खीरे की फसल को माहू के प्रकोप से कैसे बचाएं?

  • माहु कीट के शिशु व वयस्क रूप कोमल नाशपाती के आकार के तथा काले रंग के होते हैं।
  • इसके शिशु एवं वयस्क रूप समूह में पत्तियों की निचली सतह पर चिपके रहते हैं, जो पत्तियों का रस चूसते हैं।
  • इस कीट से ग्रसित भाग पीला होकर सिकुड़ जाता है और मुड़ जाता है। 
  • इसके अत्यधिक आक्रमण की अवस्था में पत्तियाँ सूख जाती हैं व धीरे-धीरे पूरा पौधा सूख जाता है।
  • इसके कारण फलों का आकार एवं गुणवत्ता कम हो जाती है।
  • माहू के द्वारा पत्तियों की सतह पर मधुरस का स्त्राव किया जाता है जिससे फंगस का विकास हो जाता है, जिसके कारण पौधे की प्रकाश संश्लेषण की क्रिया प्रभावित होती है, और अंततः पौधे की वृद्धि रूक जाती है।
  • इससे बचाव के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8% SL@ 100 मिली/एकड़ या एसीफेट 75% SP@ 300 ग्राम/एकड़ या एसिटामिप्राइड 20% SP @ 200  ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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