आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन

आलू में पत्ति रोल विषाणु रोग का प्रबंधन:-

  • इस रोग का प्रबंधन वायरस मुक्त बीज का प्रयोग करके किया जा सकता है|
  • माहू मुक्त क्षेत्रो में बीज तैयार करे |
  • रोग वाहक माहू की जनसंख्या नियंत्रण के लिए उपयुक्त सम्पर्क/दैहिक कीटनाशको का प्रयोग करे|
  • माहू के प्रभावी नियंत्रण के लिए, एसिटामिप्रिड 20% एसपी @ 10 ग्रा / 15 लीटर पानी या इमिडेकलोप्रिड 17.8% एसएल @ 10 एमएल / 15 लीटर पानी का छिड़काव करे |

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भिन्डी में पीला शिरा रोग (यलो वेन मोजैक रोग ) का प्रबंधन

भिन्डी का पीला शिरा रोग (यलो वेन मोजैक रोग ) :-

  • यह बीमारी सफ़ेद मक्खी नामक कीट के कारण होती है|
  • यह बीमारी भिंडी की सभी अवस्था में दिखाई देती है|
  • इस बीमारी में पत्तियों की शिराएँ पीली दिखाई देने लगती हैं|
  • पीली पड़ने के बाद पत्तियाँ मुड़ने लग जाती हैं|
  • इससे प्रभावित फल हल्के पीले, विकृत और सख्त हो जाते है|

प्रबंधन:-

  • वायरस से ग्रसित पौधों और पौधों के भागों को उखाड़ के नष्ट कर देना चाहिए|
  • कुछ किस्मे जैसे परभणी क्रांति, जनार्धन, हरिता, अर्का अनामिका और अर्का अभय इत्यादि वायरस के प्रति सहनशील होती है|
  • पौधों की वृद्धि की अवस्था में उर्वरकों का अधिक उपयोग ना करें|
  • जहाँ तक हो सके भिंडी की बुवाई समय से पहले कर दें|
  • फसल में प्रयोग होने वाले सभी उपकरणों को साफ रखें ताकि इन उपकरणों के माध्यम से यह रोग अन्य फसलों में ना पहुँच पाए|
  • जो फसलें इस बीमारीं से प्रभावित होती है उन फसलों के साथ भिंडी की बुवाई ना करें|
  • सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण के लिए 4-5 चिपचिपे प्रपंच/एकड़ उपयोग कर सकते है|
  • डाइमिथोएट 30% ई.सी. 250  मिली /एकड़ पानी मे घोल बना कर स्प्रे करें|
  • इमिडाइक्लोप्रिड 17.8% SL 80 मिली /एकड़ की दर से स्प्रे करें|

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भिन्डी में सिंचाई प्रबन्ध

भिन्डी में सिंचाई प्रबन्ध :-

  • पहली सिंचाई पत्तियो के निकलते समय करना चाहियें |
  • गर्मी में 4-5 दिन के अन्तराल से सिंचाई करनी चाहियें|
  • यदि तापमान 400C हो तो हल्की सिंचाई करते रहना चाहियें, जिससे मिट्टी में नमी रहे एवं फल अच्छे से आये|
  • पानी का जमाव या पौधो को मुरझाने से रोकना चाहियें|
  • ड्रिप सिंचाई पद्धति के व्दारा 85% तक पानी की बचत की जा सकती है|
  • फल/बीजो को बनाते समय सूखे की स्थिति में फसल को 70% तक की हानि होती है|

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करेला में लाल कीट का नियंत्रण

  • गहरी जुताई करने से भूमि के अन्दर उपस्थित प्यूपा या ग्रब ऊपर आ जाते है सूर्य की किरणों में मर जाते है |
  • बीजो के अंकुरण के बाद पौध के चारों तरफ भूमि में कारटाप हाईड्रोक्लोराईड 3 G दाने डाले|
  • बीटल को इकट्ठा करके नष्ट करें|
  • फसल में 2 किग्रा बिवेरिया बेसियाना + (साइपरमैथ्रिन 4% ईसी + प्रोफेनोफॉस 40% ईसी) @ 400 एमएल/एकड़ के हिसाब से स्प्रे करें
  • फसल को 2 किलोग्रामबिवेरिया बेसियाना + (लैम्ब्डा साइहलोथ्रिन 4.9% सीएस )@ 200 मि.ली./एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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करेला के लाल कीट की पहचान

