गेहूँ की फसल में दीमक के प्रकोप की पहचान, लक्षण एवं प्रबंधन

  • दीमक पोलीफेगस कीट होता है और यह सभी फसलों को नुकसान पहुँचाता है।
  • गेहूँ की फसल में भी दीमक के कारण बहुत नुकसान होता है।
  • दीमक गेहूँ के अंकुरित पौधों को चट कर जाती हैं।
  • यह कीट जमीन में सुरंग बनाकर पौधों की जड़ों को खाते हैं। इसके प्रकोप अधिक होने पर ये तने को भी खाते हैं।
  • इस कीट का वयस्क मोटा होता है, जो धूसर भूरे रंग का होता है।
  • यह कीट दरारों या गिरी हुई पत्तियों के नीचे छिप जाते हैं और रात में तने और पत्तियों का नरम हिस्सा खाते हैं।
  • जिस खेत में कच्ची खाद का उपयोग किया जाता है वहाँ दीमक का प्रकोप बहुत ज्यादा होता है।
  • बुआई के पहले खेत में गहरी जुताई करें।
  • खेत में अच्छी सड़ी हुई खाद का ही उपयोग करें।
  • इसके नियंत्रण के लिए क्लोरपायरीफोस 50% EC@ 500 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव के रूप में उपयोग करें या कारटॉप हाइड्रोक्लोराइड 4% GR@ 7.5 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार के रूप में उपयोग करें।
  • इसके अलावा क्लोरोपायरीफोस 20% EC @ 1 लीटर/एकड़ को किसी भी उर्वरक के साथ मिलाकर जमीन से दें और सिंचाई कर दें।
  • जैविक उपचार के रूप में बवेरिया बेसियाना @ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
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