-
भिंडी की फसल में रस चूसक कीट जैसे माहू, हरा तेला, मकडी, सफेद मक्खी आदि का आक्रमण सामान्यतः दिखाई देता है।
-
इन सभी रस चूसक कीटों के निम्फ तथा प्रौढ़ दोनों ही भिंडी के पौधों के कोमल भागों, फूलों-पत्तियों से रस चूसते है। जिससे पौधों की बढ़वार रुक जाती है, पत्तियां मुरझा जाती है तथा पीली पड़ जाती है, अधिक आक्रमण होने पर तो पत्तियां गिर भी जाती है।
-
संक्रमित भाग पर ये कीट एक चिपचिपा पदार्थ भी स्त्रावित करते है, जिससे फफूंद का संक्रमण बढ़ सकता है एवं प्रकाश संश्लेषण क्रिया में बाधा आती है।
-
इनमें से सफेद मक्खी भिंडी के प्रमुख विषाणु जनित रोग पीला शिरा मोजेक वायरस को फैलाने में भी सहायक होती है।
-
माहू/हरा तेला नियंत्रण के लिए:- एसीफेट 50 % + इमिडाक्लोप्रिड 1.8% एसपी @ 400 ग्राम या एसिटामिप्रीड 20 % एसपी @ 100 ग्राम या इमिडाक्लोप्रिड 17.8% एसएल @ 100 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
-
सफेद मक्खी नियंत्रण के लिए:- डायफैनथीयुरॉन 50% डब्ल्यूपी @ 250 ग्राम या फ्लोनिकामिड 50% डब्ल्यूजी @ 60 ग्राम या एसिटामिप्रीड 20 % एसपी @ 100 ग्राम/एकड़ की दर छिड़काव करें।
Shareफसल की बुआई के साथ ही अपने खेत को ग्रामोफ़ोन एप के मेरे खेत विकल्प से जोड़ें और पूरे फसल चक्र में पाते रहें स्मार्ट कृषि से जुड़ी सटीक सलाह व समाधान। इस लेख को नीचे दिए गए शेयर बटन से अपने मित्रों संग साझा करें।