सोयाबीन में होगा गर्डल बीटल का प्रकोप, जानें रोकथाम के उपाय

गर्डल बीटल कीट की मादा तने के अंदर अंडे देती है एवं जब अंडे से इल्ली निकलती है तो वो तने को अंदर से खाकर कमजोर कर देती है। इसके कारण, तना खोखला हो जाता है, पोषक तत्व पत्तियों तक नहीं पहुंच पाते है एवं पत्तियां मुरझाकर सूख जाती हैं। फसल के उत्पादन में भी काफी कमी हो जाती है।

यांत्रिक प्रबंधन: गर्मियों में खाली खेत की गहरी जुताई करें। अधिक घनी फसल ना बोयें। अधिक नाइट्रोजन युक्त उर्वरक का उपयोग ना करें, यदि संक्रमण बहुत अधिक हो तो उचित रसायनों का उपयोग करें।

रासायनिक प्रबंधन: लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 4.9% EC @ 200 मिली/एकड़ या बीटासायफ्लूथ्रिन 8.49% + इमिडाक्लोप्रिड 19.81 OD% @ 150 मिली/एकड़ प्रोफेनोफोस 40% + साइपरमेथ्रिन 4% EC @ 400 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC @ 80 मिली/एकड़, फिप्रोनिल 40% + इमिडाक्लोप्रिड 40% WG @ 40 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

जैविक प्रबंधन: बवेरिया बेसियाना @ 500 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।

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