सरसो की फसल में आरा मक्खी की पहचान

  • यह एक महत्वपूर्ण  कीट हैं जो की सरसो की फसल को क्षति पहुँचता हैं 
  • व्यस्क कीट  का रंग नारंगी तथा उसके सर का रंग काला होता हैं | 
  • सरसो का यह कीट पत्तियों को खाता हैं |  
  • सरसों का यह कीट कभी-कभी पत्ती के पूरे हरे भाग को खा जाता हैं एवं केवल शिराये बचती हैं| 
  • यह कीट समान्यतः अक्टूबर तथा  नवम्बर महीने में दिखाई देता हैं | 
  • अधिक ठण्ड में ये कीट नहीं दिखते |
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गेहूँ की फसल में श्यामवर्ण रोग की रोकथाम

  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
  • कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या
  • थायोफेनेट मिथाइल 300 70% Wp मिली /एकड़ का छिड़काव करें|
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गेंहू में ब्लास्ट रोग की पहचान

  • प्रभावित पौधे की पत्ती के ऊपर हल्के हरे से भूरे रंग के केंद्रों वाले आँख के आकार के धब्बे दिखाई देते है |  
  • रोग की शुरुआती अवस्था में प्रभावीत बाली का भाग रंगहीन दिखाई देता है | 
  • रोग की गंभीर अवस्था में सम्पूर्ण बाली तथा तना रंगहीन व सूखा हुआ दिखाई देता है|  
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मटर की फसल में श्यामवर्ण रोग की रोकथाम

  • रोग रहित प्रमाणित बीजों का उपयोग करें।
  • रोग ग्रसित खेत में कम से कम दो वर्ष तक मटर  न उगाये।
  • रोग ग्रसित पौधों को निकाल कर नष्ट करें।
  • बीज को कार्बोक्सिन 37.5 + थायरम  37.5 @ 2.5 ग्राम / किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें|
  • कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या
  •  कीटाजिन  48.0 w/w 400  मिली /एकड़ का छिड़काव करें|
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मटर की फसल में श्याम-वर्ण रोग की रोकथाम

  • मटर  की पत्तियाँ, तने व फलियाँ इस रोग के संक्रमण से प्रभावित होती हैं।
  • छोटे-छोटे लाल-भूरे रंग के धब्बे फलियों पर बनते है व शीघ्रता से बढ़ते हैं |
  • आर्द्र मौसम में इन धब्बों पर गुलाबी रंग के जीवणु पनपते हैं।
  • गंभीर संक्रमण के दौरान पत्ती की निचली सतह पर शिरा के मध्य का भाग काले रंग का दिखाई देता है|  
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गेहूँ में कण्डुआ रोग का प्रबंधन

  • यह रोग फफूंद से होता है |
  • इसके लक्षण 10-14 दिनों में दिखने लग जाते है
  • यह फफूंद पत्तियों के ऊपरी सतह से शुरू होकर तनों पर लाल-नारंगी रंग के धब्बे बनता है | यह धब्बे 1.5 एम.एम.के अंडाकार आकृति के होते है|
  • यह रोग 15 -20°से.ग्रे. तापमान पर फैलता है
  • इसके बीजाणु विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा, बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचते है |

नियंत्रण-

  • फसल चक्र अपनाना चाहिए|
  • रोग प्रति-रोधी किस्मों की बुवाई करें |
  • बीज या उर्वरक उपचार बुवाई के चार सप्ताह तक कण्डुआ को नियंत्रित कर सकता है और उसके बाद इसे दबा सकते है।
  • एक ही सक्रिय घटक वाले कवकनाशी का बार-बार उपयोग नहीं करें।
  • कासुगामाईसिन 5% +कॉपर ऑक्सीक्लोरिड 45% डब्लू.पी. 320 ग्राम/एकड़ या प्रोपिकोनाज़ोल 25% ई.सी. 240 मिली /एकड़ का छिड़काव करें|

