प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना त्रासदी से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए आत्मनिर्भर भारत पैकेज के अंतर्गत 20 लाख करोड़ रूपये की घोषणा की थी। इस बड़े पैकेज़ का एक बड़ा हिस्सा कृषि क्षेत्र में लगाया जाने वाला है जिसकी घोषणा बाद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने की। सरकार कृषि के अंतर्गत आने वाले हर छोटे बड़े क्षेत्र पर बड़ी रकम खर्च करने जा रही है। इसी कड़ी में सरकार की तरफ से हर्बल खेती के क्षेत्र में 4000 करोड़ रुपये खर्च करने की बात कही गई है।
क्या है हर्बल खेती?
हर्बल खेती के अंतर्गत किसान उन पौधों की खेती करते हैं जिनका उपयोग आयुर्वेदिक दवाइयों और पर्सनल केयर उत्पाद बनाने में होता है। इसके अंतर्गत अश्वगंधा, तुलसी, एलोवेरा, अतीश, कुठ, कुटकी, करंजा, कपिकाचु, शंखपुष्पी आदि जैसे औषधीय पौधों की खेती होती है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हर्बल खेती की चर्चा करते हुए बताया कि इस क्षेत्र को और बढ़ावा देने के लिए 4000 करोड़ रुपए मंजूर किए गए हैं। उन्होंने बताया की अगले दो साल में 10 लाख हेक्टेयर ज़मीन पर हर्बल फ़सलों की खेती की जाएगी।
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