सोयाबीन की फसल में उकटा या उतसुक रोग का प्रबंधन कैसे करें?

  • सोयाबीन की फसल में होने वाला उकटा रोग एक मृदाजनित रोग है।  
  • अन्य बीमारियों एवं उकटा रोग में अंतर करना मुश्किल हो सकता है।
  • यह रोग प्रारंभिक वनस्पति विकास के दौरान ठंडे तापमान और गीली मिट्टी के कारण होता है। इसके प्रारंभिक प्रजनन चरणों के दौरान पौधे संक्रमित होते हैं, लेकिन इसके लक्षण बाद में दिखाई देते हैं।
  • विल्टिंग के कारण जड़ों और तने में भूरे रंग का मलिनकिरण हो जाता है, और पत्तियां क्लोरोटिक हो जाती हैं। इस रोग के निवारण के लिए मिट्टी उपचार करना, एवं बीज उपचार बहुत आवश्यक होता है।
  • इस रोग के निवारण के लिए कवकनाशी का उपयोग किया जाता है।
  • इसके लिए प्रोपिकोनाज़ोल 25% EC या कसुगामाइसिन 5% + कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या थियोफिनेट मिथाइल 70% WP 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें। 
  • जैविक उपचार में ट्राइकोडर्मा विरिडी@ 500ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास  फ्लोरोसेंस 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें। 
  • अधिक समस्या होने पर डीकंपोजर का भी उपयोग कर सकते है। इसका उपयोग खाली खेत में फसल बुआई से पहले करें।  
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