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गेहूँ में भूरा गेरुआ रोग की पहचान

  • यह रोग फफूंद से होता है | 
  • इसके लक्षण 10-14 दिनों में दिखने लग जाते है
  • यह फफूंद पत्तियों के ऊपरी सतह से शुरू होकर तनों पर लाल-नारंगी रंग के धब्बे बनता है | यह धब्बे 1.5 एम.एम.के अंडाकार आकृति के होते है|
  • यह रोग 15 -20°से.ग्रे. तापमान पर फैलता है
  • इसके बीजाणु विभिन्न माध्यमों जैसे- हवा, बरसात और सिंचाई के द्वारा एक स्थान से दूसरे स्थान पहुँचते है |
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लहसुन में खाद एवं उर्वरको का प्रयोग

लहसुन लगभग सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जा सकती है| रेतीली, गादी और चिकनी मिट्टी खेती के लिए सर्वोत्तम होती है, हालांकि यह भारी मिट्टी में भी उगाई जा सकती है। भारी मिट्टी में लहसुन मेड बनाकर लगाना चाहिए। मिट्टी को अच्छी तरह से सूखा होना चाहिए और विकास के दौरान अच्छी नमी होनी चाहिए। आदर्श पीएच 6 – 7.5 होता है, प्रारंभिक पौधे के विकास के लिए नाइट्रोजन उर्वरक @ 40 कि.ग्रा/एकड़ देना चाहिए, फॉस्फोरस @ 20 किग्रा / एकड़ बेहतर जड़ों के लिए देना चाहिए, पोटेशियम @ 20 किग्रा / एकड़ पत्ती के विकास और बल्ब गठन के लिए महत्वपूर्ण होता है। लहसुन में सल्फर @ 8 किग्रा / एकड़ पौधा बाहर निकलते समय  और पत्तियों का विकास शुरू होने के बाद दिया जाना चाहिए। मिट्टी की तैयारी के समय 4 – 6 टन/एकड़ गोबर की खाद भी देनी चाहिए।

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भिन्डी में खरपतवार नियंत्रण

  • बुवाई से पहले गहरी जुताई करे।
  • फसल चक्र अपनाये कोई भी सकरी घास कूल या छोटे दाने वाली फसल लगाये|
  • 2-3 बार निराई गुड़ाई करे बुवाई के 20,40 और 60 दिन में।
  • बुआई के बाद ऑक्सीफ्लोरफेन 23.5 ई.सी. @ 200 मिली/एकड़ अंकुरण के पूर्व स्प्रे करे|
  • पेंडीमेथलीन 30% ईसी @ 700 मिली प्रति एकड़ बुवाई के 3 दिन बाद स्प्रे करे|
  • सकरी पत्तियाँ वाले खरपतवारों के लिए 2 -3 पत्ती अवस्था पर प्रोपाक्विजाफाप 10 % ईसी @ 400 मिली प्रति एकड़ का स्प्रे करें|

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टमाटर में खाद और उरर्वकों मात्रा

  • टमाटर की अच्छी उपज के लिये उर्वरक की आवश्यकता अधिक होती है।
  • रोपण के एक माह पहले गोबर की खाद को 8-10 टन प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाया जाता है।
  • डीएपी 50 किलो/एकड़, युरिया 80 किलों प्रति एकड़ एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश 33 किलो /एकड़
  • पौध रोपण के पहले  युरिया की आधी मात्रा और डीएपी एवं म्यूरेट ऑफ पोटाश की पूर्ण मात्रा खेत में मिलाया जाता है।
  • पौध रोपण के 20-25 दिनों के उपरांत युरिया की दूसरी मात्रा एवं तीसरी मात्रा 45-60 दिनों में देना चाहिये।
  • जिंक सल्फेट 10 किलो/एकड़ एवं बोरॉन 4 किलो/एकड़ की मात्रा उपज में वृद्धि के साथ फलों की गुणवत्ता को बेहतर बनाता है।

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