जो इनके ऊतको से रस चूसते है । 
  • ग्रसित भाग पीले होकर सिकुडकर मुड जाते है। अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती है व धारे-धीरे पौधा सूख जाता है। 
  • फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है। 
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर या पौधे के भागों के ऊपर मधुरस का स्त्राव किया जाता है, जिन पर सूटी फंगस का विकास हो जाता है,जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है। 
  • सूटी फंगस द्धारा ग्रसित फल अनाकर्षक होते है, जिनका मूल्य कम हो जाता है । 
  • प्रोफेनोफॉस 50% ईसी @ 400 मिली / एकड़ या
  • एसिटामिप्राइड 20% एसपी 40-80 ग्राम / एकड़ या
  • ऐसफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी @ 300 ग्राम / एकड़

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Control of Fusarium Wilt in Gram

चने में उकठा रोग के नियंत्रण के उपाय:-चने में उकठा रोग फ्यूजेरियम ओक्सीस्पोरस फफुद के कारण होता है गर्म व नमी वाला वातावरण इसके लिए अनुकूल होता है इस बीमारी के रोकथाम के लिए निम्न सावधानिया रखनी पड़ती है |:-

  • छ: वर्षीय फसल चक्र अपनाए|
  • मानसून में खेत की नमी को संरक्षित करे |
  • गहरी जुताई (6-7 इन्च) करके खेत को समतल करे |
  • रोग मुक्त बीज का प्रयोग करे |
  • रोग प्रतिरोधी किस्में लगाये|
  • कार्बोक्सीन 37.5 % + थायरम 37.5 % @ 3 ग्राम/किलो बीज या ट्रायकोडर्मा विरिडी @  ग्राम/किलो बीज से बीज उपचार करे|
  • जब तापमान अधिक हो जब बुआई ना करे| अक्टूबर के दुसरे व तीसरे सप्ताह में बुआई करे |
  • सिचाई नवम्बर-दिसम्बर में करे |
  • माइकोराइज़ा @ 4 किलो प्रति एकड़ 15 दिन की फसल में भुरकाव करें|
  • फूल आने से पहले थायोफिनेट मिथाईल 75% @ 300 ग्राम/एकड़ का स्प्रे करें|
  • फली बनते समय प्रोपिकोनाज़ोल 25% @ 125 मिली/ एकड़ का स्प्रे करें|

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Soil Preparation for Potato Cultivation

आलू की खेती के लिए मिट्टी की तैयारी:-

  • आलू की फसल के अच्छे कंद बनने के लिए अच्छी भुरभुरी जमीन की आवश्यकता होता हैं|
  • आलू को रबी फसल में लिया जाती है खरीफ फसल की कटाई के बाद 20-25 Cm गहरी जुताई करे और मिट्टी को पलटे|
  • इसके बाद 2-3 क्रास हैरो या 4-5 देशी हल से जुताई करनी |
  • एक या दो बार पाटा कर जमीन की सतह को समतल करना आवश्यक होता हैं|
  • बुआई के समय पर्याप्त नमी होना आवश्यक हैं|

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Why & how to apply FYM in soil?

  • देश भर में अधिकांश कृषि योग्य भूमि में 11% से 76% तक कार्बनिक कार्बन की कमी हैं | 
  • गोबर की खाद कार्बनिक कार्बन का एक अच्छा स्रोत है
  • मृदा जैविक कार्बन मिट्टी की उर्वरता का प्रमुख कारक है, जो पौधों की उचित बढ़वार के लिए, मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं। 
  • गोबर की खाद एक कार्बनिक खाद हैं, जो कृषि में उर्वरक की तरह उपयोग की जाती हैं यह खेत की उर्वरता को बढ़ाता हैं | औसत रूप से अच्छी खाद में 0.5% नाइट्रोजन, 0.2% फास्फोरस 0.5% पोटाश होता हैं।
  • यह सूक्ष्म पोषक तत्व एवं पादप पोषक तत्वों की मिट्टी में पूर्ति करते हैं तथा इन तत्वों की उपलब्धता को भी बढ़ाते हैं | 
  • यह मिट्टी के भौतिक गुणों जैसे, जल धारण क्षमता, सरंध्रता आदि में सुधार करते हैं।
  • विघटन के दौरान निकलने वाली कार्बन डाइऑक्साइड COएवं गर्मी मृदा में उपस्थित हानिकारक फफूंद तथा कीट आदि को नष्ट करती हैं |  
  • वर्षा के पानी के कारण लीचिंग की वजह से मिट्टी में मौजुद पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं | इसलिए अच्छी तरह से तैयार या पकी हुई खाद 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में जुताई से पहले ठीक तरह से मिला देना चाहिए।

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