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किसान भाइयों जैसे – जैसे तापमान में बढ़ोतरी होती है वैसे -वैसे इस पाउडरी मिल्ड्यू रोग का प्रकोप बढ़ता जाता है।
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आमतौर पर यह रोग पत्तियों को प्रभावित करता हैं। पत्तियों की ऊपरी एवं निचली सतह पर सफेद रंग का चूर्ण दिखाई देता है l
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समाधान – इस रोग के प्रकोप को शुरुआती अवस्था में ही नियंत्रित करने से अच्छा परिणाम देखने को मिलता है।
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खेत में खरपतवार ना होने दे एवं प्रकोप अधिक होने की स्थिति में प्रभावित पौधों को खेत से निकाल कर नष्ट कर दें।
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इस रोग के रासायनिक प्रबंधन के लिए कस्टोडिया (एज़ोक्सिस्ट्रोबिन 11% + टेबुकोनाज़ोल 18.3% एससी) @ 300 मिली या इंडेक्स (मायक्लोबुटानिल 10% डब्ल्यूपी) @ 100 ग्राम या करसर (फ्लुसिलाज़ोल 40% ईसी) @ 60 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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जैविक प्रबंधन में कॉम्बेट (ट्रायकोडर्मा विरिडी) @ 500 ग्राम + मोनास कर्ब (स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस) @ 250 ग्राम प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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ध्यान रखें इस रोग के लिए एक ही कवकनाशी का उपयोग बार – बार नहीं करना चाहिए। कवकनाशी बदल- बदल कर उपयोग करना चाहिए।
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