करेले में फल मक्खी के प्रकोप का ऐसे करें प्रबंधन

फल मक्खी के मेगट (लार्वा) फलों में छेंद करने के बाद उनका रस चूसते हैं। इनसे ग्रसित फल खराब होकर गिर जाते हैं। मक्खी प्रायः कोमल फलों पर ही अण्डे देती है। मक्खी अपने अंडे देने वाले भाग से फलों में छेंद करके उन्हे हानि पहुचाती है। इन छेदों से फलों का रस निकलता हुआ दिखाई देता है। अंततः छेद ग्रसित फल सड़ने लगते हैं। मेगट फलों में छेद कर गुदा एवं मुलायम बीजों को भी खाते हैं जिसके कारण फल परिपक्व होने के पहले हीं गिर जाते हैं।

करेले में फल मक्खी का प्रबंधन

ग्रसित फलों को इकठ्ठा करके नष्ट कर दें। अंडे देने वाली मक्खी की रोकथाम करने के लिए खेत में प्रकाश प्रपंच या फेरोमोन ट्रैप लगाएं, इस प्रकाश प्रपंच में मक्खी को मारने के लिए 1% मिथाइल इंजीनाँल या सिनट्रोनेला तेल या एसीटिक अम्ल या लेक्टीक एसिड का घोल बनाकर रखें। परागण की क्रिया के तुरंत बाद तैयार होने वाले फलों को पॉलीथीन या पेपर के द्वारा लपेट देना चाहिए। इन मक्खीयों को नियंत्रित करने के लिए करेले के खेत में कतारों के बीच में मक्के के पौधों को उगाया जाना चाहिए, इन पौधों की ऊँचाई ज्यादा होने के कारण मक्खी पत्तों के नीचे अंडे देती है। गर्मी के दिनों में गहरी जुताई करके भूमि के अंदर सुप्त अवस्था में रहने वाली मक्खी को नष्ट करना चाहिए। फ्लुबेंडियामाइड 8.33% + डेल्टामेथ्रिन 5.56% w/w SC @ 100-125 मिली/एकड़ का उपयोग कर इसका नियंत्रण किया जा सकता है।

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