- सोयाबीन की उपज बढ़ाने में सोया समृद्धि किट महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
- सोया समृद्धि किट में ट्राइकोडर्मा विरिडी, पोटाश एवं फास्फोरस के जीवाणु, राइज़ोबियम बैक्टीरिया, ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा जैसे जैविक उत्पाद है।
- इस किट में उपस्थित ट्राइकोडर्मा विरिडी मिट्टी में पाए जाने वाले अधिकांश हानिकारक कवकों की रोकथाम में सक्षम है। यह 4 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 2 किलो प्रति एकड़ मिट्टी उपचार में काम आता है।
- इस किट का दूसरा उत्पाद दो अलग अलग सूक्ष्म जीवाणुओं का मिश्रण है जो सोयाबीन की फसल में पोटाश एवं फास्फोरस की उपलब्धता बढ़ाता है एवं उत्पादन वृद्धि में भी सहायक है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- इस किट का तीसरा उत्पाद में राइज़ोबियम बैक्टीरिया होते है जो सोयाबीन की फसल में जड़ों में गांठे बनाता है जिससे वायुमंडल में उपस्थित नाइट्रोजन स्थिर हो कर फसल को उपलब्ध होती है। यह 5 ग्राम प्रति किलो बीज उपचार के लिए तथा 1 किलो की मात्रा प्रति एकड़ काम में ली जाती है।
- किट का अंतिम उत्पाद में ह्यूमिक एसिड, एमिनो एसिड, समुद्री शैवाल और माइकोराइजा तत्वों का खजाना होता है। यह 2 किलो प्रति एकड़ की दर से मिट्टी में उपयोग किया जाता है।
- सोया समृद्धि किट की 7 किलो (जिसमें उपरोक्त सभी जैविक उत्पाद सम्मलित है) को 4 टन अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद में अंतिम जुताई के समय या बुआई से पहले एक एकड़ खेत में मिला देना चाहिए ताकि फसल को इसका पूरा लाभ मिल सके।
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