मटर के विकसित कोपल एवं पत्तियों के किनारों का मुड़ जाना इस रोग का प्रथम एवं मुख्य लक्षण है।
इसके कारण पौधों के ऊपर के हिस्से पीले हो जाते हैं, कलिका की वृद्धि रुक जाती है, तने एवं ऊपर की पत्तियां अधिक कठोर, जड़ें भंगुर व नीचे की पत्तियां पीली होकर झड़ जाती हैं।
पूरा पौधा मुरझा जाता है व तना नीचे की और सिकुड़ जाता है। आखिर में गोल घेरे में फसल सूख जाती है।
इसके रासायनिक उपचार हेतु कासुगामायसिन 5% + कॉपर आक्सीक्लोराइड 45% WP@ 300 ग्राम/एकड़ या कासुगामायसिन 3% SL@ 400 मिली/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
इसके जैविक उपचार के लिए मिट्टी उपचार के रूप मायकोराइजा @ 4 किलो/एकड़ या ट्राइकोडर्मा विरिड@ 1 किलो/एकड़ की दर से मिट्टी उपचार करें।
स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।