साइट्रस सिल्ला: इस कीट के वयस्क और निम्फ दोनों ही अवस्था कलियों, पत्तियों, शाखाओं के कोमल भागों से रस चूसते हैं और उनमें विषैला पदार्थ को इंजेक्ट करते हैं। निम्फ सफ़ेद क्रिस्टलीय पदार्थ उत्सर्जित करते हैं, जिस पर काला धब्बेदार सांचा विकसित हो सकता है, जो पौधों के प्रकाश संश्लेषक क्षेत्र को कम करता है। अधिक संक्रमण में पत्तियां विकृत हो जाती हैं और ऊपर की ओर सिकुड़ जाती हैं। साथ ही यह कीट साइट्रस ग्रीनिंग रोग फ़ैलाने के लिए वेक्टर बनता है।
प्रबंधन: इसके नियंत्रण के लिए संक्रमण दिखाई देते ही, थियानोवा 25 (थायोमिथाक्साम 25% डब्लू जी) @ 40 ग्राम प्रति एकड़ या मिडिया ( इमिडाक्लोप्रिड 17.80% एस एल) 20 मिली प्रति एकड़ के दर से छिड़काव करें।
साइट्रस लीफ माइनर: यह कीट नर्सरी और बगीचा दोनों में नुकसान पहुंचाता है। इसकी इल्लियां कोमल पत्तियों पर हमला करती हैं और पत्तियों पर सर्पीली रेखाएं बनाकर पत्तियों को खाती हैं। प्रभावित पत्तियां हलके पीले रंग की हो जाती हैं और विकृत होकर नीचे गिर जाती हैं। इस कीट के संक्रमण से साइट्रस कैंकर रोग के विकास को बढ़ावा मिलता है।
प्रबंधन: इस कीट के नियंत्रण के लिए, पौधों की सभी प्रभावित भागों की छटाई की जानी चाहिए। संक्रमण बढ़ने पर मिडिया ( इमिडाक्लोप्रिड 17.80% एस एल) 20 मिली या प्रोफेनोवा सुपर (प्रोफेनोफोस 40% + सायपरमेथ्रिन 4% इसी) 2 मिली प्रति लीटर पानी के दर से छिड़काव करें।
माहु: इस कीट के निम्फ और वयस्क स्वरूप कोमल पत्तियों एवं शखाओं से रस चूसते हैं। प्रभावित पत्ते पीले, रूखे और विकृत होकर सूख जाते हैं। पौधों की वृद्धि रुक जाती है और इसके मावा द्वारा उत्सर्जित हनीड्यू पर सूटी मोल्ड का उत्पादन हो जाता है। यदि संक्रमण फूल अवस्था के दौरान होता है, तो इसके परिणाम से फल कम बनते हैं।
प्रबंधन: इसके नियंत्रण के लिए प्रकोप दिखाई देते ही, टफगोर (डायमेथोएट 30% इसी) @ 594 मिली प्रति एकड़ या मिडिया ( इमिडाक्लोप्रिड 17.80 % एस एल) @ 20 मिली प्रति एकड़ के दर से छिड़काव करें।
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