  • अंडे से निकले हुये ग्रब जड़ो, भूमिगत भागो एवं जो फल भूमि के संपर्क में रहते है उनको खाता है|
  • इन प्रभावित पौधे के खाये हुए जड़ो एवं भूमिगत भागों पर मृतजीवी फंगस का आक्रमण हो जाता है जिसके फलस्वरूप अपरिपक्व फल व लताएँ सुख जाती है|
  • बीटल पत्तियों को खाकर उनमे छेद कर देते है |
  • पौध अवस्था में बीटल का आक्रमण होने पर मुलायम पत्तियों को खाकर हानि पहुचाते है जिसके कारण पौधे मर जाते है |
  • संक्रमित फल मनुष्य के खाने योग्य नहीं रहते है | 
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प्याज में कंद के फटने से सम्बंधित रोग का नियंत्रण

    • एक समान सिंचाई और उर्वरकों की मात्रा उपयोग करने से कंदों को फटने से रोका जा सकता है|

 

  • धीमी वृद्धि करने वाले प्याज की किस्मों का उपयोग करने से इस विकार को कम कर सकते है|

 

 

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प्याज में कंद के फटने से सम्बंधित रोग की पहचान

  • कंद फटने के प्रथम लक्षण  पौधे के आधार पर दिखाई देते है |
  • प्याज़ के खेत में अनियमित सिंचाई के कारण इस विकार में वृद्धि होती है|
  • खेत में ज्यादा सिंचाई, के बाद में पुरी तरह से सूखने देने एवं अधिक सिंचाई दोबारा करने के कारण कंद फटने लगते है|
  • कंद के फटने के कारण कंदों में मकड़ी (राईज़ोफ़ाइगस प्रजाति) चिपक जाती है|
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मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग का नियंत्रण

  • स्वस्थ बीजों का उपयोग करें एवं बुवाई से पहले कार्बेन्डाजिम  + मेंकोजेब @ 250 ग्राम/ क्विन्टल बीज से बीजोपचार करें।
  • रोग ग्रस्त पौधों पर फूलों के आने पर मैनकोजेब 75% @ 400 ग्राम/एकड़ का छिड़काव करें एवं 10-15 दिन के अंतराल से पुनः  छिड़काव करें ।
  • थायोफनेट मिथाइल 70% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम/एकड़ के हिसाब से छिड़काव करें| या 
  • क्लोरोथ्रोनिल 75% WP @ 250 ग्राम/एकड़  छिड़काव करें।
  • रोगग्रस्त पौधों को निकालकर नष्ट करें ।  
  • जल निकास की उचित व्यवस्था  करें ।
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मटर में अंगमारी (झुलसा) और पद गलन रोग की पहचान

  • पत्तियों पर गहरे भूरे किनारे वाले गोल कत्थई से लेकर भूरे रंग के धब्बे पाये जाते है ।  
  • तनों पर बने विक्षत धब्बे लंबे, दबे हुये एवं बैगनी-काले रंग के होते है ।  
  • ये विक्षत बाद में आपस में मिल जाते है और पूरे तने को चारों और से  घेर लेते है । 
  • फलियों पर लाल या भूरे रंग के अनियमित धब्बे दिखाई देते है ।
  • रोग की गंभीर अवस्था में  पौधे का तना कमजोर होने लगता है | 
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जाने कुसुम योजना के तहत सब्सीडी कैसे मिलेगी

  • कुसुम योजना के तहत सौर पैनल लगाने के लिए, किसानों को उपकरणों की कुल लागत का 10 प्रतिशत का भुगतान करना होता है। 
  • शेष राशि में से 30 प्रतिशत का भुगतान केंद्र सरकार द्वारा सब्सिडी के रूप में किया जाएगा जबकि 30 प्रतिशत राज्य सरकार द्वारा। 
  •  शेष 30 प्रतिशत के लिए, किसान बैंकों से ऋण ले सकते हैं। सरकार भी किसानों को बैंकों से ऋण लेने में मदद करती है।
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