रूट गांठ निमेटोड की मादा जड़ के अंदर या जड़ के ऊपर अंडे देती है।
इन अण्डों से निकले नवजात जड़ की ओर आ जाते हैं और जड़ की कोशिकाओं को खा कर जड़ों में गांठ का निर्माण करते हैं।
सूत्रकृमि से ग्रसित पौधों की वृद्धि रुक जाती है एवं पौधा छोटा ही रहता है।
पत्तियों का रंग हल्का पीला हो जाता है।
अधिक संक्रमण होने पर पौधा सूख कर मर जाता है।
इसके नियंत्रण के लिए ग्रीष्म ऋतु में भूमि की गहरी जुताई करें।
नीम की खली का 80-100 किलो प्रति एकड़ की दर से उपयोग करें।
पेसिलोमायसीस लिनेसियस 1% डब्लू पी की 2-4 किलो प्रति एकड़ के हिसाब से अच्छे से सड़ी हुई गोबर की खाद में मिला कर खेत की तैयारी के समय उपयोग कर के भी रूट गाँठ निमेटोड का प्रभावी नियंत्रण किया जाता है।