लहसुन की फसल में ऐसे करें थ्रिप्स का प्रबंधन थ्रिप्स छोटे एवं कोमल शरीर वाले कीट होते हैं जो पत्तियों की ऊपरी सतह एवं अधिक मात्रा में पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते हैं।
अपने तेज मुखपत्र के साथ ये पत्तियों, कलियों एवं फूलों का रस चूसते हैं। इनके प्रकोप के कारण पत्तियां किनारों पर भूरे रंग की हो जाती हैं।
प्रभावित पौधे की पत्तियां सुखी एवं मुरझाई हुई दिखाई देती हैं, या पत्तिया विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर मुड़ जाती हैं।
थ्रिप्स के नियंत्रण के लिए रसायनों को अदल बदल करके ही उपयोग करना आवश्यक होता है।
थ्रिप्स के प्रकोप के निवारण के लिए फिप्रोनिल 5% SC @ 400मिली/एकड़ या लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% CS @ 200 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG@ 40 ग्राम/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़ या स्पिनोसेड 45% SC @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना@ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।