आलू की फसल में अगेती अंगमारी रोग का नियंत्रण

  • यह रोग आल्तेरनेरिया सोलेनाई नामक फफूंदी के कारण लगता है।
  • यह रोग कंद निर्माण से पहले ही लग सकता है नीचे वाली पत्तियों पर सबसे पहले प्रकोप होता है जहाँ से रोग बाद में ऊपर कि ओर बढ़ता है।
  • पत्तियों पर गोल अंडाकार या छल्ले युक्त धब्बे बन जाते हैं जो भूरे रंग के होते हैं।
  • इन धब्बों का आकार धीरे-धीरे बढ़ने लगता है जो बाद में पूरी पत्ती को ढक लेता है और आखिर में रोगी पौधा मर जाता है।
  • इसके नियंत्रण के लिए मैनकोज़ेब 75% WP@ 600 ग्राम/एकड़ या कार्बेन्डाजिम 12% + मैनकोज़ेब 63%@ 300 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • थायोफिनेट मिथाइल 70% W/W@ 300 ग्राम/एकड़ या क्लोरोथालोनिल 75% WP@ 400 ग्राम/एकड़ की दर से उपयोग करें।
  • जैविक उपचार के रूप में ट्रायकोडर्मा विरिडी @ 500 ग्राम/एकड़ या स्यूडोमोनास फ्लोरोसेंस@ 250 ग्राम/एकड़ की दर से छिड़काव करें।
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