मिर्च की फसल में थ्रिप्स का प्रबंधन

  • मिर्च की फसल में जब पहली मानसूनी बारिश हो जाती है तब रस चूसक कीटों का  प्रकोप शुरू होने लगता है यह कीट पत्तियों का रस चूसते हैं वे अपने तेज मुखपत्र के साथ पत्तियों एवं कलियों का रस चूसते हैं।
  • इसके कारण पत्तियां किनारों पर भूरी हो सकती हैं, या विकृत हो सकती हैं और ऊपर की ओर कर्ल कर सकती हैं। इस कारण पत्तियां मुरझा जाती हैं और पौधे की बढ़वार पूरी तरह रुक जाती हैं यह वायरस के भी फैलने का कारण बनते हैं।
  • इन कीटों में मुख्य रूप से थ्रिप्स का प्रकोप बहुत अधिक होता है।
  • इन कीटों के प्रबंधन के लिए निम्र रसायनों का उपयोग लाभकारी  होता है। 
  • इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एस.एल.@ 100 मिली/एकड़, या थायमेंथाक्साम 25% WG@ 100 ग्राम/एकड़, या  
  • ऐसीफेट 50% + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% SP@300 ग्राम/एकड़ या एसिटामेप्रीड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
  • लैंबडा सायलोथ्रिन 4.9% CS @ 300 मिली/एकड़ या फिप्रोनिल 5% SC @ 400 मिली/एकड़।
  • प्रोफेनोफोस 50% EC @ 400 मिली/एकड़ या  एसिटामिप्रिड 20% SP@ 100 ग्राम/एकड़। 
  • मेट्राज़ियम @1 किलो/एकड़ या बवेरिया बेसियाना 250 ग्राम/एकड़ की दर से करें।
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