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किसान भाइयों ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई फरवरी से 10 अप्रैल तक कर सकते हैं। वहीं खरीफ के मौसम में जून जुलाई माह इसकी बुवाई के लिए उपयुक्त रहता है।
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बुवाई में देरी होने से उच्च तापमान एवं गर्म हवाएं मूंग के फूल एवं फली अवस्था पर विपरीत प्रभाव डालती है, फलस्वरूप पैदावार कम होती है।
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इसी प्रकार देर से बोई गई फसल के परिपक्व होने के साथ ही समय से पूर्व आ जाने वाली मानसूनी वर्षा पत्तों से संबंधित अनेक बीमारियों का कारण बनती है।
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ग्रीष्मकालीन मूंग गेहूँ कटाई के बाद बिना जुताई के फसल अवशेषों की उपस्थिति में भी हैप्पी सीडर द्वारा बोई जा सकती है।
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यदि खेत में गेहूँ के अवशेष ना हो तो जीरो टिल ड्रिल से बुवाई की जा सकती है।
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जीरो टिलेज द्वारा समय, धन, ऊर्जा तीनों की बचत होती है।
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