इसके कारण पत्तियों पर सफेद टेढ़ी मेढ़ी धारियां बन जाती हैं। यह धारियाँ इल्ली के द्वारा पत्ती के अंदर सुरंग बनाने के कारण बनती हैं।
इसके कारण पौधे की बढ़वार रुक जाती है एवं पौधे छोटे रह जाते हैं।
इस कीट से ग्रसित पौधों में फल एवं फूल लगने की क्षमता पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है।
इससे बचाव के लिए एबामेक्टिन 1.9% EC @ 150 मिली/एकड़ या प्रोफेनोफोस 50% EC @ 500 मिली/एकड़ या थियामेंथोक्साम 12.6% + लैम्ब्डा साइहेलोथ्रिन 9.5% ZC@ 80मिली/एकड़ या सायनट्रानिलीप्रोल 10.26% OD@ 250 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।